12 December 2015

चेहरे पे चेहरा लगाये रहता हूं मैं

चेहरे पे चेहरा लगाये रहता हूं मैं
खुद से खुद को छुपाये रहता हूं मैं
नजरें मिलाई तो मुजरिम ठहराओगे
इसलिये आंखें झुकाये रहता हूं मैं

सब कहते हैं अब भुला दूं तुमको
पर खुद को ही भुलाये रहता हूं मैं
अलविदा कहके चले तो गये तुम
फिर भी आस लगाये रहता हूं मैं

वक्त की हवाओं से डूब गये सूरज भी
तेरी यादों का दिया जलाये रहता हूं मैं
चेहरे पे चेहरा लगाये रहता हूं मैं
खुद से खुद को छुपाये रहता हूं मैं

08 December 2015

मोलड बोला पत्नी से

मोलड बोला पत्नी से तू मन्नै नहीं जानती
उल्टा बोलै मेरी मां तै कहना नहीं मानती
सीता माता रामजी का साथ निभाती थी
देश निकाला पाया अर वन में भी जाती थी
पत्नी बोली फालतू मन्नै समझावै मत
ज्यादा पढावै मत, ज्ञान बरसावै मत
पढी रामाय़ण मैं इसकी हर बात में सीख सै
तीन तीन सास हों तो वहां जंगल ही ठीक सै