14 June 2014

दो नावों पर सवार

मुल्ला नसरुद्दीन दो स्त्रियों के प्रेम में था। अलग-अलग मिलता था, दोनों के सौंदर्य की तारीफें करता। दोनों स्त्रियों की भी आपस में धीरे-धीरे पहचान हो गई। उन्होंने कहा कि यह आदमी धोखा दे रहा है, इसको फांसना पड़ेगा।

एक दिन नौका-विहार के लिए दोनों ने इकट्ठा मुल्ला नसरुद्दीन को अपने साथ ले लिया। नदी पर बैठकर, पूर्णिमा की रात, बीच मझधार में मुल्ला से कहा कि नसरुद्दीन, अब कहो कौन सुंदर है?
अब मुल्ला बहुत घबड़ाया। अकेले में एक स्त्री को कह दो कि तुम दुनिया की सबसे सुंदर स्त्री हो; कोई हर्जा नहीं।
सभी कहते हैं।
कहना ही पड़ता है।
फिर इससे कुछ अड़चन नहीं आती।
दूसरी स्त्री को फिर अकेले में कह दो। अलग-अलग समय में अलग-अलग स्थान में दोनों को कहा जा सकता है। लेकिन दोनों स्त्रियां एक साथ हैं, अब…!

और मुल्ला थोड़ा घबड़ाया क्योंकि दोनों नाराज मालूम होती हैं। नदी का मामला! मझधार! धक्का दे दें!

तो उसने कहा, यह भी कोई बात है? अरे तुम एक-दूसरे से सुंदर हो। एक-दूसरे से ज्यादा सुंदर हो। एक-दूसरे से बढ़-चढ़कर सुंदर हो।