01 October 2008

दिन से कहो जाकर अब ये रात न लाये
सितारों से कहो चांद की सौगात न लाये
रहते थे जो यहां वो कब के चले गये
घटाओं से कह दो अब वो बरसात न लाये
आहट नही यहां कोई ये हवा का शोर है
इस गली में फिर दोबारा कोई जज्बात न लाये
लौटे न जब तलक रौनक शहर की
कोई भी यहां तब तलक बारात न लाये

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