कल तस्लीम की एक पहेली पोस्ट पर कुछ टिप्पणियों में कडुवाहट सी आ गई थी। एक ब्लॉगर का दूसरे ब्लॉगर के लिये अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल भी मुझे अच्छा नहीं लगा। श्री अरविन्द मिश्रा जी की यह बात मुझे सही लगी कि - "हाँ वर्तमान प्रवृत्ति से तो केवल यही आँका जा सकता है की कौन अंतर्जाल पर सही उत्तर ढूँढने में ज्यादा निष्णात है। ….…और पहेली का उत्तर अगर कोई अपने पूर्व अर्जित ज्ञान से दे देता है तभी उसे सामान्य ज्ञान की विज्ञता का श्रेय मिलना चाहिए .."
इसके लिये मैनें सहमति भी दर्ज की थी। लेकिन आज क्वचिद्न्यतोअपि… पर यह पढा कि हिन्दी ब्लागजगत की हालत यह है कि यहाँ नित पहेली बुझाने वाले लाल बुझक्कड़ पैदा हो रहे हैं।
मेरा कहना यह है कि अगर मुझे किसी पहेली में पूछी जाने के बाद किसी पेड/इमारत/पशु या पक्षी आदि किसी भी विषय पर गूगलिंग करने के बाद कोई जानकारी मिलती है और उसे कॉपी-पेस्ट द्वारा भी टीपता हूँ तो मुझे यह ज्यादा समय तक याद रहने के अवसर हैं। फिर विषय से इतर भी 2-4 चीजों के बारे में पता चल जाता है। यह पहेली यहां नहीं पूछी जाती तो मैं कभी गूगल में बोनसाई और ऐसे किसी पेड के बारे में जानकारी लेने नहीं जा पाता। या श्री अरविन्द जी के कहे अनुसार पहेली के बारे में सामान्य ज्ञान ना होने पर पेज छोड कर भाग जाता तो भी मुझे अगली पोस्ट (उत्तर वाली) पढने के बाद भी शायद ही याद रहता कि यह क्या है।
यहां पूछी जाने के कारण मुझे इस पेड की पत्तियों, नाम और बनावट के बारे में पता चल गया है। मैं अपने बच्चों के साथ कहीं पर यह पेड देखता हूँ, तो बच्चों को बता सकता हूँ कि यह कौन सा पेड है। बच्चों के पूछने पर और जानकारी नहीं होने पर दो ही रास्ते हैं कि वहां गूगलिंग करने के लिये इन्टरनेट कैफे ढूंढता फिरूं या लाल बुझक्कड की तरह जवाब दे दूं।
मेरे विचार में ब्लॉग्स पर इमारत/पशु/पक्षी, फूल,फल और पेड आदि के चित्र लगाकर पहेलियां पूछी जाने के पीछे मुख्य ध्येय ज्ञान बढाना ही है। और जो भी ब्लॉग ऐसी पहेलियां पूछते हैं उनका कार्य सराहनीय है, चाहे वह तस्वीर पर्सनल/गूगल या विकी कहीं से भी ली गई हो।
पहेली कई प्रकार की होती हैं, जैसे तर्क आधारित, गणित आधारित, अनुभव आधारित, सांकेतिक और सामान्य ज्ञान पर और इनके अलावा भी बहुत तरह की। लेकिन अन्तर्जाल पर इस प्रकार की चित्र पहेली पूछी जाने पर गूगल आदि द्वारा सर्च करके ही बूझी जा सकती हैं। जैसे आपको मछलियों के बारे में भरपूर ज्ञान है। फिर आपको किसी ऐसी मछली का चित्र दिखाया जाये, जो आपने पहले कभी ना देखी हो, तो आप क्या करेंगें। आपके मन में उत्कंठा होगी उसके बारे में जानने की। तो सबसे सरल साधन गूगलिंग ही होगा।
सोहिल भाई, जब कभी इस तरह का माहौल होता है, तो मेरे दिमाग में एक बात गूँजती है- जो काम करते हैं, गल्तियॉं उन्हीं से होती हैं।
ReplyDeleteवैसे आपके नजरिए से मुझे बहुत सम्बल मिला, आभार।
kya bat hai
ReplyDeleteअंतर सोहिल जी ,ज्ञान बढ़ाने के और भी कई स्वतंत्र साधन हैं ,,बहरहाल आपका पहेलियों के इन रूपों से ज्ञान वर्धन हो रहा है तो अच्छी बात है !
ReplyDeleteinner beautiful!!
ReplyDeletesohilji aapko badhai..vijeta banane par...you i inner beautiful kisi baat ka bara n maane.
ReplyDeleteअमित जी, कुछ लोग होते हैं जो जैसे खुद होते हैं दूसरों को भी वैसा ही समझते हैं। अरविन्द मिश्रा अपने दिमाग का सौ प्रतिशत इस्तेमाल करते होंगे यानी उन्हें दुनिया की हर चीज की पूरी जानकारी है। इसीलिये तो वे दूसरों को भी अपने जैसा ही समझ रहे हैं।
ReplyDelete...
मैं मिश्रा जी को एक बार जाट पहेली में भाग लेने की सलाह दूंगा। कल यानी शुक्रवार को छप रही है। मिश्राजी, दूसरी पहेलियों में तो चित्र दिखाकर उसका नाम पूछा जाता है जबकि हमारे यहां नाम बताया जाता है और उसकी लोकेशन पूछी जाती है। ताकि गूगलिंग में आसानी रहे। कल आपका जाट पहेली में स्वागत है। ईमानदारी से बिना गूगलिंग किये सही जवाब बताकर दिखाना।
बिना गूगलिंग के ब्लॉग जगत की पहेलियों का जबाब देना मुश्किल है .. गूगलिंग में भी सही दिशा में जाने के लिए दिमाग की आवश्यकता होती ही है .. इसलिए विजेता को निर्विवाद रूप से बधाई मिलनी ही चाहिए !!
ReplyDeleteअमित,
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करो यार तुम।
दोनों जवाब से तुमने पहला स्थान हासिल किया है।
जो मां के पेट से सब कुछ सीख कर नहीं आये, उन्हें अपना ज्ञान बढ़ाने के लिये उपलब्ध साधनों का उपयोग करना ही पड़ता है। वैसे शुरू में दो चार बार हमने भी पहेलियों में भाग लिया था, फ़िर जल्दी ही मोहभंग हो गया। आपका इंटरेस्ट कायम है तो जरूर हिस्सा लेना चाहिये।
शुभकामनायें।
पहले विजेता होने की बधाई लो। रजनीश जी ने सही कहा है कि जो काम करता है उसी की आलोचना होगी? जो मेरे जैसा पहेक्ली देख कर ही भाग जाये उसे कोई क्या कहेगा? मै तो केवल ज़िन्दगी की पहेली ही सुलझाती हूँ और विजयी रहती हूँ बस। वैसे ग्यान बढाना अच्छी बात है बच्चों के काम आयेगा। शुभकामनायें आशीर्वाद।
ReplyDeleteआपने भी .......वाह
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आप लोगों ने ठान लिया है कि हर बात का बतंगड़ बना के रहेंगे ! मैंने भी वो प्रतिक्रिया पढ़ी है ! बेवकूफी की बात को बेवकूफी ही कहा जाएगा मान्यवर ! अरविन्द जी ऐसी बचकानी बातें करने के आदी हैं ! मैं यद्यपि उनका प्रशंसक हूँ ... उनकी विद्वता का कायल हूँ ! इसके बावजूद भी वो अक्सर ऐसी हल्की बातें कर जाते हैं !
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सबसे बड़ी बात तो यह है कि वो अब तक क्यों जुड़े रहे ऐसे आयोजन से ? क्यों दो महिलाओं की हमेशा दिल खोलकर तारीफ़ करते रहे ? ऐसा दोहरा चरित्र ?
हम प्रतियोगियों का खुला अपमान है ये ! आपके अन्दर स्वाभिमान है ही नहीं तो कोई क्या करे ? करिए आप चरण वंदन ! चूंकि मैं पहेली में ख़ास रूचि रखता हूँ इसलिए मुझे उनकी बात विशेष तौर पर बेहद खराब लगी !
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मैं तो खुली चुनौती देता हूँ कि जो भी उनकी बात से सहमति रखता है वो सामने आये ! या वो खुद सामने आयें ! मैं देखता हूँ उसका सामान्य ज्ञान !
प्रकाश गोविन्द जी अब तो आपका बायोडाटा मुझे मांगना पडेगा !
ReplyDeleteपहेलियों से ज्ञान बढ़ता है और गूगल से भी। पर जब तक प्रश्न न होगा, उत्तर कहाँ से आयेगा।
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