18 December 2008

कोई दीवाना

कल तक मुझे इस कविता के रचनाकार का नाम भी नही पता था और आज राज भाटिया जी ने मुझे इस के वीडियो का लिंक उपलब्ध करवा दिया, मै गदगद हो गया ।
http://de।youtube.com/watch?v=djfkxW7X-Mo
आदरणीय राज भाटिया जी
मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूं, सचमुच आपने मुझे बहुत खुशी दी है।
आपका बहुत-बहुत अभारी रहूंगा ।

17 December 2008

कोई दीवाना कहता है

करीब दो वर्ष पहले हस्तिनापुर (मेरठ) के एक शिविर में एक मित्र ने यह कविता सुनाई थी। मुझे नही मालूम कि यह उनकी रचना है या नही, लेकिन मुझे बहुत-बहुत पसंद आयी। दोबारा सुनने के लिये मेरे कान तरस गये थे। अब 11-12-13-14 के ओशो हास्य ध्यान शिविर (कुरुक्षेत्र) में एक मित्र के माध्यम से मुझे यह mp3 Format में प्राप्त हो गई है। लगातार 45-50 बार सुन चुका हूं और हर बार और ज्यादा दिल के करीब पहुंचता जा रहा हूं। कवि ने यह दिल्ली के किसी कालिज के उत्सव में सुनाई है और इसमें कवि का प्रेमपूर्ण और हास्य-प्रधान ह्र्दय उनकी सुंदर वाणी से साफ झलकता महसूस होता है। उनकी आवाज सीधी दिल तक पहुंचती है। अगर आप कवि का नाम जानते हैं तो कृप्या मुझे भी बता दें। कवि ने इस के बीच में मशहूर शायर गालिब का भी एक शेर सुनाया है। पहले वही शेर…………………

"मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे आगे
  तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे"

अब वह सुंदर कविता………………


1…… कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
           मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
           मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे दूर कैसी है
           ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
2…… मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है
           कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
           यहां सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आंसू हैं
           जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
3…… समंदर पीर का अंदर है लेकिन रो नही सकता
           ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
           मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
          जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता
4……भ्रमर कोई कुमुदनि पर मचल बैठा तो हंगामा
          हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
         अभी तक डूबकर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
         मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
डाऊनलोड करने के लिये नीचे लिंक पर क्लिक करें। 
Koi Deewana Kahta hai

इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

04 December 2008

वो मेरे कौन थे

पिछले तीन दिन टेलीविजन पर आतंक का लाइव नंगा नाच देखते हुये पता नही कब बम और गोलियों की आवाज दिल-दिमाग में बैठ सी गई है।कल पडोस में शादी थी। बारात निकल रही थी। गाजा-बाजा, धूम-धडाका और पटाखे भी चलाये जा रहे थे। बिस्तर पर लेटे-लेटे हर पटाखे की आवाज से यूं लगता जैसे बाहर वही गोलीबारी हो रही है। मेरा तो कोई भी नही मरा, कोई भी नही ? नही जो मरे वो मेरे ही थे, मेरे भारत के वासी, मेरे भारत के रक्षक और मेरे भारत के मेहमान ।
सभी हिन्दुस्तानी इसे अपने ऊपर हमला मान रहे हैं। सारा देश एक साथ चीत्कार रहा है ।
फिर भी पता नही क्यूं कुछ रिपोर्टर देश के दुश्मनों को मुम्बई के दुश्मन संबोधित कर रहे हैं । शायद आपने भी सुना हो ।

03 December 2008

छोरा फौजी बन गया

कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। राजनीति का तो पूरा का पूरा तालाब ही दलदल है जिसमें सडांध के अलावा कुछ भी नही है। हमारे सुरक्षातंत्र में भी कुछ गंदे लोग हैं ही जिनके कारण बहादुर देशभक्तों को शहीद होना पडता है और आम जनता को अपनी जान गंवानी पडती है।

अभी कुछ दिनों पहले मैं दिल्ली से रोहतक जाने वाली ट्रेन में सफर कर रहा था। मेरे पास वाली सीट पर दो बुजुर्ग बैठे आपस में बातें कर रहे थे। एक-दूसरे का हालचाल जानने के बाद वे अपने-अपने बच्चों के बारे में और उनके काम-धंधों की चर्चा करने लगे तो मेरा ध्यान उनकी बातों की तरफ चला गया। एक ताऊ बता रहा था कि उसने अपने छोटे बेटे को फौज में भरती कराने के लिये दो लाख रुपये खर्चा किया है। वैसे तो मैं एक हद तक चुप रहने वाला बंदा हूं और दूसरे लोगों की बातों को सुनने के अलावा कोई टिप्पणी नही करता पर अब मुझसे नही रहा गया तो मैं बोल पडा कि अब आपका बेटा आपके दो लाख मय ब्याज के वापिस पाने के लिये कितने लोगों को सीमा पार करवायेगा। इसी बात से उनका पारा चढ गया और मेरी पिटाई होने ही वाली थी कि मेरा स्टेशन आ गया और मैं अपने सवाल पर खुद ही विचार करता हुआ ट्रेन से उतर गया।

एक और खबर सुनी थी कि अ ब स ने अपने बेटे को ए0 एस0 आई0 लगवाने के लिए 14 लाख रुपये दिये हैं। अब यह ए0 एस0 आई0 क्या केवल तनख्वाह से गुजारा कर पायेगा या अपराधियों का साथ देकर अपने पिता के इस इनवेस्टमंट को भुनायेगा।

हर राज्य की सीमा पर चुंगी कर के लिये नाका होता है लेकिन हजारों ट्रक रोज बिना बिल पर्चों के एक जगह से दूसरी जगह माल पंहुचाते हैं। बिना जरूरी कागजातों के ये ट्रक कैसे एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करते हैं ? क्योंकि उन सबकी सैटिंग है यानि मंथली फिक्स कर रखी है, या उन्हें पता है कि कहां पर किस का कितना रेट है।

अब समुद्र के रास्ते D कंपनी या किसी और के कितने जहाज, स्टीमर और बोट डीजल या अन्य सामान लेकर भारत में आते हैं या स्मगलिंग करते हैं, वो सब भी तो किसी ना किसी को कमाई तो दे ही रहे होंगें ? किसी ना किसी के पिताजी का रुपया तो बढकर वापिस आ ही रहा होगा।

जाहिर है जिसने भी इनवेस्ट किया है वो तो कमाने के लिये ही तो किया है। अब वह कमाई चाहे डीजल वाले दें या बारूद वाले उन्होंने तो बोट को रास्ता देना है। आखिर ऊपर बैठे नेताओं, अफसरों ने तो अपना इनवेस्टमंट नौकरी देते वक्त एक ही झटके में निकाल लिया था।

आतंकवादियों को अपने घर के अंदर घुसने देने और इन घटनाओं का जिम्मेवार कौन है ? केवल हम, जो अपने बच्चों को सरकारी नौकरियों में और ऊंचे पदों पर देखना चाहते हैं। जो ऐसे नेताओं (कैसे सब जानते हैं) को सरकार बनाने के लिये चुनते हैं।