योगीजन जानता ना कहना जिसका प्रभाव जिसकी कला का पार शारदा ना पाती है नार नारी ब्रह्मवादियों ने भी ना पाया तट रिद्धि-सिद्धि शक्तियां भी नित गुण गाती हैं शंकर समाधि में ढूँढते हैं जिसको श्रुतियां भी नेति-नेति कहे हार जाती हैं |
श्री विनोद अग्रवाल जी का गाया यह भजन करीबन 35 मिनट का है।
इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें।
इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।
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bahut sundar bhajan...bhaavpurn..laybaddh.
ReplyDeleteअग्रवाल जी का भजन बहुत भाता है।
ReplyDeleteआभार।
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