अपने जज्बों को संभालो यारों
गीत कोई भी रचने से पहले
चोट दिल पर खालो यारों
चांद छूने की हसरत न हो पूरी
उसे आंखों मे बसा लो यारों
इससे पहले की कोई रुठे अलविदा कहे
उसे दिल में बसा लो यारों
ख्वाब और हकीकत में दूरी ही सही
कम से कम जीने की आदत तो डालो यारों
No comments:
Post a Comment
मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।