कल की पोस्ट पर जिन मित्रों ने पहेली विजेता होने की बधाई दी है, शायद उन्हें मैं अपनी बात समझाने में नाकामयाब रहा। उसमें जीतने-हारने या विजेता होने की कोई बात ही नहीं थी और ना इस विषय को लेकर मैनें पोस्ट लिखी थी। मैं पहेलियों वाली पोस्ट्स पर किसी विजेता पद या पुरस्कार या प्रमाणपत्र के लिये नहीं बल्कि अपनी जानकारी बढाने के लिये जाता हूँ। भूमिका के लिये और मन में आये विचारों को स्पष्ट करने के लिये (कि क्यों उपजे हैं) सन्दर्भ देना ही पडता है।
आप सबकी टिप्पणी के बाबत कहना चाहता हूँ कि मैनें कल वाली पोस्ट केवल अपनी बात बताने के लिये लिखी थी, ना कि किसी को गलत साबित करने के लिये या खुद को विजयी दिखाने के लिये। मेरी समस्या है कि मुझे सबकी बात सही लगती है और मेरे मन में जो आया लिख दिया।
आदरणीय नीरजजाट जी आप से भी सहमति है कि "जो जैसा होता है उसे दूसरे भी वैसे ही दिखते हैं।" यहां दिन में चार बार "बुर्का पहनकर टिप्पणी ना करें - बुर्का पहनकर टिप्पणी ना करें" यह चिल्लाने वाले को खुद बुर्का पहनकर टिप्पणी करते देखा है।
आदरणीय प्रकाश जी बात का बतंगड कह सकते हैं आप इसे, लेकिन मन में उपजे किसी विचार को क्यों भीतर ही दबा लिया जाये और ऐसी बातों से ही तो ब्लॉगजगत गर्म रहता है और रस बना रहता है। :-) ऐसी पोस्ट्स पर ही तो सबसे ज्यादा विजिट और टिप्पणियां आती हैं। राखी सांवत इसी फार्मूले से टी आर पी बटोर रही है। :-) और जब मेरे पास लिखने को और कुछ नहीं है तो यही ढेंचू-ढेंचू सही, मेरे अलावा भी तो हिन्दी ब्लॉगिंग में खूब कचरा फैलाने वाले हैं।
अजी अपना अपना ढंग है कहने का, अब आप उसे चरण-वंदन कहें या खुशामद कहें। "बेवकूफ" कहने में और "बेवकूफों जैसी बातें क्यों करते हो" कहने में फर्क रहता है। आपकी किसी बात से मुझे सहमति हो सकती है और किसी बात से असहमति भी। मुझे क्या करना है दूसरे का चरित्र कैसा है ये जानकर। आपकी इस बात से मैं पूर्णत: सहमत हूँ कि मुझमें स्वाभिमान नाम की कोई चीज नहीं है, पर क्या करुं, मेरा स्वभाव ही ऐसा है तो। हो सकता है वक्त के साथ कुछ बदलाव आ जाये।
पिछली जीती गई दो-तीन पहेलियों के प्रमाणपत्र भी मैनें अपने ब्लॉग पर नहीं लगाये थे और जो पहले से लगे हुये थे, वह भी अब हटा रहा हूँ।
जय हो
ReplyDeleteआखिर आपने राखी सावंत से टीआरपी बढाने का सीक्रेट गुर हासिल कर ही लिया।
हैप्पी ब्लागिंग, हेल्दी ब्लागिंग
राम राम
बधायी ,आखिर वह गुर आपको मिल गया और ब्लागिंग का गुड गोबर नहीं हुआ :)
ReplyDeleteदूसरों की हो तो अपनी बला से ....बुर्काधारी ..आप उस्ताद जी की बात तो नहीं कर रहे हैं?
सोहिल भाई, आप इस फार्मूले को ब्लॉग में कब फिट कर रहे हैं। हमें इंतजार रहेगा।
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मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
ओ भाई अमित प्यारे,
ReplyDeleteहमने भी दी थी बधाई, नहीं पसंद तो उल्टी दे दे, हां यार:)
कोई नाकामयाब नहीं हो अपनी बात कहने में, सही कहा था बिल्कुल। जीत छोटी या बड़ी नहीं होती और न ही कोई खेल। बड़ी होती है खेल भावना, और उसी की बधाई दी थी।
दिल पर मत लो यार।
ढैंचूं ढैंचूं हमें तो पसंद है, बल्कि ज्यादा आसानी से समझ आती है। खग समझे खग ही की भाषा।
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा . रोचक , ज्ञानवर्धक , और सुन्दर लगा . बधाई .........
ReplyDeleteदिल की बात कहे दिल बाला ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
बधाई तो आपके लिए फिर भी रिजर्व रहेगी … :)
- राजेन्द्र स्वर्णकार
एक और फार्मूला मिल गया टी आर पी बढाने हेतु धन्यवाद |ढेचू ढेचू सभी करते है | सब मिल कर एक ही सुर तो निकाल रहे है |
ReplyDeleteज्ञानवृद्धि, आभार।
ReplyDeleteभारत प्रशन मंच - 19 का सही जवाब
ReplyDeletehttp://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_13.html
ताऊ पहेली - 100 का सही जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/100.html
जाट पहेली- 24 का सही जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/24.html
एक और फार्मूला मिल गया
ReplyDeleteBILKUL SAHI