01 November 2008

सफलता के मन्त्र

  • जब आप किसी से वादा करते हैं तो अपने ऊपर एक कर्ज चढा लेते हैं।
  • जो कुछ हमारे पास है उसमें संतोष करना उचित है, किन्तु हम जो कुछ हैं उससे संतुष्ट रहना उचित नही।
  • नये मित्र बनाईये, पुराने मित्र संजोईये।
  • दूसरों से वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप दूसरों से चाहते हैं।
  • अपनी गलती को मानने में हिचकिचाएं नहीं।
  • बहादुर बनें या बनने का अभिनय करें।
  • दिन में कम से कम तीन लोगों की प्रशंसा करें।
  • कोई भी कार्य हो सीखने की कोशिश करें।
  • कभी किसी को धोखा ना दें।
  • हर बात ( छोटी-बडी ) पर ध्यान दें।
  • दूसरों के अनुभवों को सुनने की आदत डालें।
  • ईश्वर से बुद्धि तथा शक्ति के लिए प्रार्थना करें।
  • क्रोध पर काबू रखें, क्रोध में कोई कदम ना उठायें।
  • आत्मविश्वास जगाईये और अपना जीवन-लक्ष्य बनाईये।
  • समय बर्बाद न करें, जीवन प्रयत्न का ही नाम है।
  • कभी भी दूसरों को अपने व्यापार या कार्य के रहस्य ना बताएं।
  • वाचाल ना बनें, गप्पें ना हांकें, झूठ ना बोलें।
  • असफलता से घबराएं नहीं, निराश होने की बजाय दोबारा प्रयत्न करें, सफलता की लडाई जारी रखें।
  • कठिन से कठिन कार्य को भी असंभव ना समझें।
  • 'ना' कहनी हो तो सभ्यता और सहजता से कहिये।
  • अपने प्रतिद्वन्द्वी को कभी भी कमजोर या मूर्ख ना समझें।
  • "कठिन है यह कार्य" कहने की बजाय "कार्य करने का मौका दीजिये" कहना सीखिये।
  • हर कार्य को करने का साहस रखें।
  • जीवन के मूल्य खोजिये।
  • मेहनत का सदा सम्मान करें, चाहे वह किसी की भी मेहनत क्यों ना हो।
  • "मुझे नही आता" कहने में हिचके नहीं।
  • बडों को नमस्ते छोटों को प्यार करने की आदत डालिये।
  • स्पष्टवादी बनें।
  • सबसे मेलजोल का वातावरण बनाये रखें।
  • चेहरे पर मुस्कराहट रखें।
  • बात करते समय सामने वाली की आंखों में देखें।

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