23 September 2008

जिंदगी एक हादसा है आजकल
सांस लेना भी सजा है आजकल
जिनकी खातिर सबको बेगाना किया
उनको ही हम से गिला है आजकल
नाज था जिसकी वफाओं पर मुझे
जाने क्यों वो बेवफा हैं आजकल
आदमी तो अब कहीं मिलता नहीं
जिसको देखो वो खुदा है आजकल
हाथ खुलकर तो मिलाते हैं सभी
दिलों में लेकिन फासला है आजकल

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