कहते हैं एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। राजनीति का तो पूरा का पूरा तालाब ही दलदल है जिसमें सडांध के अलावा कुछ भी नही है। हमारे सुरक्षातंत्र में भी कुछ गंदे लोग हैं ही जिनके कारण बहादुर देशभक्तों को शहीद होना पडता है और आम जनता को अपनी जान गंवानी पडती है।
अभी कुछ दिनों पहले मैं दिल्ली से रोहतक जाने वाली ट्रेन में सफर कर रहा था। मेरे पास वाली सीट पर दो बुजुर्ग बैठे आपस में बातें कर रहे थे। एक-दूसरे का हालचाल जानने के बाद वे अपने-अपने बच्चों के बारे में और उनके काम-धंधों की चर्चा करने लगे तो मेरा ध्यान उनकी बातों की तरफ चला गया। एक ताऊ बता रहा था कि उसने अपने छोटे बेटे को फौज में भरती कराने के लिये दो लाख रुपये खर्चा किया है। वैसे तो मैं एक हद तक चुप रहने वाला बंदा हूं और दूसरे लोगों की बातों को सुनने के अलावा कोई टिप्पणी नही करता पर अब मुझसे नही रहा गया तो मैं बोल पडा कि अब आपका बेटा आपके दो लाख मय ब्याज के वापिस पाने के लिये कितने लोगों को सीमा पार करवायेगा। इसी बात से उनका पारा चढ गया और मेरी पिटाई होने ही वाली थी कि मेरा स्टेशन आ गया और मैं अपने सवाल पर खुद ही विचार करता हुआ ट्रेन से उतर गया।
एक और खबर सुनी थी कि अ ब स ने अपने बेटे को ए0 एस0 आई0 लगवाने के लिए 14 लाख रुपये दिये हैं। अब यह ए0 एस0 आई0 क्या केवल तनख्वाह से गुजारा कर पायेगा या अपराधियों का साथ देकर अपने पिता के इस इनवेस्टमंट को भुनायेगा।
हर राज्य की सीमा पर चुंगी कर के लिये नाका होता है लेकिन हजारों ट्रक रोज बिना बिल पर्चों के एक जगह से दूसरी जगह माल पंहुचाते हैं। बिना जरूरी कागजातों के ये ट्रक कैसे एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करते हैं ? क्योंकि उन सबकी सैटिंग है यानि मंथली फिक्स कर रखी है, या उन्हें पता है कि कहां पर किस का कितना रेट है।
अब समुद्र के रास्ते D कंपनी या किसी और के कितने जहाज, स्टीमर और बोट डीजल या अन्य सामान लेकर भारत में आते हैं या स्मगलिंग करते हैं, वो सब भी तो किसी ना किसी को कमाई तो दे ही रहे होंगें ? किसी ना किसी के पिताजी का रुपया तो बढकर वापिस आ ही रहा होगा।
जाहिर है जिसने भी इनवेस्ट किया है वो तो कमाने के लिये ही तो किया है। अब वह कमाई चाहे डीजल वाले दें या बारूद वाले उन्होंने तो बोट को रास्ता देना है। आखिर ऊपर बैठे नेताओं, अफसरों ने तो अपना इनवेस्टमंट नौकरी देते वक्त एक ही झटके में निकाल लिया था।
आतंकवादियों को अपने घर के अंदर घुसने देने और इन घटनाओं का जिम्मेवार कौन है ? केवल हम, जो अपने बच्चों को सरकारी नौकरियों में और ऊंचे पदों पर देखना चाहते हैं। जो ऐसे नेताओं (कैसे सब जानते हैं) को सरकार बनाने के लिये चुनते हैं।
अरे वाह कितनी सच्ची बात आप ने लिख दी, ओर किसी ने ध्यान भी नही दिया, यह बिलकुल सच है, मै रोहतक मै कई साल रहा हुं.
ReplyDeleteधन्यवाद