घर से हुए जो दूर तो घर का पता चला
आंगन में पडे एक-एक पत्थर का पता चला
नाराजगी बज़ा थी बुजुर्गों की किस कदर
क्यों टोकते थे हर कदम पर का पता चला
दूजों की खामियों को गिनाया अगर कभी
खुद में भी कहीं पल रहे अजगर का पता चला
परदे जो झूठ के ही जहन पर पडे हुए
सच देख न पाती जो नजर का पता चला
यूं तो सभी अपने लगा करते रहे लेकिन
रुसवा हुए तो हमको शहर भर का पता चला
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