वो पागल सा इक लडका जो देख के मु्झको हंसता था
क्यूं ठुकराया मांग को उसकी सोच के अब पछताती हूं
दिल के बदले दिल मांगा था सौदा कितना सस्ता था
किससे पूंछू कैसे पूछूं क्यूं नही देता अब वो दिखाई
रोज गुजरता था वो इधर से उसका ये ही रस्ता था
तुमने छोडा मुझको मैनें शहर तुम्हारा छोड दिया
घूरती थी हर शख्स की नजरें हर कोई मुझ पर हंसता था
दर्द छुपा कर जीना उसकी पुरानी आदत थी
भीतर-भीतर रोता था वो बाहर-बाहर हंसता था
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