17 July 2010

दुनिया भर की बीवियों तुस्सी ग्रेट हो

अन्जू ने आम काटते वक्त सरोते से अंगुली ही कटवा ली।
मम्मीजी अपने भतीजे की शादी में गई हैं, दो-तीन दिन में लौटेंगीं
तो अन्जू ने खुद ही अचार डालना चाहा।
अब हर पांच मिनट में अंगुली के दुखने की बात कहती है
(शायद मेरी सहानुभूति पाने के लिये) :)

उठो आज बच्चों को तुम तैयार करो, मेरी अंगुली दर्द कर रही है।
मैनें उर्वशी को जगा कर बाथरूम में भेजा, फिर लक्ष्य को जगाया।
इतनी देर में उर्वशी बाहर वाले बिस्तर पर सो गयी।
उसे जगाया तो लक्ष्य वापिस अन्दर भागने लगा।
किसी तरह दोनों को पकड-खींच कर बाथरूम में ले गया।
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लक्ष्य को नहाने के बाद पोटी आई। फिर दोबारा नहलाना पडा।
नहाने के बाद कहता है आज मुझे छुट्टी करनी है।
(मेरे बेटा,  तो पहले ही बताना चाहिये ना, अब दो बार नहाने के बाद)
पता नहीं कैसे तैयार करती है अन्जू इन्हें।
मैं कमीज के बटन बंद कर रहा हूं और उर्वशी रिमोट से टीवी के चैनल बदल रही है।
लक्ष्य तो मुझे ही बता रहा है कि बनियान ऐसे पहनाते हैं।
लक्ष्य - "पापा आपको बनियान भी पहनानी नहीं आती है",
"जूते के तस्में पीछे की तरफ बांधियें" 
उर्वशी -  "पापा ये स्कर्ट की स्ट्रेप कितनी लूज छोड दी आपने",
"पापा शर्ट ऊपर निकली हुई है, नीचे खींचों"

आज पहली बार बच्चों को स्कूल के लिये तैयार करना पडा और आज ही उनकी स्कूल बस छूट गई।
सचमुच पत्नियां कमाल की होती हैं।

08 July 2010

आशिकी म्है तेज घनी छोरां सै भी छोरी सैं

कल मैट्रो से कहीं जाना था। रास्ते में एक लडकी को देखा। नीचे जींस और ऊपर केवल आंखें ही नजर आ रही थी, सॉरी मेरा मतलब है, उसने दुपट्टे को इस तरह से लपेटा हुआ था कि केवल आंखें ही दिख रही थी। एकदम बुर्कापोश टाईप। मैट्रो की सीढियां उतरते-2 उसका दुपट्टा तह होकर हैण्डबैग में आराम करने लगा और एलीवेटर उतरते हुये उसका हाथ एक लडके के हाथ में था। यह देखते ही मुझे एक हरियाणवी गाना (रागणी)  याद आ गया।
लडकों के मुकाबले लडकियां आज हर क्षेत्र में आगे निकलती जा रही हैं। प्यार, इश्क, मोहब्बत इस क्षेत्र में भी लडकियां लडकों से आगे निकल रही हैं। बता रही हैं हरियाणा की नवोदित कलाकार अनु कादयान अपने ही अन्दाज में। अपनी आवाज और कला की बदौलत अनु कादयान ने बहुत कम समय में, छोटी उम्र में ही बडी तेजी से प्रसिद्धि पाई है। तो सुनिये
आशिकी म्है तेज घनी छोरां सै भी छोरी सैं
शशि, सोहनी, शीरी, लैला, हीर झूठी होरी सैं

06 July 2010

बात नहीं मानी और लात खाई पिछवाडे पे

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एक बार एक शेर अपने घर में पहुंचा और बोला - शेरनी जल्दी तै रोटी घाल दे, भोत भूख लाग री सै। शेरनी नै रोटी घाल दी। शेर रोटी खान लाग्या। उतने में एक गादड शेर के घर के बाहर खडा हो कै चिल्लाया - ओये शेर के पिल्ले, बाहर लिकड। शेर चुपचाप रोटी खाता रहया। गीदड फेर चिल्लाया - ओये डरपोक, के घरआली के पल्लू महै लुक रहया सै।और दो-तीन गाली भी दे दी।
शेरनी बोली - महाराज, आप जंगल के राजा हो और एक छोटा सा गीदड आपनै गाली देन लाग रहया सै, अर आप कुछ नहीं करते। शेर बोला - कोये बात ना सयानी, जाण दे। अगले दिन फेर जब शेर रोटी खाने के लिये बैठा तो वोहे गीदड बाहर आकै गाली देन लाग्या। शेरनी बोली - महाराज, आज तो इसनै मजा चखा दो। इसका तै रोज-रोज का काम होग्या। शेर बोला - सयानी, तू इसकी बातां पै ध्यान मत दे। यो ऊत बालक सै, थोडी वार बोल कै अपने आप चला ज्यागा। शेरनी - ना महाराज,  रोज-रोज नूंए होगा तो इस जंगल महै म्हारी के कद्र रह ज्यागी। अगर आप नहीं जाते तो मैं इसका शिकार करकै लाऊंगीं और इसकी भाजी बना कै बालकां नै ख्वाऊंगीं। शेर नै बहुत समझाया, लेकिन शेरनी नहीं मानी और गीदड के पीछे दौड लगा दी।
गीदड आगै-आगै और शेरनी पाछै-पाछै। भाजते-भाजते रास्ते मै एक इसा पेड खडा था जिसके दो तने लिकड रहे थे। गीदड भागते हुये उस पेड के बीच में से निकल गया। शेरनी नै तो बस गीदड दिखै था। उसनै भी छलांग लगा दी। इब शेरनी उस पेड के बीच में फंसगी। गीदड आगे तै घूम कै शेरनी के पीछे आया और शेरनी के पिछवाडे पै लात जमा दी। बेचारी शेरनी किसी तरह से छूटकर और गिरती पडती थकी हुई घर पहुंची। अन्दर घुसते ही
शेर बोला - खा आई पिछवाडे पे लात
शेरनी - एक गीदड नै मेरी के गत बनाई सै, यो बात तै जाण दो। पर आप यो बताओ के आपनै कैसे पता चला कि मेरे पिछवाडे पै पिटाई हुई है?
शेर - मेरे गेल्यां या सिचुएशन दो बार बन ली।  नूंए तन्नै समझाऊं था के उस गादड के पाछै मतना जावै।

चित्र गूगल से साभार
नोट - यह पोस्ट केवल आपको हंसाने के लिये है। किसी को आपत्ति है तो हटा दी जायेगी।

04 July 2010

तेरी बेबे का यार सूं

फत्तू तोता खरीदने गया। दुकानदार ने उसे एक तोता दिखाया और बताया कि यह तोता अंग्रेजी, पंजाबी और हरियाणवी तीन भाषायें बोल सकता है। तोते की परीक्षा लेने के लिये 
फत्तू ने पूछा - Who are you?
तोता - I am a Parrot.
फत्तू -  तुस्सी कौन हो?
तोता - मैं तोता हां।
फत्तू - तू कौन सै?
तोता - तेरी बेबे का यार सूं, साले कितनी बार बोल दिया, फेर भी तेरी खोपडी मैं बात नहीं बडती।
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एक बार चिडियाघर में एक शेर ने एक सरदारजी को मार डाला। बन्दर ने शेर से पूछा कि आपने सरदार की जान क्यों ली। शेर - तो और क्या करता, साला कब से कह रहा था - "इतनी बडी बिल्ली" 
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लडका - तुम शादी के बाद अलग घर तो नहीं मांगोगी?
लडकी - नहीं, मैं ऐसी लडकी नहीं हूं। मैं उसी घर में गुजारा कर लूंगी। बस तुम अपनी मां को अलग घर दिलवा देना।
(रिश्ता वही-सोच नयी)
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पत्नी - यह कंडोम कितने का लाये हो?
पति - दस रूपये का एक
पत्नी - कुछ सालों में मंहगाई कितनी बढ गई है। जब मैं कॉलेज में पढती थी, तब तो पांच रुपये के तीन आते थे।
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01 July 2010

जा रै प्यारे, देखे थारे, झूठे सैं ये रिश्ते सारे

यह रचना (हरियाणवी रागिनी) मेरे मित्र "कृष्ण टाया" जी की है। पसन्द आये तो साधुवाद जरूर दीजियेगा।
कवि ने पुराने समय और आज के जमाने की तुलना की है। बीते समय में रिश्तों की क्या अहमियत होती थी और आज के रिश्ते कैसे हैं। 

तर्ज - हमका माफी दई दो (किशोर कुमार)
फिल्म - राम-बलराम

जा रै प्यारे, देखे थारे, झूठे सैं ये रिश्ते सारे
जा रै प्यारे, देखे थारे, झूठे सैं ये रिश्ते सारे
भीत्तरले महै काला, मन्नै विश्वास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………

सुनी हो सावित्री एक नार, लकडहारे तै होया प्यार
यमराज वचनां मै ले कै वा छुडा लाई भरतार
आज पार्लर जावैं, कटिंग करावैं, रूस-रुस पीहर जावैं
आज पार्लर जावैं, कटिंग करावैं, रूस-रुस पीहर जावैं
पीये होये कै लावैं, साब कै भी सांस ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………

श्रवण भगत का सुना हो नाम, मात-पिता के कराये धाम
दशरथ का जब तीर लगा, उसनै लिया हरि का नाम
आज पी कै आवैं, रोब दिखावैं, बुजुर्गां पै ठहरा ठावैं
आज पी कै आवैं, रोब दिखावैं, बुजुर्गां पै ठहरा ठावैं
बहु-बेटे न्यारे होगे, कोये पास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………

रै वो तो कृष्ण काला था, सुदामा का लिकडा दीवाला था
हंस कृष्ण नै कोली भर कै, अपना यार संभाला था
आज लोक दिखावा प्यार करैं, वार करैं, जार बनै
आज लोक दिखावा प्यार करैं, वार करैं, जार बनै
हो गया घुप अंधेरा, आडै प्रकाश ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………

भाई रै मतलब के सब लोग, करै लोक दिखावा ढोंग
भाई नै आज भाई मारै, करै फेर लोक दिखावा शोक
कृष्ण टाया, नूं घबराया, के हो गयी राम तेरी माया
कृष्ण टाया, नूं घबराया, के हो गयी राम तेरी माया
तूं टोहे तै भी ना पाया
के आडै तेरा वास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………

रचनाकार - कृष्णप्रिय
ग्राम - साकरा
जिला - कैथल
फोन - 09992095096

अब यह गाना भी सुन लीजिये।