12 June 2009

ताऊ-ताई की नोक-झोंक

एक बार एक ताऊ खेता महै काम कर कै घरां आया अर हाथ-पांव धोते-धोते
ताई तै बोल्या - मेरी रोटी घाल दे ।
ताई नै रोटी घाल दी अर थाली खाट पै ताऊ के सामीं धर कै खडी होगी।
ताऊ - तू भी बैठ जा
ताई खाट के बराबर महै पीढा धर कै पीढे पै बैठगी।
ताऊ - आडै खाट पै बैठ जा
ताई - ना जी मैं आपके बराबर मै ना बैठ सकती, मैं तै आप तै नीचै बैठूंगीं
ताऊ - गर मैं पीढे पै बैठ जां तै
ताई - तै मैं तलै जमीन पै बैठ जांगी
ताऊ - गर मैं जमीन पै बैठ जां तै
ताई (थोडी देर सोच कै) - तै मैं गड्डा खोद कै उसमै बैठ जांगी
ताऊ भी आज पूरे स्वाद लेन के चक्कर मै था, वो कयां करै सै ना रोमांटिक मूढ मै था।
ताऊ - गर मैं भी गड्डे महै बैठ जां तै
ताई (परेशान हो कर) - आज तेरै यो के हो रहा सै, किसी-किसी बात करन लाग रह्या सै
ताऊ - ना तू आज बता, गर मै भी गड्डे महै बैठ जां तै
ताई - तै मैं ऊपर तै माटी गेर दूंगी

11 June 2009

बेटियां शायद जन्मजात शांत स्वभाव की होती हैं

सभी बेटियां शायद जन्मजात शांत स्वभाव की होती हैं और बेटे चंचल और शरारती।
Lucky मेरे दो बच्चे हैं, बेटी उर्वशी (5 वर्ष) और बेटा लव्य (2 वर्ष)
मेरे माता-पिता बच्चों के साथ कभी खेलते वक्त, कभी किसी शरारत से रोकने के लिये लव्य को कहते हैं कि मैं तो उर्वशी का बाबा (दादा जी) हुं या दादी हुं। कभी उर्वशी से तुलना करते हैं कि देखो उर्वशी ने खाना खा लिया, देखो उर्वशी ने जल्दी दूध पी लिया। शायद इसी कारण लव्य अब हर बात में उर्वशी से स्पर्धा सी रखने लगा है। कोई भी चीज जो उर्वशी के हाथ में हो छीन लेता है, जो भी कुछ उर्वशी कर रही हो हर बात में नकल करता है। दोनों में छीना-झपटी कुछ ज्यादा होने लगी है। हालांकि एक पल भी वह उर्वशी के बिना रह नही सकता। उर्वशी को स्कूल छोडने के लिये भी जाता है, कभी-कभी तो जिद करता है कि उर्वशी को जूते वही पहनायेगा, जबकि खुद की चप्पल भी ढंग से उर्मी नही पहन सकता है। नींद से जगने पर सबसे पहला सवाल यही करता है कि - "दीदी कहां है" । उर्वशी को कोई डांटे ये उसे पसन्द नही। उर्वशी भी उसे बहुत प्यार करती है। पर छोटा होने के कारण मुझे लगता है कि उसे उसकी शरारतों के लिये कम डांट पडती है और उर्वशी को ज्यादा डांटा जाता है।
यही वजह है या टी वी बहुत ज्यादा देखने लगी है इसलिये उर्वशी (जो कोई भी बात एक बार कहने पर ही मान जाती थी)  अब थोडी उद्दंड हो गई है। कुछ बच्चों के चैनलों पर तो बहुत उद्दंडता से भरे चरित्र (हग्गे-मारू, शिन-चैन, आर्सी) दिखाये जाते हैं। मैं बहुत चिंतित हूं।