23 September 2008

बाहर से मुझे नफरत थी पर दिल में मेरे बसता था
वो पागल सा इक लडका जो देख के मु्झको हंसता था

क्यूं ठुकराया मांग को उसकी सोच के अब पछताती हूं
दिल के बदले दिल मांगा था सौदा कितना सस्ता था

किससे पूंछू कैसे पूछूं क्यूं नही देता अब वो दिखाई
रोज गुजरता था वो इधर से उसका ये ही रस्ता था

तुमने छोडा मुझको मैनें शहर तुम्हारा छोड दिया
घूरती थी हर शख्स की नजरें हर कोई मुझ पर हंसता था

दर्द छुपा कर जीना उसकी पुरानी आदत थी
भीतर-भीतर रोता था वो बाहर-बाहर हंसता था

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