27 November 2010

मो सम इस्टाईल में फत्तू और वीडियो डालने की कोशिश

मैट्रो वालों ने महिलाओं से बिना मत या सर्वेक्षण कराये महिलाओं के लिये बोगी आरक्षित कर दी है। नये जमाने की लडकियां जो 2-3 घंटे ड्रेसेस को चुनाव करने और सजने संवरने में लगा कर कानों में मोबाईल के कान कव्वे (ईयरफोन) लगाये कॉलेज/ऑफिस जाती हैं, उनको केवल महिलायें ही देखें तो इससे उनके दिल पर क्या बीतती होगी, उन्होंने कभी नहीं सोचा। जो अपने नये-नये पति, ब्वॉयफ्रेंड या पुरूष दोस्त के साथ होती हैं, उन्हें तो महिला बोगी से जबरदस्त चिढ है। मैट्रो वालों को क्या पता कि ये विछोह के पाँच-दस मिनट कितने तकलीफदेह होते हैं। दिल ही नहीं है, इन मैट्रो वालों के सीने में। फिर आगे वाली बोगी तक जाने के लिये भी एक-दो ट्रेन छोड देनी पडती है। इस भागमभाग की जिन्दगी में इतना समय किसके पास है।

कुल जमा चार बोगी हैं मैट्रों ट्रेन में। एक सबसे आगे वाली महिलाओं के लिये आरक्षित कर दी।  उसमें जगह ज्यादातर खाली रहती है और बाकि तीन खचाखच।  
छोडो जी हमें क्या, हमें तो वैसे भी प्रवीण यान (ये शब्द श्री रामत्यागी जी से) में सफर या सफ़र करना होता है। मो सम स्टाईल में फत्तू को और वीडियो को डालने की कोशिश की है जी, बताईयेगा जरुर कि कौआ, हंस की चाल में कैसा दिखता है।

रेल में फत्तू का पैर एक लडकी के पैर पर रखा गया। 
लडकी - काट दिया, काट दिया
फत्तू - के काट दिया, क्यूं गला पाड री सै
लडकी - मेरा पैर काट दिया तुमने
फत्तू - क्यूं ताती (गर्म) हो री सै, इतनी भीड म्है पैर ना तै के प्लॉट कटैंगें

आप तो ॠचा शर्मा की खूबसूरत आवाज में ये खूबसूरत गजल सुनो जी

24 November 2010

रेलगाडी या जिन्दगी और रलदू फत्तू की रेलयात्रा

18 वर्ष हो गये जी प्रतिदिन 4 घंटे की रेलयात्रा करनी ही पडती है। अब क्या-क्या करता हूँ, कैसे बताऊं। लेकिन कभी-कभी यूं लगता है जिन्दगी भी रेलगाडी की तरह  दौडी जा रही है। किसी यात्री से मधुर सम्बन्ध हो जाते हैं, तो किसी से मनमुटाव। कोई बीच स्टेशन से चढता है तो कोई रास्ते में छोडकर उतर जाता है। कभी बैठने की जगह नहीं मिलती तो क्रोध या दुखी हो जाता हूँ। और कभी खाली सीटें होने पर भी खडे-खडे सफर करने में आनन्द आता है। कभी अचानक कोई सीट मिलने से खुशी होती है, तो कभी दूसरे की सीट हथियाने का लालच आता है। कभी ऐसा लगता है कि पूरी सीट पर अकेला ही कब्जा जमाये रहूं। देखता रहता हूँ जी खिडकी में बैठा-बैठा अपने और रेलगाडी दोनों के बाहर और भीतर  के नजारे।

एक बै रेल म्है बैठे दो आदमी आपस मऐ बात करण लागरे थे। 
पहला - आप कित तै आ रहये सो?
दूसरा - रोहतक सै
पहला - कमाल सै, मैं भी रोहतक सै आया सूं। कित जाओगे?
दूसरा - दिल्ली जाऊंगा
पहला - कमाल सै, मैं भी दिल्ली जाऊंगा। दिल्ली मैं कित जाओगे?
दूसरा - शालीमार बाग
पहला - कमाल सै, मैं भी शालीमार बाग जाऊंगा। कित ठहरोगे?
दूसरा - उडै मेरे रिश्तेदार का घर सै, उनके ब्याह म्है जाऊं सूं।
पहला - कमाल सै, मेरे रिश्तेदार का घर भी उडये सै, मैं भी उनकै शादी म्है जाऊं सूं। रोहतक म्है कित रहो सो?
दूसरा - सुभाष नगर म्है 150 नम्बर मेरा मकान सै
पहला - कमाल सै, मेरा मकान भी सुभाष नगर म्है 150 नम्बर सै
इनकी इतनी बातें सुनकर मैं बोल पडा भाई साहब जब आप एक ही मकान में रहते हैं, एक ही जगह पर शादी में जा रहे हैं। क्या आप एक दूसरे को नहीं जानते?
पहला - भाई मेरे, हम दोनों तो रेलगाडी म्है टाईम पास करण खातर बात करयां सां। मेरा नाम सै रलदू और यो मेरा बेटा सै फत्तू। 

रलदू और फत्तू आपको पसन्द आयें हैं तो नीचे चटकाईये :

23 November 2010

अंधी आँखें गीले सपने

रोहतक ब्लॉगर मित्र स्नेह मिलन खुशी खुशी सम्पन्न हुआ। ये तो आपको पता ही है कि कौन-कौन इस मिलन में आया। सभी मेरे पसन्दीदा ब्लॉगर थे। बहुत से ब्लॉगर चाहकर किन्हीं कारणों से उपस्थित नहीं हो पाये। इस बात का ना आ पाने वालों और आने वालों सभी को खेद है। खैर वक्त के आगे किसकी चलती है। कब क्या हो जाये, कोई नहीं जानता।

"वक्त की हर शह गुलाम, वक्त का हर शह पे राज"

यह मिलन आयोजित करवाने के लिये मैं श्री राज भाटिया जी का, अपना अमूल्य समय निकाल कर आये सभी उपस्थित ब्लॉगर्स का और श्री यौगेन्द्र मौद्गिल जी का आभार व्यक्त करता हूँ। आप सबके साथ बैठकर मुझे खुद पर गर्व महसूस होने लगा है। श्री यौगेन्द्र मौद्गिल जी ने सभी उपस्थित ब्लॉगर्स को अपनी कुछ गजलों और गीतों के संग्रह से सजी अमूल्य पुस्तक "अंधी आँखें गीले सपनें" भेंट की है। मेरे लिये यह अमूल्य है, क्योंकि मैनें आज तक बहुत सारे उपहार पाये हैं। लेकिन एक कवि के हाथों, उनकी ही पुस्तक मय उनके सस्नेह ऑटोग्राफ सहित पहली बार पाया है। मुझे नहीं पता कि उन्हें किस प्रकार धन्यवाद दूं।


उनके इसी संग्रह से पंक्तियां
"हर यार हो दिलदार, जरूरी तो नहीं है,
मिलता ही रहे प्यार, जरूरी तो नहीं है।
हमको तो ऐब एक है बस प्यार का मियां,
वो भी तो करें प्यार, जरूरी तो नहीं है॥"

ब्लॉगर बनने के बाद मुझे जो आप सबसे प्यार मिल रहा है, उसने मुझमें भी प्यार का ऐब पाल दिया है। श्री राज भाटिया जी आपका कैसे शुक्रियादा करुं, आपसे मिले प्यार के लिये। भावुक हो रहा हूँ…………

जिन ब्लॉगर मित्रों को आने में कोई आकस्मिक कठिनाई या कार्य नहीं था, वो क्यों नहीं आये? क्या इसलिये कि राज भाटिया जी ने एन्टरी फीस (Entry Fees) रख दी थी। क्या छोटी सी मुस्कान भी आपके पास भरपूर नहीं है।   

Hindi kaise likhe, hindi writing, hindi writer

ऊर्वशी और  लंकेश लक्ष्य के स्कूल से जो नोट वगैरा लिखे आते हैं या इम्तिहान की तैयारी आदि के लिये टेस्ट पेपर आते हैं, उन पर अध्यापक/अध्यापिकायें अंग्रेजी तो टाईप कर देते थे, लेकिन हिन्दी का मैटर हाथ से लिखकर देते थे।  कारण पूछने पर बताया गया कि उन्हें हिन्दी टाईपिंग नही आती है। फिर मैं कुछ दिन पहले स्कूल में गया, स्कूल के कम्पयूटर पर हिन्दी राईटर इंस्टाल किया और अध्यापकों को सिखा/बता कर आया हिन्दी में कैसे लिखा जाये। आज मेरे सहयात्री मित्र श्री सुशील गुप्ता जी ने फोन करके पूछा कि मैं कम्पयूटर पर हिन्दी कैसे लिख सकता हूँ। कुछ दिन पहले एक मित्र श्री विनोद जी ने भी यही पूछा था। अब मैनें सोचा कि हिन्दी राईटर पर एक पोस्ट ही लिख दी जाये, ताकि भविष्य में किसी के पूछने पर सीधे पोस्ट का लिंक दिया जा सके। आशा है यह पोस्ट किसी के काम आयेगी।

हिन्दी लि्खने के लिये बहुत सारे औजार हैं, परन्तु मेरा मानना है कि नवांगतुकों के लिये "हिन्दी राईटर : द फोनेटिक हिन्दी राईटर" हिन्दी लिखने का सबसे आसान औजार है। लेकिन इसमें इंस्टालेशन करने पर थोडा लैंग्युएज सैटिंग्स में बदलाव करना पडता है। यहीं नये लोगों को थोडा मुश्किल आती है। इसके बाद स्पैलिंग चैक और ऑफलाइन/ऑनलाइन लिखने में बहुत आराम है। मैं स्वयं हिंदी राईटर का उपयोग करता हूँ, बाकियों को आज़माया नहीं है।
पोस्ट लिखते-लिखते हिन्दी राईटर के डाऊनलोड लिंक के लिये सर्च करने गया तो आदरणीय बी. एस. पाबला जी के ब्लॉग का यह पेज टिप्पणी में, एक्सेल में, वर्ड में, नोटपैड आदि में हिंदी कैसे लिखें सामने आ गया। अब आप इसे पढिये और हिन्दी लिखिये। काहे मुझसे मेहनत करवा रहे हैं। बिना पूछे कॉपी पेस्ट कर रहा हूँ। गुस्सा करेंगें तो क्षमायाचना सहित हटा दूंगा।
नोट – इंस्टालेशन से पहले अपने पास ऑपरेटिंग सिस्टम यानि विंडोज की सीडी जरुर रखें, जरुरत पड सकती है।




तो देखा जाए इसका इंस्टालेशन
हिंदी राईटर की एक वेबसाईट होती थी। वह अब बंद हो चुकी लेकिन इसे अभी दो विश्वसनीय स्थानों से डाउनलोड किया जा सकता है। पहली लिंक है इसके संस्करण 1.4a की यहाँ, दूसरी लिंक है इसके 1.4b संस्करण की यहाँ । 1.4b अधिक सुधरा रूप है। वैसे तो डाउनलोड की गई फाईल से इंस्टालेशन किए जाने पर कोई दिक्कत नहीं होती किन्तु किसी किसी कम्प्यूटर में यह ऑपरेटिंग सिस्टम वाली सीडी की माँग करता है।
इंस्टालेशन के बाद यह स्वयं ही आपको Regional and Langauge Options Langauge टैब पर ले जाता है।

आवश्यकता हो तो, आप यहाँ स्वयं भी जा सकते हैं बाद में। वहाँ Supplemental Langauge Support के अंतर्गत Install files for complex script and left to right langauges (Included Thai) को चुन लें तथा Apply पर क्लिक करें। एक चेतावनी दिखेगी उसे OK कर दें।

हो सकता है पूरी प्रक्रिया चुपचाप खतम हो जाए या फिर सीडी डालने को कहा जाए! सीडी को ड्राईव में डाल कर कुछ सेकेंड बाद आगे बढ़ने की अनुमति दें। पूछे जाने पर कम्प्यूटर Restart करें।
जब कम्प्यूटर पुन: शुरू होगा तो एक आईकॉन दिखेगा।

इसे क्लिक किए जाने पर नीचे टास्क बार में लाल रंग की पृष्ठभूमि में लिखा हुआ दिखेगा।

अब अपने की-बोर्ड पर Shift दबाए रख कर Pause को एक बार दबा कर छोड़ देंगे तो यही , हरे रंग की पृष्ठभूमि में दिखेगा।

पुन: की-बोर्ड पर Shift दबाए रख कर Pause को एक बार दबा कर छोड़ देंगे तो एक बार फिर लाल रंग की पृष्ठभूमि में अ लिखा हुआ दिखेगा।
जब तक हरे रंग की पृष्ठभूमि रहेगी, आपके द्वारा की-बोर्ड से हिंदी लिखी जा सकेगी, जब पृष्ठ्भूमि लाल होगी तो अंग्रेजी लिखी जा सकेगी। एक ही पृष्ठ पर आप इसे सैकड़ों बार इसे बदल सकते हैं। यदि Shift + Pause में सहूलियत न हो तो इसी वाले आईकॉन पर राईट क्लिक कर Toggle Transliterator को चुन कर भी यही कार्य किया जा सकता है।

हिंदी लिखने के लिए अक्षरों का पूरा खाका ऊपर सबसे पहले चित्र में है। जैसे जैसे आप की-बोर्ड पर टाईप करते जाएँगे, वैसे वैसे शब्द बनते चले जाएँगे। एक सुविधा भी है इसमें कि यह आपके टाईप किए जा रहे अक्षरों के आधार पर शब्दों को सुझाते जाता है और आप उन्हें एक क्लिक में चुन सकते हैं।
जैसे कि, यदि आप लिखना चाहेंगे समस्याएँ तो सम लिखते ही दाँई ओर एक सूची आते जाएगी, छोटी बड़ी होती हुई। अब समस लिखते ही 26 शब्दों की सुझाव-सूची में 21वें तथा 22वें स्थान पर क्रमश: समस्याएँ व समस्याएं लिखा दिखेगा। अब यदि आपको समस्याएँ लिखना पसंद है तो समस लिखने के तुरंत बाद 21 लिख कर की-बोर्ड का स्पेस-बार दबा दें, अपने आप ही समस्याएँ लिखा जाएगा! यदि 22 लगा देंगे तो समस्याएं लिखा जाएगा!!

कुछ उदाहरण देखिए
  • समस21 = समस्याएँ
  • समस22 = समस्याएं
  • कि2 = किंकर्तव्यविमूढ़
  • हि8 = हिंदुत्ववादी
  • रा13 = राइबोन्यूक्लिएस
  • म25 = मँडराऊँगी
  • द17 = दंडस्वरूप
  • प14 = पंखुड़ियों
  • भ16 = भंडारकर्मी
  • क19 = कंक्रीटयुक्त
  • ष2 = षड़यंत्रकारियों
  • च11 = चंडीगढ़
अगर आप चाहें तो इसे निष्क्रिय भी कर सकते हैं, राईट क्लिक मीनू मे Disable Word Lookup चुन कर। सक्रिय करना हो तो Enable Word Lookup
इसका प्रयोग कर आप माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, एक्सेल, पावरपॉइंट, नोटपैड, जीमेल, याहूमेल, याहू मैसेंजर, जीटाक, पर सीधे हिंदी लिख सकते हैं। HTML कोड्स के बीच हिंदी लिख सकते हैं। ब्लॉग पर पोस्ट लिख सकते हैं। टिप्पणी कर सकते हैं। पोस्ट लिखते हुए ध्यान रखें कि ब्लॉगस्पॉट का हिंदी लिप्यांतरण सक्रिय न हो। थोड़े से अभ्यास से आप कठिन शब्द भी सरपट लिख सकते हैं। यदि वर्ड आदि पर लिख रहे हों तो इसका वर्तनी Spelling जाँच करने का तंत्र भी आपकी सहायता करेगा। कोई समस्या हो तो यहीं टिप्पणी कर पूछ लें ताकि बाकी साथियों को भी जानकारी हो सके।

21 November 2010

फत्तू की सलाह

जिन्दगी में जब कभी कदम लडखडायें, 
आँखों के आगे सबकुछ घूमता दिखने लगे 
और गिर भी जाओ तो घबराना मत, 
हिम्मत मत हारना
खुद पर हौंसला रखना
और खडे होकर एक आवाज लगाना
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
…………?
वेटर! एक पैग और

19 November 2010

एक मीट वो थी और एक ये है

पिछली बार जब श्री राज भाटिया जी जब भारत आये थे, तब भी तिलयार झील रोहतक में एक ब्लॉगर मीट हुई थी। उस मीट में शामिल हुये थे केवल तीन ब्लॉगर, श्री राज भाटिया जी, श्री नीरज जाटजी और मैं।  उस समय सोचा भी नहीं था कि जल्द ही यहां पर एक अन्तर्राष्ट्रीय ब्लॉगर मित्र स्नेह मिलन होगा।
दो वर्ष पहले जब मैं ब्लॉगिंग नाम की शह के चंगुल में फंसा था तो पूरे-पूरे दिन दो ब्लॉग्स की नई व पुरानी सभी पोस्ट्स पढता रहता था। एक  रामपुरिया का हरियाणवी ताऊनामा  और दूसरा पराया देश उसी समय एक बार मैंनें स्वप्न में ताऊजी, श्री ज्ञानदत्त पाण्डेय जी और ??? (तीसरी हस्ती का नाम याद नहीं है)  से  मुलाकात की थी। (अब लगता है कि ख्वाबों की ताबीर हकीकत के साँचे में ढलकर सामने आने वाली है।) शायद आपको भी ऐसा ही नशा चढा हो। फिर उन्मुक्त, "उडनतश्तरी" और  "सारथी" की सभी पोस्ट्स लगभग चार महिनों में पढ डाली।
परम आदरणीय श्री समीरलाल जी और श्री ताऊ रामपुरिया जी के लिये खासतौर पर लिख रहा हूँ।
“ख्वाबों की कसम, तुझको ख्यालों की कसम है
आजा के तुझे चाहने वालों की कसम है।”
गूगल से साभार
21 नवम्बर, 2010, रविवार को सुबह 10 बजे से जबतक आप चाहें यह ब्लॉगर स्नेह मिलन तिलयार लेक, रोहतक में  श्री राज भाटिया जी द्वारा आयोजित है। आप सबके लिये ये पंक्तियां 
"महफिल सजी है आजा, के तेरी कमी है आजा" 

16 November 2010

मजाक-मजाक में महिला सशक्तिकरण से सामना

कुछ पैसे देते जाओ।
कितने?
100-200, जितने मर्जी दे दो।
शाम को दूंगा।
अभी चाहियें, वर्ना जाने नहीं दूंगी।
अच्छा ये लो, अब जाने दो।
image
यार, ये देखो मेरे जूते कितने गंदे हो रहे हैं। क्या तुम इन्हें साफ नहीं कर सकती।
बीवी हूँ तुम्हारी, नौकरानी नहीं।
तो क्या बीवियां पति के जूते साफ नही करती हैं, यार वाशिंग मशीन में डाल दिया कर।
करती होंगी, लेकिन मुझसे जूते साफ करवाओगे तो मेरी सैंडिल भी तुम्हें साफ करनी होंगी।
बाप रे! ठीक है बाबा, अगले सण्डे मैं खुद ही धो लूंगा अपने जूते
दोनों बच्चे टीवी को म्यूट करके मुस्कुराते हुये ये असली सीन देख रहे हैं।

15 November 2010

आँख से आँख मिलाओ तो कोई बात बने

"नजरों को हर घडी तेरी ही है जुस्तजू
आँखों की आज आँखों से होने दो गुफ्तगू"
श्री राज भाटिया जी ने जर्मनी से आकर आप सबसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है। कुछ मित्र कहते हैं कि कोशिश करेंगें। मेरा उनसे कहना है कि वादा मत कीजिये केवल कोशिश कीजियेगा, क्योंकि 
वायदे टूट जाते हैं अक्सर, कोशिशें कामयाब होती हैं
तारीख - 21 नवम्बर 2010
वार - रविवार 
स्थल -  कॉन्फ्रेंस हॉल, तिलयार टूरिस्ट कॉम्पले्क्स, तिलयार लेक, रोहतक

इसकी जानकारी उन्होंने करीबन एक महिना पहले ही दे दी थी। देखिये निम्न पोस्ट
ब्लॉग मिलन का दिवस  (दिल्ली से रेलगाडियों की सूचि)
रोहतक का राज- मोबाईल पर (कौन-कौन आ रहा है)
ब्लॉगर मिलन तिलयार झील रोहतक में (कौन-कौन आ रहा है और दिल्ली से सडक मार्ग)
श्री राज भाटिया जी के ब्लॉग पराया देश से उद्धरित पंक्तियां - "मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गये, कारवाँ बनता गया" अब हम और आप भी जुड गये हैं उनके कारवाँ से। लेकिन श्री राज भाटिया जी के शब्दों में इस ब्लॉगर मिलन का उद्देश्य केवल आभासी संसार से निकल कर आमने-सामने मिल बैठना है। आईये इस मिलन को सफ़ल बनाये, इस ब्लांग मिलन मे आप सब अमत्रितं हे, बस इस ब्लांग मिलन का असली मकसद सिर्फ़ यही हे कि हम आपस मे मिले, जिन्हे हम टिपण्णियां देते हे, जिन के लेख पढते हे, क्यो ना उन सब से मिले. इस ब्लांग मिलन मे कोई संगठन , युनियन या कोई ओर ऎसी बात नही होगी बस खाना पीना, बाते विचारो का आदान प्रदान ओर आपस मे मिलना जुलना होगा ओर ब्लांगिग से सम्बधित बाते होगी। सो एक बार आप सब से मिलना हो जायेगा इसी बहाने, ओर ब्लागिगं की बातो के अलावा भी ओर बहुत सी बाते होगी, चुटकले होगें, कविता होगी, शेर, बकरी, या कोई गजल या गीत गाना चाहे , कव्वाल भाई कव्वाली,या फ़िर भजन सब को समय मिलेगा.

अब 15 मिनट इस संगीत/कव्वाली का आनन्द लीजिये। मेरा वादा है बहुत मजा आयेगा।


इस पाडकास्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

13 November 2010

आग दामन में लग जायेगी और रोहतक का राज

श्री राज भाटिया जी आज दिल्ली में हैं और कल सुबह अपने पैतृक घर रोहतक में होंगें। आप सबसे मिलने के लिये श्री राज भाटिया जी ने 21 नवम्बर, रविवार का कार्यक्रम रोहतक में रखा है।  कल की पोस्ट में आपको जगह और पूरा पता बता दिया जायेगा। जो मित्र आज दिल्ली में नुक्कड पर ब्लॉगर मीट करके आ रहे हैं या किसी कारणवश नहीं जा पाये हैं, वो सभी मित्र-बन्धु 21 नवम्बर, रविवार को रोहतक के लिये आरक्षित कर दें। श्री राज भाटिया जी और श्री समीरलाल जी के अलावा आपकी मुलाकात होगी, ब्लॉगजगत की कई नामचीन हस्तियों से श्री दिनेशराय द्विवेदी जी, श्री ताऊ रामपुरिया जी, सुश्री निर्मला कपिला जी, श्री रूपचंन्द्र शास्त्री जी, पी एस पाबला जी, श्री ललित शर्मा जी। बस-बस मैं अभी सबका नाम नहीं बताऊंगा। आपको रोहतक आना ही पडेगा। आप श्री राज भाटिया जी से 09560922699 पर बात कर सकते हैं।

अब आप 10 मिनट मजा लीजिये  इस कव्वाली/नात/संगीत का



इस पाडकास्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

12 November 2010

राखी सांवत इसी फार्मूले से टी आर पी बटोर रही है

कल की पोस्ट पर जिन मित्रों ने पहेली विजेता होने की बधाई दी है, शायद उन्हें मैं अपनी बात समझाने में नाकामयाब रहा। उसमें जीतने-हारने या विजेता होने की कोई बात ही नहीं थी और ना इस विषय को लेकर मैनें पोस्ट लिखी थी। मैं पहेलियों वाली पोस्ट्स पर किसी विजेता पद या पुरस्कार या प्रमाणपत्र के लिये नहीं बल्कि अपनी जानकारी बढाने के लिये जाता हूँ। भूमिका के लिये और मन में आये विचारों को स्पष्ट करने के लिये (कि क्यों उपजे हैं) सन्दर्भ देना ही पडता है।  

आप सबकी टिप्पणी के बाबत कहना चाहता हूँ कि मैनें कल वाली पोस्ट केवल अपनी बात बताने के लिये लिखी थी, ना कि किसी को गलत साबित करने के लिये या खुद को विजयी दिखाने के लिये।  मेरी समस्या है कि मुझे सबकी बात सही लगती है और मेरे मन में जो आया लिख दिया।   

आदरणीय नीरजजाट जी आप से भी सहमति है कि "जो जैसा होता है उसे दूसरे भी वैसे ही दिखते हैं।"  यहां दिन में चार बार  "बुर्का पहनकर टिप्पणी ना करें - बुर्का पहनकर टिप्पणी ना करें" यह चिल्लाने वाले को खुद बुर्का पहनकर टिप्पणी करते देखा है।

आदरणीय प्रकाश जी बात का बतंगड कह सकते हैं आप इसे, लेकिन मन में उपजे किसी विचार को क्यों भीतर ही दबा लिया जाये और ऐसी बातों से ही तो ब्लॉगजगत गर्म रहता है और रस बना रहता है। :-)  ऐसी पोस्ट्स पर ही तो सबसे ज्यादा विजिट और टिप्पणियां आती हैं। राखी सांवत इसी फार्मूले से टी आर पी बटोर रही है। :-) और जब मेरे पास लिखने को और कुछ नहीं है तो यही ढेंचू-ढेंचू सही, मेरे अलावा भी तो हिन्दी ब्लॉगिंग में खूब कचरा फैलाने वाले हैं।

अजी अपना अपना ढंग है कहने का, अब आप उसे चरण-वंदन कहें या खुशामद कहें। "बेवकूफ" कहने में और "बेवकूफों जैसी बातें क्यों करते हो" कहने में फर्क रहता है।  आपकी किसी बात से मुझे सहमति हो सकती है और किसी बात से असहमति भी। मुझे क्या करना है दूसरे का चरित्र कैसा है ये जानकर। आपकी इस बात से मैं पूर्णत: सहमत हूँ कि मुझमें स्वाभिमान नाम की कोई चीज नहीं है, पर क्या करुं, मेरा स्वभाव ही ऐसा है तो। हो सकता है वक्त के साथ कुछ बदलाव आ जाये।

पिछली जीती गई दो-तीन पहेलियों के प्रमाणपत्र भी मैनें अपने ब्लॉग पर नहीं लगाये थे और जो पहले से लगे हुये थे, वह भी अब हटा रहा हूँ। 

11 November 2010

पहेली और लाल बुझक्कड

कल तस्लीम की एक पहेली पोस्ट पर कुछ टिप्पणियों में कडुवाहट सी आ गई थी। एक ब्लॉगर का दूसरे ब्लॉगर के लिये अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल भी मुझे अच्छा नहीं लगा। श्री अरविन्द मिश्रा जी की यह बात मुझे सही लगी कि - "हाँ वर्तमान प्रवृत्ति से तो केवल यही आँका जा सकता है की कौन अंतर्जाल पर सही उत्तर ढूँढने में ज्यादा निष्णात है। ….…और पहेली का उत्तर अगर कोई अपने पूर्व अर्जित ज्ञान से दे देता है तभी उसे सामान्य ज्ञान की विज्ञता का श्रेय मिलना चाहिए .."
इसके लिये मैनें सहमति भी दर्ज की थी। लेकिन आज क्वचिद्न्यतोअपि… पर यह पढा कि हिन्दी ब्लागजगत की हालत यह है कि यहाँ नित पहेली बुझाने वाले लाल बुझक्कड़ पैदा हो रहे हैं।

मेरा कहना यह है कि अगर मुझे किसी पहेली में पूछी जाने के बाद किसी पेड/इमारत/पशु या पक्षी आदि किसी भी विषय पर गूगलिंग करने के बाद कोई जानकारी मिलती है और उसे कॉपी-पेस्ट द्वारा भी टीपता हूँ तो मुझे यह ज्यादा समय तक याद रहने के अवसर हैं। फिर विषय से इतर भी 2-4 चीजों के बारे में पता चल जाता है। यह पहेली यहां नहीं पूछी जाती तो मैं कभी गूगल में बोनसाई और ऐसे किसी पेड के बारे में जानकारी लेने नहीं जा पाता। या श्री अरविन्द जी के कहे अनुसार पहेली के बारे में सामान्य ज्ञान ना होने पर पेज छोड कर भाग जाता तो भी मुझे अगली पोस्ट (उत्तर वाली) पढने के बाद भी शायद ही याद रहता कि यह क्या है। 

यहां पूछी जाने के कारण मुझे इस पेड की पत्तियों, नाम और बनावट के बारे में पता चल गया है। मैं अपने बच्चों के साथ कहीं पर यह पेड देखता हूँ, तो बच्चों को बता सकता हूँ कि यह कौन सा पेड है। बच्चों के पूछने पर और जानकारी नहीं होने पर दो ही रास्ते हैं कि वहां गूगलिंग करने के लिये इन्टरनेट कैफे ढूंढता फिरूं या लाल बुझक्कड की तरह जवाब दे दूं।
मेरे विचार में ब्लॉग्स पर इमारत/पशु/पक्षी, फूल,फल और पेड आदि के चित्र लगाकर पहेलियां पूछी जाने के पीछे मुख्य ध्येय ज्ञान बढाना ही है। और जो भी ब्लॉग ऐसी पहेलियां पूछते हैं उनका कार्य सराहनीय है, चाहे वह तस्वीर   पर्सनल/गूगल या विकी कहीं से भी ली गई हो। 

पहेली कई प्रकार की होती हैं, जैसे तर्क आधारित, गणित आधारित, अनुभव आधारित, सांकेतिक और सामान्य ज्ञान पर और इनके अलावा भी बहुत तरह की। लेकिन अन्तर्जाल पर इस प्रकार की चित्र पहेली पूछी जाने पर गूगल आदि द्वारा सर्च करके ही बूझी जा सकती हैं। जैसे आपको मछलियों के बारे में भरपूर ज्ञान है। फिर आपको किसी ऐसी मछली का चित्र दिखाया जाये, जो आपने पहले कभी ना देखी हो, तो आप क्या करेंगें। आपके मन में उत्कंठा होगी उसके बारे में जानने की। तो सबसे सरल साधन गूगलिंग ही होगा।

08 November 2010

श्री राधा हमारी गोरी गोरी - भजन

योगीजन जानता ना कहना जिसका प्रभाव
जिसकी कला का पार शारदा ना पाती है
नार नारी ब्रह्मवादियों ने भी ना पाया तट
रिद्धि-सिद्धि शक्तियां भी नित गुण गाती हैं
शंकर समाधि में ढूँढते हैं जिसको
श्रुतियां भी नेति-नेति कहे हार जाती हैं

श्री विनोद अग्रवाल जी का गाया यह भजन करीबन 35 मिनट का है।
इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें।



इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

03 November 2010

अब सुरक्षा की क्या जरुरत है

image नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के अजमेरी गेट वाले प्रवेशद्वार पर कॉमनवेल्थ गेम्स शुरु होने से महिना भर पहले सामान एक्सरे जाँच करने वाली मशीन रखी गयी थी। अब कॉमनवेल्थ गेम्स समाप्त हो चुके हैं। विदेशी दर्शक, सैलानी, खिलाडी और पर्यटक भी अपने-अपने घर जा चुके हैं। अब सुरक्षातंत्र को भी आराम मिल गया है। 01 नवम्बर को देखा तो नईदिल्ली के अजमेरी गेट की तरफ वाले प्रवेशद्वार पर पिछले महिने की तरह किसी जाँच आदि से नहीं गुजरना पडा। सामान एक्सरे मशीन भी हटा दी गई है। शायद किराये पर थी, और कॉन्ट्रेक्ट पूरा हो गया होगा।