18 December 2008

कोई दीवाना

कल तक मुझे इस कविता के रचनाकार का नाम भी नही पता था और आज राज भाटिया जी ने मुझे इस के वीडियो का लिंक उपलब्ध करवा दिया, मै गदगद हो गया ।
http://de।youtube.com/watch?v=djfkxW7X-Mo
आदरणीय राज भाटिया जी
मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूं, सचमुच आपने मुझे बहुत खुशी दी है।
आपका बहुत-बहुत अभारी रहूंगा ।

17 December 2008

कोई दीवाना कहता है

करीब दो वर्ष पहले हस्तिनापुर (मेरठ) के एक शिविर में एक मित्र ने यह कविता सुनाई थी। मुझे नही मालूम कि यह उनकी रचना है या नही, लेकिन मुझे बहुत-बहुत पसंद आयी। दोबारा सुनने के लिये मेरे कान तरस गये थे। अब 11-12-13-14 के ओशो हास्य ध्यान शिविर (कुरुक्षेत्र) में एक मित्र के माध्यम से मुझे यह mp3 Format में प्राप्त हो गई है। लगातार 45-50 बार सुन चुका हूं और हर बार और ज्यादा दिल के करीब पहुंचता जा रहा हूं। कवि ने यह दिल्ली के किसी कालिज के उत्सव में सुनाई है और इसमें कवि का प्रेमपूर्ण और हास्य-प्रधान ह्र्दय उनकी सुंदर वाणी से साफ झलकता महसूस होता है। उनकी आवाज सीधी दिल तक पहुंचती है। अगर आप कवि का नाम जानते हैं तो कृप्या मुझे भी बता दें। कवि ने इस के बीच में मशहूर शायर गालिब का भी एक शेर सुनाया है। पहले वही शेर…………………

"मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे आगे
  तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे"

अब वह सुंदर कविता………………


1…… कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
           मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
           मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे दूर कैसी है
           ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
2…… मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
           कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
           यहां सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आंसू हैं
           जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
3…… समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नही सकता
           ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
           मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
          जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता
4……भ्रमर कोई कुमुदनि पर मचल बैठा तो हंगामा
          हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
         अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
         मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
डाऊनलोड करने के लिये नीचे लिंक पर क्लिक करें। 
Koi Deewana Kahta hai

इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

04 December 2008

वो मेरे कौन थे

पिछले तीन दिन टेलीविजन पर आतंक का लाइव नंगा नाच देखते हुये पता नही कब बम और गोलियों की आवाज दिल-दिमाग में बैठ सी गई है।कल पडोस में शादी थी। बारात निकल रही थी। गाजा-बाजा, धूम-धडाका और पटाखे भी चलाये जा रहे थे। बिस्तर पर लेटे-लेटे हर पटाखे की आवाज से यूं लगता जैसे बाहर वही गोलीबारी हो रही है। मेरा तो कोई भी नही मरा, कोई भी नही ? नही जो मरे वो मेरे ही थे, मेरे भारत के वासी, मेरे भारत के रक्षक और मेरे भारत के मेहमान ।
सभी हिन्दुस्तानी इसे अपने ऊपर हमला मान रहे हैं। सारा देश एक साथ चीत्कार रहा है ।
फिर भी पता नही क्यूं कुछ रिपोर्टर देश के दुश्मनों को मुम्बई के दुश्मन संबोधित कर रहे हैं । शायद आपने भी सुना हो ।

03 December 2008

छोरा फौजी बन गया

कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। राजनीति का तो पूरा का पूरा तालाब ही दलदल है जिसमें सडांध के अलावा कुछ भी नही है। हमारे सुरक्षातंत्र में भी कुछ गंदे लोग हैं ही जिनके कारण बहादुर देशभक्तों को शहीद होना पडता है और आम जनता को अपनी जान गंवानी पडती है।

अभी कुछ दिनों पहले मैं दिल्ली से रोहतक जाने वाली ट्रेन में सफर कर रहा था। मेरे पास वाली सीट पर दो बुजुर्ग बैठे आपस में बातें कर रहे थे। एक-दूसरे का हालचाल जानने के बाद वे अपने-अपने बच्चों के बारे में और उनके काम-धंधों की चर्चा करने लगे तो मेरा ध्यान उनकी बातों की तरफ चला गया। एक ताऊ बता रहा था कि उसने अपने छोटे बेटे को फौज में भरती कराने के लिये दो लाख रुपये खर्चा किया है। वैसे तो मैं एक हद तक चुप रहने वाला बंदा हूं और दूसरे लोगों की बातों को सुनने के अलावा कोई टिप्पणी नही करता पर अब मुझसे नही रहा गया तो मैं बोल पडा कि अब आपका बेटा आपके दो लाख मय ब्याज के वापिस पाने के लिये कितने लोगों को सीमा पार करवायेगा। इसी बात से उनका पारा चढ गया और मेरी पिटाई होने ही वाली थी कि मेरा स्टेशन आ गया और मैं अपने सवाल पर खुद ही विचार करता हुआ ट्रेन से उतर गया।

एक और खबर सुनी थी कि अ ब स ने अपने बेटे को ए0 एस0 आई0 लगवाने के लिए 14 लाख रुपये दिये हैं। अब यह ए0 एस0 आई0 क्या केवल तनख्वाह से गुजारा कर पायेगा या अपराधियों का साथ देकर अपने पिता के इस इनवेस्टमंट को भुनायेगा।

हर राज्य की सीमा पर चुंगी कर के लिये नाका होता है लेकिन हजारों ट्रक रोज बिना बिल पर्चों के एक जगह से दूसरी जगह माल पंहुचाते हैं। बिना जरूरी कागजातों के ये ट्रक कैसे एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करते हैं ? क्योंकि उन सबकी सैटिंग है यानि मंथली फिक्स कर रखी है, या उन्हें पता है कि कहां पर किस का कितना रेट है।

अब समुद्र के रास्ते D कंपनी या किसी और के कितने जहाज, स्टीमर और बोट डीजल या अन्य सामान लेकर भारत में आते हैं या स्मगलिंग करते हैं, वो सब भी तो किसी ना किसी को कमाई तो दे ही रहे होंगें ? किसी ना किसी के पिताजी का रुपया तो बढकर वापिस आ ही रहा होगा।

जाहिर है जिसने भी इनवेस्ट किया है वो तो कमाने के लिये ही तो किया है। अब वह कमाई चाहे डीजल वाले दें या बारूद वाले उन्होंने तो बोट को रास्ता देना है। आखिर ऊपर बैठे नेताओं, अफसरों ने तो अपना इनवेस्टमंट नौकरी देते वक्त एक ही झटके में निकाल लिया था।

आतंकवादियों को अपने घर के अंदर घुसने देने और इन घटनाओं का जिम्मेवार कौन है ? केवल हम, जो अपने बच्चों को सरकारी नौकरियों में और ऊंचे पदों पर देखना चाहते हैं। जो ऐसे नेताओं (कैसे सब जानते हैं) को सरकार बनाने के लिये चुनते हैं।

28 November 2008



व्यथित हूं, शहीदों की आत्माओं को शांति, मृतकों के परिवारों को शक्ति और दुष्टात्माओं, हत्यारों को सदबुद्धि के लिये प्रार्थना करता हूं।

01 November 2008

काम की बात

  • images1 किसी के लिए त्याग करना अच्छी बात है पर उनमें यह भ्रम न पनपने दो कि तुम्हारा त्याग उनका अधिकार है।
  • मजबूत बनो, सहनशील बनो ताकि कोई चन्द शब्दों की झाडू मारकर तुम्हें धूल की तरह दहलीज से बाहर न फेंक सके।
  • एक फूल और इतने कांटे बताते हैं कि जीवन में दुख के बराबर सुख नही आते।
  • दिल दे दे दिलासा (झूठी) ना दे, विष दे दे विश्वास (झूठा) ना दे।
  • चाह (इच्छा) की परछाई ही दुख है। हर इच्छा अपने साथ दुख को लेकर आती है।

सफलता के मन्त्र

  • जब आप किसी से वादा करते हैं तो अपने ऊपर एक कर्ज चढा लेते हैं।
  • जो कुछ हमारे पास है उसमें संतोष करना उचित है, किन्तु हम जो कुछ हैं उससे संतुष्ट रहना उचित नही।
  • नये मित्र बनाईये, पुराने मित्र संजोईये।
  • दूसरों से वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप दूसरों से चाहते हैं।
  • अपनी गलती को मानने में हिचकिचाएं नहीं।
  • बहादुर बनें या बनने का अभिनय करें।
  • दिन में कम से कम तीन लोगों की प्रशंसा करें।
  • कोई भी कार्य हो सीखने की कोशिश करें।
  • कभी किसी को धोखा ना दें।
  • हर बात ( छोटी-बडी ) पर ध्यान दें।
  • दूसरों के अनुभवों को सुनने की आदत डालें।
  • ईश्वर से बुद्धि तथा शक्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • क्रोध पर काबू रखें, क्रोध में कोई कदम ना उठायें।
  • आत्मविश्वास जगाईये और अपना जीवन-लक्ष्य बनाईये।
  • समय बर्बाद न करें, जीवन प्रयत्न का ही नाम है।
  • कभी भी दूसरों को अपने व्यापार या कार्य के रहस्य ना बताएं।
  • वाचाल ना बनें, गप्पें ना हांकें, झूठ ना बोलें।
  • असफलता से घबराएं नहीं, निराश होने की बजाय दोबारा प्रयत्न करें, सफलता की लडाई जारी रखें।
  • कठिन से कठिन कार्य को भी असंभव ना समझें।
  • 'ना' कहनी हो तो सभ्यता और सहजता से कहिये।
  • अपने प्रतिद्वन्द्वी को कभी भी कमजोर या मूर्ख ना समझें।
  • "कठिन है यह कार्य" कहने की बजाय "कार्य करने का मौका दीजिये" कहना सीखिये।
  • हर कार्य को करने का साहस रखें।
  • जीवन के मूल्य खोजिये।
  • मेहनत का सदा सम्मान करें, चाहे वह किसी की भी मेहनत क्यों ना हो।
  • "मुझे नही आता" कहने में हिचके नहीं।
  • बडों को नमस्ते छोटों को प्यार करने की आदत डालिये।
  • स्पष्टवादी बनें।
  • सबसे मेलजोल का वातावरण बनाये रखें।
  • चेहरे पर मुस्कराहट रखें।
  • बात करते समय सामने वाली की आंखों में देखें।

11 October 2008

लव मैरिज

पहले राहें मिलती हैं
राहें मिलती हैं तो निगाहें मिलती हैं
निगाहें मिलती हैं तो ख्यालात मिलते हैं
ख्यालात मिलते हैं तो जज्बात मिलते हैं
जज्बात मिलते हैं तो हाथ मिलते हैं
हाथ मिलते हैं तो दिल मिलते हैं
दिल मिलते हैं तो गले मिलते हैं
गले मिलते हैं तो जिस्म मिलते हैं
जिस्म मिलते हैं तो बच्चे गिनते हैं

बच्चे गिनते हैं तो मजबूरियां होती हैं
मजबूरियां होती हैं तो दूरियां होती हैं
दूरियां होती हैं तो फ़ासले होते हैं
फ़ासले होते हैं तो फैसले होते हैं
एक बेटा और बेटी तुम ले लो
एक बेटा और बेटी हम ले लें

बेटे विदेश चले गये बेटियां ससुराल चली गई
अकेला बूढा रह गया अकेली बूढी रह गई
एक आंगन सूना रह गया दो खाटें टूटी रह गई
खांसते-खांसते बूढे की सांसे फूल गई
बुढिया पिछले गिले सब भूल गई
मरते हुये बूढे की सेवा कुछ इतनी कर गई
कि बूढे के साथ बुढिया भी मर गई

इतना ही है जरुरी तो तुम भी चले जाओ

किस मोड पर मिलोगे कुछ तो मगर बताओ

मत छोडना इसे तुम दिल राख हो गया है

ये जल चुका है इसको अब और न जलाओ

हमने तुम्हें तो अब तक कुछ भी नही कहा है

इस बार भी वो झूठी कसमें नहीं उठाओ

हम गौर से सुनेंगें मजबूरियां तुम्हारी

सच सच मगर कभी कुछ तो हमें बताओ

उनके आगोश में लिपट के यही गुमां होता है

जैसे दुनिया की सारी खुशियां सिमट आई हैं

बिगाड सकता नहीं कुछ जमाना अब

उनकी बाहों में मैनें पनाह जो पाई है

उनकी आंखों में सितारा नजर आता है

डूबते दिल को किनारा नजर आता है

कैसे रोकें आरजुओं के इस समन्दर को

हर सितम उनका इशारा नजर आता है

लोग खुली आंखों से नही देख पाते

हमें बंद आंखों से जहां सारा नजर आता है

राजीव ने नेपाल में

उनकी हया से हाय हम तो बाज आये
ख्वाबों में भी बुलाया तो परदे में ही वो आये

वही चुनींदा से चेहरे वही पहचाने से लोग
किसी को देखकर तो हो ये नजर हैरान कभी

तेरी जिन झील सी आंखों में हम कैसे खोये रहते थे
उन्हीं आंखों का मिलना अब मुश्किल सा लगता है
रह गई बेशर्म यादें लुट गये रंगीन वादे
एक अकेलापन ही अब अपना साथी लगता है

ये क्या कि हम पर नजर-ए-करम न डाले
हम भी तो हैं जमीं पर ए आसमां वाले

कभी हम खुद को इतना लाचार पाते
सब समझते सोचते फिर भी खो जाते

01 October 2008

सपना का प्रेमपत्र

हांलाकि मौसम भी है नशीला
पर जरा भी नशा न हुआ मुझको
सनम मैनें पी कर भी देख ली
फिर भी भुला ना सकी तुझको

रुह-ए-मजार पर यहां मिसरा खुदायेंगें
मर जायेंगें पर दिल न किसी से लगायेंगें

देर से लाश तडपती थी पी के इंतजार में
क्या कफन भी नहीं मिलता इस बेवफ़ा बाजार में

आयेंगें आपके घर कुछ गम न करेंगें
बोला न करोगे आप, हम आपको देखा तो करेंगें

वृंदावन की सूखी लकडी मथुरावन की घास
मैं जाऊंगीं नेपाल में मगर दिल रहेगा आपके पास

पंजाब से आया पंछी जा बैठा कश्मीर
मिलने को दिल करता है मिलने नही देती तकदीर

तेरे इंतजार में

तुझे पा लूं मेरी बरसों से ये हसरत थी
तुझे पा लेने की मेरी हसीन किस्मत न थी
दिये जलाऊं तेरी राहों में ये मेरे बस में नहीं
दिल जलाया तेरे इंतजार में ये कोई कम तो नहीं

वफायें हमने तुझसे की ये तुम्हारी किस्मत थी
वफा के तू लायक न थी ये हमारी किस्मत थी
हंसना तुझे हमने सिखाया ये हमारी मुहब्बत थी
उम्र भर का रोना हमें मिला ये तुम्हारी मुहब्बत थी

चले थे हमसफर बनकर एक ही डगर थी
राहें हो जाएंगी अलग ये किसको खबर थी
साथ निभाने का वो वादा तो वादा-ए-वफा था
साथ छोड दिया ये तेरी वफा तो नही थी

जमाना नही छोड पाये तेरे लिए ये हमारी बेवफाई न थी
जिन्दगी छोड चले ये हमारी वफा की हद थी
तमाम उम्र गुजार दी तेरे इंतजार में जलकर
आये तब जब मेरी चिता जलने लगी थी
दिन से कहो जाकर अब ये रात न लाये
सितारों से कहो चांद की सौगात न लाये
रहते थे जो यहां वो कब के चले गये
घटाओं से कह दो अब वो बरसात न लाये
आहट नही यहां कोई ये हवा का शोर है
इस गली में फिर दोबारा कोई जज्बात न लाये
लौटे न जब तलक रौनक शहर की
कोई भी यहां तब तलक बारात न लाये

पता चला

घर से हुए जो दूर तो घर का पता चला
आंगन में पडे एक-एक पत्थर का पता चला
नाराजगी बज़ा थी बुजुर्गों की किस कदर
क्यों टोकते थे हर कदम पर का पता चला
दूजों की खामियों को गिनाया अगर कभी
खुद में भी कहीं पल रहे अजगर का पता चला
परदे जो झूठ के ही जहन पर पडे हुए
सच देख न पाती जो नजर का पता चला
यूं तो सभी अपने लगा करते रहे लेकिन
रुसवा हुए तो हमको शहर भर का पता चला

23 September 2008

न तो जन्नत न मुझको खुदा चाहिये
मैं हूं तन्हा तेरा आसरा चाहिये
तेरे दर से आगे ही है मयकदा
कहां जाऊं तेरा मशवरा चाहिये
कुछ तो खुदगर्ज और कुछ अनजान यार
किसको समझाऊं किसका पता चाहिये
मुझको ये मेला अब रास आता नहीं
मुझको जाना है बस रास्ता चाहिये
ये वक्त कमबख्त बात सुनता ही नहीं
और कितना इसे हौंसला चाहिये
किसी का घर जले कोई बरबाद हो
बस तवारिख को दास्तां चाहिये
इक आंधी सी आई और कह गयी
दोस्ती में भी कुछ फासला चाहिये
जिंदगी एक हादसा है आजकल
सांस लेना भी सजा है आजकल
जिनकी खातिर सबको बेगाना किया
उनको ही हम से गिला है आजकल
नाज था जिसकी वफाओं पर मुझे
जाने क्यों वो बेवफा हैं आजकल
आदमी तो अब कहीं मिलता नहीं
जिसको देखो वो खुदा है आजकल
हाथ खुलकर तो मिलाते हैं सभी
दिलों में लेकिन फासला है आजकल
बुरे वक्त पे काम आयेंगें  ये दोस्त
दिल में ये मुगालता ना रखना
दर्द न दिल में पालो यारों
अपने जज्बों को संभालो यारों
गीत कोई भी रचने से पहले
चोट दिल पर खालो यारों
चांद छूने की हसरत न हो पूरी
उसे आंखों मे बसा लो यारों
इससे पहले की कोई रुठे अलविदा कहे
उसे दिल में बसा लो यारों
ख्वाब और हकीकत में दूरी ही सही
कम से कम जीने की आदत तो डालो यारों
आग नही धुआं नही सुलग रहा हूं मैं
न जाने किस तलाश में भटक रहा हूं मैं
अपना वजूद मुझको बडा अजनबी लगे
बरसों अपने आप से अलग रहा हूं मैं
सोता है ये जहां कितनी मीठी नींद
किसी बेवफा की याद में जग रहा हूं मैं
सांस है धडकन भी है पर जिन्दगी नहीं
जिंदा हूं पर लाश जैसा लग रहा हूं मैं
क्यूं दिल में मेरे बसते हो जब दिल ही मेरा तोड दिया
क्यूं याद आते हो इतना जब साथ तुम्हारा छोड दिया
राम करे ऐसा हो जाये
तू मिल जाये चाहे सब खो जाये
मसनूईं नजारों को बहुत देख लिया
बेरंग बहारों को बहुत देख लिया
ये वक्त पे देते हैं फरेब ताजा
इन वक्त के यारों को बहुत देख लिया
ये जीना ये मरना ये रोना ये हंसना
मेरा बस चले तो ये झगडा मिटा दूं

दर-ए-इश्क पे हुस्न का सर झुका दूं
कहो आज ये भी तमाशा दिखा दूं
दिल में बसाया तुझको सपनों में सजाया तुझको
देखे लाखों हसीं मगर तू ही है भाया मुझको
तेरे ख्यालों में खोई जिन्दगी मेरा ख्याल भी ना आया तुझको
शायद मेरे लिये ही कोई आसमां से लाया तुझको
पाता हूं तुझे अपना तसव्वुर में पर कभी ना पाया तुझको
जमाने को बताता हूं अपना तुझे क्या किसी ने ना बताया तुझको
तुझे देखने की हसरत इतनी कि ढूंढे मेरा साया तुझको
तुझे भुलाने गया मयखाने पर सागर ने भी दिखाया तुझको
शायरी में लिखा तुझको गीतों में गाया तुझको
दिल में बसाया तुझको सपनों में सजाया तुझको
बाहर से मुझे नफरत थी पर दिल में मेरे बसता था
वो पागल सा इक लडका जो देख के मु्झको हंसता था

क्यूं ठुकराया मांग को उसकी सोच के अब पछताती हूं
दिल के बदले दिल मांगा था सौदा कितना सस्ता था

किससे पूंछू कैसे पूछूं क्यूं नही देता अब वो दिखाई
रोज गुजरता था वो इधर से उसका ये ही रस्ता था

तुमने छोडा मुझको मैनें शहर तुम्हारा छोड दिया
घूरती थी हर शख्स की नजरें हर कोई मुझ पर हंसता था

दर्द छुपा कर जीना उसकी पुरानी आदत थी
भीतर-भीतर रोता था वो बाहर-बाहर हंसता था

22 September 2008

क्या बात है जो इतना मुस्कुरा रहे हो
कोई तो गम है जो हमसे छुपा रहे हो
अब मेरी जिन्दगी की दुआ मांगते हैं लोग
जब मैनें जिन्दगी को नजर से गिरा दिया
दो घडी हंसने का कुसूर किया था मैने
वो नादान समझ बैठा मुझे उससे प्यार है
वो जब्र भी देखा है तारीख की नजरों ने
लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई
अब सोचा है पत्थर के सनम पूजूंगा
ताकि घबराऊं तो टकरा भी सकूं मर भी सकूं
बारिश की गिरती बूंदें दिल को जला रही हैं
मेरे लबों की आहें तुझको बुला रही हैं
क्यों लब तेरे हैं सिले क्यों आंख तेरी है नम
गुजरे पलों की बातें तुझे याद आ रही है
दे-दे कर वास्ता कुछ कदमों के निशानों का
जिन पर चले थे राहें वो तुझको बुला रही हैं
सांसों मे जो है बहती ख्वाबों में जो है रहती
यादें वही तुम्हारी मुझको सता रही हैं
चेहरे की मुस्कुराहट कितना इसे छुपा ले
तेरी ये सुर्ख आंखें सच्चाई बता रही है
गुजरे हैं  इश्क में हम उस मुकाम से
नफरत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से 
किसी का दिल न तोडो भूल कर भी जहां वालों
बडी मुश्किल से कोई दिल यहां तैयार होता है

18 September 2008

हम दम से गये हमदम के लिये
हमदम की कसम हमदम न मिला
एक खंजर-ए-इश्क लगा दिल में
मर हम भी गये मरहम न मिला
हम चुपचाप किये जाएंगें तुम्हारी पूजा
कोई परिणाम दे ना दे हमारी पूजा
हम उनसे मुहब्बत करके दिन-रात सनम रोते हैं
वो हैं कि आराम से अपने घर में सोते हैं
उसने छुडा दी अपनी कसम दे कर
दोस्तों ने पिला दी उसकी कसम दे कर
मोहब्बत इस तरह मालूम हो जाती है दुनिया को
कि मालूम होता है नही मालूम होती है
मुहब्बत में नही फर्क जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
वो आते हैं दिल में कसक मालूम होती है
मैं डरता हूं कहीं इसको मुहब्बत तो नही कहते
छोड दे सारी दुनिया किसी के लिए
ये मुनासिब नही आदमी के लिए
प्यार से भी जरुरी कई काम हैं
प्यार सबकुछ नही जिन्दगी के लिए
चांद मिलता नही सबको संसार में
दीया भी बहुत रोशनी के लिए
रातों को उठ-उठ कर जिनके लिए रोते हैं
वो अपने मकानों में आराम से सोते हैं

कुछ लोग जमाने में ऐसे भी होते हैं
महफिल में तो हंसते हैं तन्हाई में रोते हैं

दीवानों की दुनिया का आलम ही निराला है
हंसते हैं तो हंसते हैं रोते हैं तो रोते हैं

किस बात का रोना है किस बात पे रोते हैं
किश्ती के मुहाफिज ही किश्ती को डुबोते हैं

कुछ ऐसे दीवाने हैं सूरज को पकडते हैं
कुछ लोग उम्र सारी अंधेरा ही ढोते हैं
तुझको खबर नही मगर किसी को
बरबाद कर दिया तेरी उस नजर ने
वो दिन गये आज कि हंसते थे रात-दिन
मिलता है दिल को चैन अब आंसू बहाने में
आती है अक्सर याद रोते हैं बेबसी में
एक बेवफा को चाहा था जिन्दगी में
न अपनी खुशी है न अपनी हंसी है
इश्क के मारो कि यही जिन्दगी है
ये ठीक है कि मरता नही कोई जुदाई से
मगर खुदा किसी को किसी से जुदा न करे

17 September 2008

कौन कहता है कि तुमको भुला रखा है
तेरी यादों को सीने से लगा रखा है
सुना है हर चीज मिल जाती है दुआ से
एक रोज तुम्हें मांग कर देखेंगें खुदा से
सौ बार तेरा दामन हाथों में मेरे आया
जब आंख खुली तो देखा अपना ही गिरेबां था
रहा गर्दिशों में हरदम मेरे इश्क का सितारा
कभी डगमगाई किश्ती मेरी कभी खो गया किनारा
ये हमारी बदनसीबी नही तो ओर क्या है
कि उसी के हो गये हम जो ना हो सका हमारा 
इश्क में कुछ इस तरह बरबाद हुये हम
कि गया कुछ भी नही रहा कुछ भी नही
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
उस दिल का कभी का तोड दिया
बदनाम ना होने देंगें तुझे
तेरा नाम ही लेना छोड दिया
जिन्दगी बोझ बनी है जिन्दगी के लिए
तरीका अच्छा है प्यार का खुदकुशी के लिए
सादगी खुद कयामत होती है
यूं न बार-बार संवरा करो तुम
दिल-ए-नादां पर आलम कुछ अजीब से गुजरे
वो अजनबी की तरह जब करीब से गुजरे
तेरे आने की क्या उम्मीद मगर
कैसे कहूं कि इंतजार नही है
रस्में-दुनिया ही न तोड पाया मैं
वादा किया था मैनें कि सितारें तोड लाऊगां
जाने वो कैसे लोग थे जिनको प्यार के बदले प्यार मिला
हमने जब कलियां लुटाई तो कांटों का हार मिला
बैठा हूं चुपचाप मैं, महफिल से जरा हट के
तारीफ करुं जिनसे उनकी, वो अल्फाज नही मिलते
माना कि इस जमीं को न गुलजार कर सके हम
कुछ कांटें तो कम कर ही गये, गुजरे जिधर से हम
अपनी किस्मत है ही कुछ ऐसी, रास्ते के पत्थर जैसी
कि जो भी आया, ठोकर लगाकर चला गया
एक तो जीतना मुश्किल है दिल की बाजी का
और कुछ जीतने की उम्मीद में हारते चले गये
जैसा नजर आता हूं न ऐसा हूं मैं
और जैसा समझते हो आप न वैसा हूं मैं
अपने से भी छुपाता हूं ऐब अपने
बस मुझको मालूम है कैसा हूं मैं
जब से तुम्हें देखा है ना जाने क्यों
दुनिया हसीं मालूम पडती है मेरी आंखों को
कह दो इन हसरतों से कहीं ओर जा बसें
इतनी जगहा नही है दिल-ए-आज में
तुमने किया न याद भूल कर हमें
हमने तुम्हारी याद में सबकुछ भुला दिया 
निगाहें झुकते-झुकते भी टकरा ही गई
मुहब्बत छुपाते-छुपाते नुमायां हो ही गई
ले-दे कर अपने पास इक नजर ही तो है
क्यों देखें जिन्दगी को किसी की नजर से हम

15 September 2008

तेरे दीदार ने जीना सिखा दिया
तेरे इंकार ने पीना सिखा दिया
जाने किस गम का बोझ उठाये जाते हैं
इक तडप में भी मु्स्कराये जाते हैं
मिल सके न वो हमको, न हम उनके हो सके
मगर दीवानगी उनकी तब से ही पाले हैं
शिकवा कर लेते थे पहले तुमसे हर गम का
अब तो मुंह पर भी वक्त ने लगाये ताले हैं
कहीं एक मासूम, नाजुक सी लडकी
बहुत खूबसुरत मगर भोली सी

मुझे अपने सपनों की बाहों में पाकर
कभी नींद में मुस्काती तो होगी
उसी नींद में कसमसा-कसमसा कर
सिरहाने से तकिया गिराती तो होगी

वो बेसाख्ता धीमे-धीमे सुरों में
मेरी धुन में कुछ गुनगुनाती तो होगी

चलो खत लिखें जी में आता तो होगा
मगर उंगलियां कंपाती तो होगी
कलम हाथ से छुट जाता तो होगा
उमंग में कलम फिर उठाती तो होगा

लिखकर नाम हथेली पर मेरा
बार-बार मिटाती तो होगी

जुबां से कभी उफ निकलती होगी
बदन धीमे-धीमे सुलगता तो होगा
कहीं के कहीं पांव पडते तो होंगें
जमीं पर दुपट्टा लटकता तो होगा

किताबों में देखकर चेहरा मेरा
किताबों को चूमा करती तो होगी

कभी सुबहा को शाम कहती होगी
कभी रात को दिन बताती तो होगी
कभी दांतों से उंगली काटती होगी
कभी होंठों से चुनरी दबाती तो होगी

कहीं एक मासूम, नाजुक सी लडकी
बहुत खूबसुरत मगर भोली सी
इधर मेरा रोना, उधर तेरा हंसना
इधर मेरा मिटना, उधर तेरा बसना
मेरे दिन अंधेरे तेरे दिन उजाले
दुआ कर रहें हैं दुआ करने वाले
मेरी मुहब्बत को ठुकरा दे चाहे
मैं तुझसे न कोई शिकवा करुगां
आंखों में रहती है तस्वीर तेरी
सारी उम्र तेरी पूजा करुगां
ढुलक गये चंद अश्क
जब आज भी तुम नही आये
संभाल लिया किसी तरह दिल को
पर नैनों को नहीं रोक पाये
तेरे इश्क ने बख्श दिये दिल को गम इतने
कि दिल का कोई कोना नही खाली अब खुशी के लिये
कोई भी अरमान तेरे दीदार से बढ कर नहीं
सनम हमारे प्राण तुम्हारे प्यार से बढ कर नहीं
दिल खोल कर रखा हमने जो किसी के आगे
दिल की लगी से वो दिल्लगी करने लगे
जिसे खुद पे हंसना हुजूर आ गया
उसे जिन्दगी का शऊर आ गया
रखा है किसी की आस रहने में क्या
रखा है किसी के पास रहने में क्या
आदत सी पड गई है वरना
रखा है उदास रहने में क्या
कुछ अपना पता उसने बताया नही
अब तक उसका सुराग पाया नही
दिल खटका है मेरा इक आहट से
देखो देखो कहीं वो आया तो नहीं
जख्म तुम्हारी याद के जब भरने लगे
किसी बहाने हम तुम्हें याद करने लगे
जादू-वादू होता है क्या
हमको तब मालूम पडा
मुस्काती नजर से तुम्हारी
जब दिल पराया हो गया
सावन में मरुस्थल भी चहक जाते हैं
कांटें भी बहारों में महक जाते हैं
हुस्न-ए-जवानी पर न करो इतना गुरुर
इस उम्र में तो सभी बहक जाते हैं
इश्क पर जोर नही किसी का ये वो आग है
कि लगाये न लगे बुझाये न बुझे
सी लिये होंठ की अंदेशा-ए-रुसवाई था
फिर भी हर सांस में छिप-छिप कर तेरा नाम आया
इस इश्क में हमने क्या खोया क्या पाया
तेरे सिवा और को समझाऊं तो समझा न सकूं
उन्हें ख्याल भी नही आया हमारा
जिन्दगी जिनके ख्यालों मे लुटा दी हमने
मुद्दत के इंतजार ने बेजार किया इतना
कि कयामत आई तो पूछा ये कोई वक्त है आने का
मुझको अच्छा नही लगता कोई हमनाम तेरा
कोई तुझसा हो तो नाम तुझ सा रखे
बहुत बुलंद फिजां में तेरी पतंग सही
मगर यह समझ डोर किसके हाथ में है
सोया, लगा सब अपना है
जागा, लगा सब सपना है
जिनको हर हाल में जीने की अदा आती है
मौत भी उनके करीब आने से घबराती है

11 September 2008

लिखकर नाम जमीं पर हमारा मिटा दिया
उनका तो खेल ठहरा खाक में हमें मिला दिया
देखें कैसे नही बनते तुम्हारे गले का हार

हम फूल बनके आयेंगें अब के बहार में
ना करीब आये करीब आकर भी
ना करीब मुझको बुलाया
फिर किसलिए आसपास रहते हो
फिर किसलिए आसपास आते हो
जिन्दगी के उदास कागज पर
दिल का पैगाम लिखने वाला था
रोशनाई बिखर गयी वरना
मैं तेरा नाम लिखने वाला था
न बात कर कोई, कोई बात नही है
न गिला कर कोई, कोई बात नही है
न मुस्करा सके तो कोई बात नही है
इक नजर तो देख दिल की तसल्ली के लिए
मुस्कुराये वो जो देखकर मेरी तरफ
यारों के दिल खाक हुए जाते हैं
मोहब्बत यही है शायद कि
सीने में है इक आग सी लगी हुई
मोहब्बत इस तरह मालूम होती है दुनिया को
कि मालूम होता है नही मालूम होती है
मोहब्बत में नही फर्क जीने-मरने का
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
वो आते हैं दिल में कसक मालूम होती है
मैं डरता हूं कहीं इसी को मोहब्बत तो नही कहते

प्यार की दुश्मन दुनिया ये दस्तूर पुराना है

प्यार का इस दुनिया में फिर भी आना जाना है

नजरें हैं रस्ते पे दिल में यही आस है

अभी दिखेगी यहीं दिखेगी जिस झलक की प्यास है

निगाहें उलझना अजब हादसा है

मेरे होश गुम हैं वो शरमा रहा है

इक यही अदा रुलायेगी हमको ताउम्र

जाते जाते न प्यार से यूं मुस्कुराइये

10 September 2008

कल तेरे जलवे पराये भी होंगें
लेकिन झलक मेरे ख्वाबों में होगी
फूलों की डोली में होगी तू रुख्सत
लेकिन महक मेरी सांसों में होगी

मत नजरें मिलाया कीजिये

धूप तीखी है जरा इस तरफ जुल्फों का साया कीजिये
इस तरफ आप गाहे-बगाहे आ जाया कीजिये
बढ गयी रफ्तार धडकन की किसी के नाम से
इस तरह मत जिस्म में तूफां उठाया कीजिये
आपको बदनाम कर देगा जमाना बेवजह
यूं अदा से हर घडी मत मुस्काया कीजिये
क्या पता कब हम कर बैठें खुदकुशी
आप हमसे रोज मत नजरें मिलाया कीजिये

आस का दीया

बुझाना ही था इक दिन तो आस का दीया जलाया क्यों था
गिराना ही था इक दिन तो पलकों पे अपनी बिठाया क्यों था
आषाढ में मुझे झुलसाना था तो सावन का अहसास कराया क्यों था
कांटों की चुभन ही देनी थी तो फूलों की सेज पर सुलाया क्यों था
बुझाना ही था इक दिन तो आस का दीया जलाया क्यों था

06 September 2008

उनको देखने से आ जाती है जो चेहरे पे रौनक

वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है

आंखें मूंद के बैठे हों तसव्वुर में किसी के
ऐसे में वही छम से आ जाए तो क्या हो

मुस्करा कर फिर बिजली गिरा दी आपने

होश में आये थे बडी मुश्किल से हम

रोशनी हो गर खुदा को मंजूर

आंधियों में चिराग जलते हैं

वो कांटा है जो चुभ कर टूट जाए

मुहब्बत की बस इतनी दास्तां है

जुबां खामोश रहती है नजर से काम होता है

इसी माहौल का शायद मुहब्बत नाम होता है

कैसे कहें मुलाकात नही होती

हम मिलते हैं रोज पर बात नही होती

अगर प्यारी सूरत तुम्हारी न होती

मुलाकात तुमसे हमारी न होती

जरा ख्वाब में तुम्हें हम देख लेते

तो इस कदर बेकरारी न होती

वो कदम टूट गए जो तेरी महफिल की तरफ

सोते-सोते भी मचल जाते थे चलने के लिए

न तेरे ख्वाब ही देखूं न तुझको याद करुं

जरा तो सोच की मेरी हैं मुश्किलें कैसी

कितने परवाने जले हैं राज ये पाने के लिए
शमां जलने के लिए है या जलाने के लिए

बेकरारी में दिन करवटों में रात जाती है

तू क्या जाने तेरी कितनी याद आती है

हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम

वो कत्ल भी करदें तो चर्चा नही होती

जिन्हें जलने की हसरत है

वो परवाने कहां जाये

हमने किए थे इरादे न छोडेगें घर कभी

इस पेट की आग ने भटका दिया हमें

किसी की जिन्दगी अंधेरे में डूब जाए तो क्या
वो चाहते हैं सूरज उन्हीं के घर में रहे

05 September 2008

गम का फ़साना किसे सुनाएं
टूटा हुआ दिल कैसे दिखाएं
तेरा भला हो तडपाने वाले
दिल दे रहा है तुझको दुआएं
हंसती है किस्मत कहती है दुनिया
दो दिल मिलने न पाएं
खुशबू सी आ रही है इधर से जाफ़रान की
खिडकी खुली है आज फिर शायद उसके मकान की
मौसमों की आंधियों ने गुल किये कितने चिराग
तेरी यादों का दीया दिल में मगर जलता रहा
चेहरा है या फूल खिला है जुल्फ घनेरी शाम है क्या
सागर जैसी आंखों वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या
कभी हंसते हैं कभी रोते हैं
प्यार करने वाले तो दीवाने होते हैं
झील अच्छा है कंवल अच्छा है जाम अच्छा है
बता तेरी आंखों के लिए कौन सा नाम अच्छा है
मैं गज़ल हूं गुनगुनाईये मैं हसीन पल हूं पास आईये
वक्त यहीं ठहर गया है मुझसे आकर नजरें मिलाईये

04 September 2008

मैं छोड रहा हूं तेरी दुनिया सूरत तो जरा दिखा जाना
दो आंसू लेके आंखों में लाश पे मेरी आ जाना
सितारा मेरी किस्मत का कुछ इस अंदाज से टूटा
कि सातों आसमां सहमे हुए मालूम होते हैं
मैं हूं मशीनी दौर का मशरुफ आदमी
खुद से भी बात करने की फुर्सत नही मुझे
उड के जाता भी नही हाथ आता भी नही
आस का पंछी है ऊंची शाख पर बैठा हुआ
मैने तो राह निकाली थी अलग चलने की
जिन्दगी भीड में ले आई कुचलने के लिए
हम भी प्यासे हैं ये साकी को बता भी न सके
सामने जाम था और जाम उठा भी न सके
मुझसे इस बेरुखी की वजह तो बता
जो हुई मुझसे वो खता तो बता
चाँद पाने की तमन्ना नही
चिराग काफी है मेरे लिए
साथ के उनके काबिल कहां
इक झलक मिल जाए सुकून के लिए

03 September 2008

ओ मेरे साथिया चल कहीं और चल
मैं तेरा भंवरा बनू तू मेरा नीलकमल
क्या है भरोसा आशिक दिल का
कब किसी पे ये आ जाये
ये अदा बेमिसाल है, ये अंदाज लाजवाब है
चेहरा भी कमाल है, क्या तेरा कोई जवाब है
प्यार से देखो मुझे तकदीर संवार लो
मैं एक तस्वीर हूँ दिल में उतार लो
तुझे देखकर न जाने क्या हो गया
धडकनें रह गई दिल जुदा हो गया
वक्त खुश खुश काटने का मशवरा देते हुए
रो पडा वह खुद मुझको हौसला देते हुए
छुपा के रखिये प्रेमपत्र सा यह बदन
हर एक आंख कनखियों से पढ रही है इसे

01 September 2008

अन्तर सोहिल का जन्म





दिनांक 02-04-2007 को हस्तिनापुर में ओशो ध्यान साधना शिविर में स्वामी आनंद स्वभाव से सन्यांस लिया। यानि 02-04-2007 को अन्तर सोहिल का जन्म हुआ। जन्मोत्सव की तस्वीरें….॥….।॥….।॥…।







30 August 2008

इसमें कोई शिकवा न शिकायत न गिला है

ये भी कोई खत है के मुहब्बत से भरा है

मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूं मगर

सफ़र, सफ़र है मेरा इंतजार मत करना

मुझसे ना करो बात कोई बात नही है

औरों से मगर हाल मेरा पूछ्ते रहना

बारिशों के बाद सतरंगी धनक आ जायेगी

थोडा रो लोगे तो चेहरे पे चमक आ जायेगी

ये दबदबा, ये हुकूमत, ये नशा ए दौलत

किराएदार हैं सब घर बदलते रहते हैं

अपनी औलाद से ताजीम की उम्मीद न रख

अपने मां-बाप से जब तूने बगावत की है

वहां भी काम आयेगी मुहब्बत

जहां कोई नही होता किसी का

चल भी दिये वो छीन कर सब्र और करार ए दिल
हम सोचते रह गये कि माजरा क्या है

28 August 2008

वो

हम उन्हें अपना बनाने की बात करते हैं
वो हैं कि जमाने की बात करते हैं
गुस्से में लगते हैं वो कुछ इस कदर ज्यादा हसीन
कमल के फूल भी शरमाने की बात करते हैं
चाँद तारों का जिक्र करता है तो करे कोई
हम तो सिर्फ उनको मनाने की बात करते हैं
इस सादगी पर कैसे न फिदा हो यह दिल
जो बार-बार हमें यूँ बहलाने की बात करते हैं
जब भी जिक्र होता है उनकी नशीली आँखो का
वो समझते हैं कि मयखाने की बात करते है
छेडा है जब कभी भी महफिल में उन्हें हमने
वो फिर न छेडने की कसम खाने की बात करते हैं
हम उन्हें अपना बनाने की बात करते हैं
वो हैं कि जमाने की बात करते हैं

दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे

ऐसा पहली बार हुआ है सतराह अट्ठराह सालों में
अनदेखा अनजाना कोई आने लगा ख्यालों में
आँखों की खिडकी पर एक साया सा लहराता है
दिल के दरवाजे पर कोई दस्तक दे कर जाता है
गहरी गहरी काली आँखें मुझसे मुझको पूछ्ती हैं
हाथों की रेखाओं में इक चेहरा सा बन जाता है
उसकी सांसे रेशम जैसी गालों को छू जाती हैं
उसके हाथों की खुशबू है अब तक मेरे बालों में
हां ऐसा पहली बार हुआ है सतराह अट्ठराह सालों में
अनदेखा अनजाना कोई आने लगा ख्यालों में

26 August 2008

मेरे खुदा न कोई इतना प्यार को तरसे

जुदा न करना किसी को किसी के दिलबर से

हम छोड़ चले हैं महफ़िल को

याद आये कभी तो मत रोना

लिखा न किताबों में मुझे वक्त ने वरना

दिल्ली की तरह मै भी कई बार लुटा हूँ

छीनकर रोशनी सितारों की
जगमगाना कोई कमाल नही
जिन्हें आदत होती है हँसने की
वो बहुत रोते हैं अन्दर ही अन्दर

ताजा कलियों के तबस्सुम का शबब क्या होगा

आया करती है जवानी में हँसी आप ही आप

मुहब्बत

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मुहब्बत नाम है किसका, शुरु कहाँ से होती है

इसे पैदा किया किसने, खत्म कहाँ पे होती है

मुहब्बत नाम चाहत का, शुरु आँखों से होती है

इसे पैदा किया दिल ने, खत्म साँसों पे होती है

25 August 2008

मैं भी चला

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चलने की तमन्ना थी
पहुँचने की नही थी
अब डूब भी जाऊँ
तो मुझे पार समझना