17 December 2012

हिन्दी ब्लॉगर्स फिर जुटेंगें

शनिवार, 29 दिसम्बर 2012 को सांपला में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। कवि सम्मेलन शाम 7:30 बजे से आरम्भ होगा। आप सबका स्वागत है। सांपला एक छोटा सा कस्बा है, जो दिल्ली - हिसार रोड  (NH-10) पर बहादुरगढ और रोहतक के बीच में बसा है। सांपला आने के लिये आपको दिल्ली करनाल बाईपास या पंजाबी बाग से पीरागढी चौक-नांगलोई-बहादुरगढ के रास्ते आना है। पूरा रास्ता बहुत बढिया बना हुआ है। पंजाबी बाग से सांपला की दूरी 40 किमी और रोहतक से 23 किमी है। रेलगाडी से आने वालों के लिये दिल्ली से शकूरबस्ती, नांगलोई, बहादुरगढ से आगे सांपला स्टेशन है। दिल्ली से सडक या रेल दोनों माध्यम द्वारा अधिकतम 1 घंटे का, 45 किमी का सफर है। 
 
कब जायें - 6:30 सायं, शनिवार, 29 दिसम्बर, 2012
कहां जायें - पंजाबी धर्मशाला, रेलवे रोड, सांपला
 
आयोजन स्थल तक आने के लिये सबसे सस्ता और सुविधाजनक वाहन रेलगाडी है। सांपला रेलवे स्टेशन से 2 मिनट पैदल चलकर आप पंजाबी धर्मशाला पहुँच सकते हैं।
 
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आप मुण्डका तक मैट्रो रेल से भी आ सकते हैं। मुण्डका मैट्रो स्टेशन से आपको बहादुरगढ और सांपला के लिये बसें, जीप आराम से मिल जायेंगी। बहादुरगढ से निकलने के बाद आपको बायीं तरफ कनक ढाबा दिखाई दे तो समझ जाईयेगा कि आप सांपला में प्रवेश कर चुके हैं। कनक ढाबा से थोडा आगे चलते ही सांपला नगरपालिका का स्वागत करता हुआ दरवाजा दिखाई दे जायेगा। या कनक ढाबा से 2 किमी आगे आपको जो भी मोड दायीं ओर जाता दिखे, उसी पर मुड जाना है।
आप अपने आगमन की सूचना टिप्पणी, ईमेल या फोन (9871287912) द्वारा जल्द से जल्द दें, ताकि आपके सोने, खाने, आराम आदि की व्यवस्था सामर्थ्यानुसार की जा सके। 
अपने आने की सूचना देने वाले ब्लॉगर्स की सूची अभी तक इस प्रकार है -

डॉO टी एस दराल जी (अंतर्मथन) (मुख्य अतिथि)
ठाकुर पद्मसिंह जी  (अतिथि प्रस्तुति)
श्री मुकेश कुमार सिन्हा जी (मेरी कविताओं का संग्रह, जिन्दगी की राहें)
श्री शाहनवाज जी (प्रेमरस, तिरछी नजर)
श्री कमल कुमार सिंह जी (नेता, नारद)
श्री राजेश सहरावत जी
श्री दीपक डुडेजा जी (दीपक बाबा की बक बक, मेरी नजर से…)
श्री नीरज जाटजी (मुसाफिर हूँ यारों, घुमक्कडी जिंदाबाद)
श्री रतनसिंह शेखावत जी (ज्ञान दर्पण, आदित्य) 
श्री राजीव तनेजा जी (हँसते रहो, जरा हट के-लाफ्टर के फटके)
 


20 October 2012

तीसरा हास्य कवि सम्मेलन

सांपला सांस्कृतिक मंच द्वारा तीसरा अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन शनिवार 29 दिसम्बर 2012 को सांपला में आयोजित किया जायेगा। प्रसिद्ध ब्लॉगर, मेडिकल डॉक्टर, न्युक्लीअर मेडीसिन फिजिसियन-- ओ आर एस पर शोध में गोल्ड मैडलिस्ट-- एपीडेमिक ड्रोप्सी पर डायग्नोस्टिक क्राइटेरिया -- सरकार से स्टेट अवार्ड प्राप्त-- दिल्ली आज तक पर --दिल्ली हंसोड़ दंगल चैम्पियन -- नव कवियों की कुश्ती में प्रथम पुरुस्कार से सम्मानित डॉo टी एस दराल जी विशिष्ट अतिथि होंगें।  स्वामी प्रकाश यात्री जी द्वारा उनके अपने विशेष अंदाज में गीत गजल भी सुनाई जायेगी।

आमंत्रित कवि (संभावित)
  1. शंभूसिंह मनहर (खरगौन)
  2. अली हसन मकरेंडिया (गाजियाबाद)
  3. बलबीर सिंह ’खिचडी’ (देहरादून)
  4. पापुलर मेरठी
  5. दीपिका माही (चितौडगढ)
  6. ठाकुर पद्मसिंह  (दिल्ली)

13 June 2012

फत्तू और भतेरी के किस्से

भतेरी - फत्तू, यो सीनियर और जूनियर का मतलब के होवै सै
फत्तू -  भतेरीईईईई, समुन्द्र के धोरै (नजदीक) रहण आलां नै सीनियर (Sea+Near) अर जो चिडियाघर के नजदीक रहवैं सै उननै जूनियर (Zoo+Near) कहया करैं
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फत्तू - मैं तुम्हें प्यार करता हूं
भतेरी - मगर मैं किसी और से प्यार करती हूं
फत्तू (थोडी देर तक भतेरी को गुस्से से देखने के बाद) - तेरी मां नै बताऊंगा
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फत्तू को नौकरी से निकाल दिया गया तो वो बॉस के घर के सामने पॉटी करने लगा। 
क्यों?
ये बताने के लिये कि वो भूखा नहीं मर रहा है।
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11 April 2012

अब उनकी पोस्टों पर सैंकडों टीप आती हैं

टिप्पणी की घडी से चलती है पोस्ट की घडी ले आये हैं हम आपको टिप्पल दरबार में
टिप्पणी की शक्ति जब होती है सजीव तो स्वयं बनती जाती हैं पोस्ट्स

बाबाजी के दरबार में भी हुआ कुछ ऐसा ही संगम ब्लॉगर्स और फेसबुकियों का
जी हां बाबाजी हमेशा ही अपने भक्तों को टिप्पणी रुपी संपदा से भर देते हैं और उनके उजडे ब्लॉग को हरा भरा कर देते हैं।
टिप्पल बाबा
ये हमेशा आप उस....उस शक्ति की शक्ति को मानते हुये चलियेगा तो आपको किसी चीज की जरुरत नहीं। फिर वही ब्लॉगर मित्र जो आपको या ब्लॉग को छोड कर चले गये और दूसरे मठ के विरोधी ब्लॉगर आपके ब्लॉग पर बहुत सुंदर लिखा, बढिया पोस्ट और शुभकामनायें की टिप्पणियां लेकर आने लगते हैं।

जिनमें अहम आ जाता है, जिन्हें कोई सम्मान मिल जाता है वो नाचने लगते हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता कि जब शक्ति ने नचाया तो नाचते रह जाओगे। सैंकडों आई हुई टिप्पणियां उन्हें गरीब ब्लॉग्स को भी बांटनी चाहिये। उनको उसका इस्तेमाल सही करना चाहिये ताकि कृपा उनपर भी आये।

जो ब्लॉगर ये समझते थे कि उनकी पोस्ट में कुछ नहीं है और दूसरे उनकी पोस्ट को बिना पढे निकल जाते थे। वो क्या था कि वो कृपा नहीं थी और अब उनकी पोस्टों पर सैंकडों टीप आती हैं और हजारों फॉलोवर हो गये हैं। जो काम 4-5 सालों में नहीं हो रहा था, वो 4-5 महिनों में कैसे हो गया? वो कुछ नहीं हुआ, वो शक्तियों की कृपा साथ जुड गई। और वो कृपा जब साथ जुडती है तो सिर चढ के बोलती है, पर उसका पात्र जरुर बनना पडता है। बिना इसके आप कहीं भी प्रचार करते रहिये कोई फायदा नहीं होता।

कुछ लोग सोचते हैं कि पोस्ट भी ना पढें और कृपा हो जाये, ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन जो ईमानदारी से पढते हैं और दसबन्ध की दस टिप्पणियां देते हैं उनका ब्लॉग हिट हो जाता है।


अगली किस्त में टिप्पल बाबा समागम में आये हुये ब्लॉगर भक्तों की समस्यायें सुनेंगें और समाधान बतायेंगें। एकदम सरल और आसान उपाय जिनके करने से आपके ब्लॉग पर टिप्पणियों की मूसलाधार वर्षा होने लगेगी।  

नोट :- हमारे जैसे मिलते-जुलते नामों वाले और टीवी पर आने वाले पाखंडी बाबाओं से बचें।
         

13 February 2012

बुड्ढे तेरी तो लॉटरी लग गई



वेलेंनटाईन पर टैडी गिफ्ट करने पर
मुम्बई की लडकी - ओह! सो क्यूट
दिल्ली की लडकी - थैंक्स बहुत प्यारा है
लखनऊ की लडकी - हाय अल्लाह कितना खूबसूरत है
चण्डीगढ की लडकी - ओ जी किन्ना सोना टैडी
रोहतक की लडकी - यो के बांदर सा ठा लाया ?
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एक पिकनिक टूर पर बस में अन्ताक्षरी खेलने के लिये लडकों और लडकियों की अलग-अलग टीम बन गई।
लडकियां - हम तुम्हें हरा कर दिखायेंगें।
लडके - हम हार गये, चलो अब दिखाओ।
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अध्यापिका - अगर मैं दो दिन के लिये तेरी मां बन जाऊं तो तुझे सुधार दूंगी।
शरारती छात्र - मैम मैं आज ही जाके बापू को बोल देता हूं कि बुड्ढे तेरी तो लॉटरी लग गई।
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अध्यापक - सेमेस्टर सिस्टम के फायदे बताओ।
छात्र - फायदे तो पता नहीं पर बेइज्जती साल में दो-बार हो जाती है।
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गजल और लैक्चर में फर्क
गर्लफ्रेंड जो कहती है गजल लगता है और पत्नी जो कहती है लैक्चर लगता है।
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संता - वो मेरी नहीं हो सकती तो किसी की भी नहीं होगी।
बंता - अगर तेरी हो जायेगी तो क्या सबकी हो जायेगी।
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सुहागरात वाली रात पति ने पत्‍नी से कहा - मैं शादी से पहले कई औरतों के साथ सो चुका हूं।
पत्‍नी ने शरमाकर जवाब दिया - जब कुंडलियां मिली हैं तो आदतें कहां जायेंगी।
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बाकियों ने तो सोने ही नहीं दिया 
सोच और वहम का फर्क 
बिल्कुल अपने बाप पर गया है
तुम भी ना बस बुरा मान जाते हो
कितना गंदा सोचती हो तुम
तेरी बेबे का यार सूं

06 January 2012

पद्मसिंह जी बार-बार सांप ला आना होगा

20 तारिख तक मौसम खुशगवार था, लेकिन इस हफ्ते से एकदम वरुण देवता ने अपनी ताकत दिखानी शुरु कर दी थी। किसी को गीला तो नहीं कर रहे थे, पर बादलों को लाकर सूर्यदेव के साथ अठखेलियां करने लगे। हमने भी सूर्यदेवता को धमकी भरा निमंत्रण :) {कभी आपको भी दूंगा, तब जानेंगे} भेज दिया कि 24 तारिख 2011 को 11:00 बजे से ब्लॉगर मिलन है और आपको सबसे पहले सांपला पहुंच जाना है, वर्ना आप हिन्दी ब्लॉगर्स की ताकत जानते ही हैं। सूर्यदेव ने डर के मारे (गुंजाईश कम ही है) या प्यार में हमारी बात मान ली और सुबह 8:00 बजने से पहले ही सांपला में रश्मियों का यान उतार दिया। सभी आये हुये ब्लॉगर्स गवाह हैं कि जबतक ब्लॉगर मीट चली तबतक सूर्यदेव वहां से हिले तक नहीं और सुनहरी धूप खिली रही थी।

11:00 बजते ही ब्लॉगर्स का आना शुरु हो गया था। इस बारे में सबसे पहले सांपला पहुंचे जाट देवता की पोस्ट में आप पढ ही चुके होंगें। राजेश सहरावत जी आयोजन स्थल के सामने से आगे निकल गये थे। उनका फोन आया तो मैं बाथरुम में था और नहाते-नहाते ही उन्हें रास्ता समझाया और रोशनदान से झांकते हुये उनकी गाडी को देखा, फिर गाडी के पास से गुजरते संजय भास्कर जी, केवलराम जी और जाट देवता (यहां जी नही लगाना पडता है) को देखा और राजेश जी को फोन पर कहा - "ब्रेक" :)
राजेश जी स्तब्ध थे, पूछ रहे थे कि मैं कहां हूं और मैं बाथरूम में था। फिर उन्हें कहा कि ये तीन तिलंगे भी ब्लॉगर्स हैं पकड लो इन्हें:) हा-हा-हा राजेश जी की गाडी गन्नों और रेवडीयों से भरी हुई थी। गन्ने मेरी फरमाईश और रेवडियां नीरज जाटजी के लिये थी। लेकिन नीरज जाटजी के ना आने से मेरे साथ राजेश जी का चेहरा भी उतरने लगा था।

2 मिनट में तैयार होकर (मुझे कौन सा मेकअप करना होता है) सबसे मिला और राज भाटिया जी को फोन लगाया कि बडी देर कर दी मेहरबां आते-आते। धीरे-धीरे सब जुटने लगे थे। मिलने-मिलाने का मजा आने लगा था, फिर भी कुछ लोगों के (जिन्होंने आने का वायदा किया था) इंतजार में मेरा खून सूखने लगा था।  डॉo रूपचंद्र शास्त्री जी का फोन बजता रहा, लेकिन उन्होंने पिक नही कियादिनेशराय द्विवेदी जी (बारहा में ये शब्द और द्वारा लिखना कोई सिखा दे मुझे, मेहरबानी होगी) अस्वस्थ थे फिर भी इंतजार था। डॉo टी एस दराल जी का तो खासतौर पर इंतजार था, क्योंकि उनसे तो मंच पर बहुत सारी व्यंग्य रचनायें सुननी थी। (डॉo  साहब के मन में कुछ है, जाने कब बतायेंगे, ना आने का कारण)

उपरोक्त के अलावा जिनका बहुत इंतजार रहा  -

जिनके आने से सांपला में बहार आ गई  -
इंदुपुरी जी, (इंदु मां, आपकी प्रेम ऊर्जा और ममता से सांपला सराबोर हो गया)
अंजु चौधरी जी, (आभार मेरे बुलावे का मान रखने के लिये)
वन्दना जी, (आभार मेरे बुलावे का मान रखने के लिये)
सर्जना शर्मा जी, (हैरत हुई थी एकबार, सोचा भी नहीं था कि आपके दर्शन हो जायेंगें)
संजू तनेजा जी, (आभार मेरे बुलावे का मान रखने के लिये)
कंचन भाटिया जी,  (आपको तो मेरा पूरा परिवार याद रखेगा)
राकेश गुप्ता जी, (जर्मनमेड लट्ठ मंगवा लीजिये, राकेश जी ने आपको मुझसे बातें ही नहीं करने दी) 
राकेश गुप्ता जी (आपसे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा, काश आप थोडी देर और रुकते)
राज भाटिया जी (आपका आशिर्वाद और प्यार यूं ही बना रहे)
कुंवर जी, (बोलते बहुत कम हो और अब लिखना भी कम कर दिया भाई, क्यों?)
अजय झा जी,  (आपसे मिलना मेरी खुशी दोगुनी कर देता है)
कनिष्क कश्यप जी (आपने तो चौंका ही दिया)
खुशदीप सहगल जी (आपको बिना पढे हिंदी ब्लॉग पढना अधूरा मानता हूं मैं)
महफूज अली जी (कितनी ही ब्लॉगर्स मीट में आपका इंतजार किया गया है, जानते हैं आप?)
संजय अनेजा जी (ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की; बडी आरजू थी मुलाकात की)
राजीव तनेजा जी (किसी ना किसी दिन तो आपकी पूरी एक पोस्ट जरूर पढ पाऊंगा)
जाट देवता (संदीप पवाँर) जी (आपका साथ बहुत प्यारा है)
संजय भास्कर जी (आभार, आपने आकर मेरा मान बढाया)
कौशल मिश्रा जी (दीपक बाबा की बक-बक अकेले-अकेले सुनते रहे आप)
दीपक डुडेजा जी (आपतो सबको लेकर चले गये, हम अकेले और बॉटली दो, बस पडे रहे और पिये गये  )
आशुतोष तिवारी जी (गरीब का दिल दुखाकर गये थे ना, आपकी गाडी समझ गई थी)
मुकेश कुमार सिन्हा जी (कवि सम्मेलन के लिये भी रुकते तो और भी ज्यादा खुशी होती)
राजेश सहरावत जी (ब्लॉग लिखना शुरू कर दीजिये और गन्ने अगली बार भी लाने होंगें)
पद्मसिंह जी (आपके बिना अगला कवि सम्मेलन अधूरा रहेगा, सांपलावासियों की डिमांड हैं अब आप)
अतुल महाराज जी (तुम्हारी जाऊं-जाऊं ने हमारा दम निकाला है)
सुशील गुप्ता जी (तेरी मुस्कुराहटों पे हूं निसार)
केवलराम जी  (अगली बार आओगे तो डॉo  केवलराम बुलायेंगें हम आपको)
शाहनवाज जी (आप नहीं आते तो बहुत कमी महसूस होती)
अलबेला खत्री जी (आप नाम से क्या काम से भी अलबेले हैं)
यौगेन्द्र मौद्गिल जी (मंत्रमुग्ध हैं अभी तक सांपलावासी)
कमल कुमार सिंह जी (कितनी परेशानियां उठाकर आये और वापिस भी चले गये, शर्मिंदगी महसूस कर रहा हूं, कि आपसे ढंग से मिल भी नहीं पाया)

और जिन्होंने इस उत्सव को मिस करने का अफसोस जताया है -

दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi ने कहा…
बहुत कुछ छूट गया है। सांपला आना तय था। अकेले भी नहीं पत्नी और बेटी के साथ। लेकिन महिने के आरंभ में हुई हर्पीज और ठीक 22 दिसंबर की रात को नाक में हुए संक्रमण ने आना निरस्त कर दिया। उस रात भर नाक में जलन से सो नहीं पाया। दूसरे दिन डाक्टर की दवा से कुछ आराम मिला। 24 को दुपहर जब आप लोग मिल रहे थे राज जी का फोन आया था। लेकिन अपनी विवशता ही दर्ज करा सका। हमारे यहाँ स्थाई वार्षिक मेलों की परंपरा है. जिन में लोग मिलते हैं, इसी कारण उन्हें मेला कहा जाता है। सांपला वास्तव में ब्लागर मेला स्थल बन गया है यदि इस का दिन भी तय कर दिया जाए तो इसे मेले का स्वरूप दिया जा सकता है। कविसम्मेलन वहाँ के स्थानीय लोगों को जोड़ ही रहा है। सबी ब्लागर केवल ब्लागर नहीं हैं। अपने अपने फन में माहिर भी हैं। यदि उन के फन की नुमाइश का इंतजाम भी हो तो 25 दिसंबर इस मेले के लिए उपयुक्त समय है। सब के लिए अवकाश का समय भी होता है।
आदरणीय दिनेशराय जी आपकी बात बहुत पसन्द आयी और यही विचार श्री राजीव तनेजा जी और राज भाटीया जी ने भी दिया है। बल्कि ये दोनों सज्जन तो सांपला सांस्कृतिक मंच के सदस्य बन कर इस आयोजन में सहभागी होना चाहते हैं। आशा है कि अगली बार  का ब्लॉगर्स मेला जबरदस्त होगा। इससे एक फायदा यह भी हो सकता है कि सभी प्रोफेशनल कवियों (जैसे इस बार बुलाये गये थे) कि बजाय केवल 2-3 कवि व्यवसायिक हों और कम से कम 6-7 ब्लॉगर्स कवियों को सुनने का मौका मिले। इस बार कवि सम्मेलन में श्री पद्मसिंह जी ने हमारे विशेष आग्रह पर एक कविता सुनाई जो सांपलावासियों को बहुत-बहुत पसन्द आयी और पद्मसिंह जी को अगली बार के लिये अभी से बुक किया जाता है।