यह रचना (हरियाणवी रागिनी) मेरे मित्र "कृष्ण टाया" जी की है। पसन्द आये तो साधुवाद जरूर दीजियेगा।
कवि ने पुराने समय और आज के जमाने की तुलना की है। बीते समय में रिश्तों की क्या अहमियत होती थी और आज के रिश्ते कैसे हैं।
तर्ज - हमका माफी दई दो (किशोर कुमार)
फिल्म - राम-बलराम
जा रै प्यारे, देखे थारे, झूठे सैं ये रिश्ते सारे
जा रै प्यारे, देखे थारे, झूठे सैं ये रिश्ते सारे
भीत्तरले महै काला, मन्नै विश्वास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………
सुनी हो सावित्री एक नार, लकडहारे तै होया प्यार
यमराज वचनां मै ले कै वा छुडा लाई भरतार
आज पार्लर जावैं, कटिंग करावैं, रूस-रुस पीहर जावैं
आज पार्लर जावैं, कटिंग करावैं, रूस-रुस पीहर जावैं
पीये होये कै लावैं, साब कै भी सांस ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………
श्रवण भगत का सुना हो नाम, मात-पिता के कराये धाम
दशरथ का जब तीर लगा, उसनै लिया हरि का नाम
आज पी कै आवैं, रोब दिखावैं, बुजुर्गां पै ठहरा ठावैं
आज पी कै आवैं, रोब दिखावैं, बुजुर्गां पै ठहरा ठावैं
बहु-बेटे न्यारे होगे, कोये पास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………
रै वो तो कृष्ण काला था, सुदामा का लिकडा दीवाला था
हंस कृष्ण नै कोली भर कै, अपना यार संभाला था
आज लोक दिखावा प्यार करैं, वार करैं, जार बनै
आज लोक दिखावा प्यार करैं, वार करैं, जार बनै
हो गया घुप अंधेरा, आडै प्रकाश ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………
भाई रै मतलब के सब लोग, करै लोक दिखावा ढोंग
भाई नै आज भाई मारै, करै फेर लोक दिखावा शोक
कृष्ण टाया, नूं घबराया, के हो गयी राम तेरी माया
कृष्ण टाया, नूं घबराया, के हो गयी राम तेरी माया
तूं टोहे तै भी ना पाया
के आडै तेरा वास ना रहया
हो रिश्ता कोये खास ना रहया
जा रै प्यारे……………………………………
रचनाकार - कृष्णप्रिय ग्राम - साकरा जिला - कैथल फोन - 09992095096 |
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अब यह गाना भी सुन लीजिये।
:-) बढ़िया है!
ReplyDeleteअहा ।
ReplyDeletekoi kisi ka nahi ye jhoote nate hain. naton ka kya....
ReplyDeletekasme vaade pyaar vafa sab, batein hain, baton ka kya..
ओ छोरे! कमाल कर दिया।
ReplyDeleteमन्ने तो सोची थी के बिडियो म्हे कोई रागनी सुणावैगा। पण यो तो फ़िलमी गीत लिकड़या भाई।
किसी दिन कोई किलकी पाड़ रागणी सुणा दे तो मौज हो ज्यागी।
राम राम
कृष्णप्रिय जी ने तर्ज तो बहुत सुंदर भिड़ाई है।
ReplyDeleteबधाई।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
@ ललित शर्मा जी
ReplyDeleteजल्द ही आपको किल्की पाड रागिनी पेश की जायेगी।
प्रणाम
बहुत सुंदर जी मजे दार
ReplyDeleteबहुत बडिया धन्यवाद
ReplyDeleteयह भी सुंदर ..बढ़िया प्रस्तुति..धन्यवाद सोहिल जी
ReplyDeleteवाह, वाकई शानदार
ReplyDeletevivj2000.blogspot.com
रागिनी भी कामल सै भाई और वीडियो भी।बाकी वा किलकी पाड़ रागिनी का हमने भी इंतजार रहोगा।
ReplyDeleteप्रविष्ठी तो बहुत ही बढ़िया रही आपकी...
ReplyDeleteऔर इंतज़ार हम भी कर रहे हैं....
शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपकी पोस्ट ब्लाग4वार्ता में
विद्यार्थियों को मस्ती से पढाएं-बचपन बचाएं-बचपन बचाएं
शानदार रचना। मुझे याद आ गया फिल्म "हाथी मेरे साथी" के गाने की एक पंक्ति "मतलब की दुनिया को छोड़ के प्यार की दुनिया मे खुश रहना मेरे यार्…॥
ReplyDeleteकहां से निकाल कर लाये हो जनाब।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteअरे वाह, ये तो मैं पढ ही नहीं पाया था, बहुत सुन्दर।
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