मैट्रो वालों ने महिलाओं से बिना मत या सर्वेक्षण कराये महिलाओं के लिये बोगी आरक्षित कर दी है। नये जमाने की लडकियां जो 2-3 घंटे ड्रेसेस को चुनाव करने और सजने संवरने में लगा कर कानों में मोबाईल के कान कव्वे (ईयरफोन) लगाये कॉलेज/ऑफिस जाती हैं, उनको केवल महिलायें ही देखें तो इससे उनके दिल पर क्या बीतती होगी, उन्होंने कभी नहीं सोचा। जो अपने नये-नये पति, ब्वॉयफ्रेंड या पुरूष दोस्त के साथ होती हैं, उन्हें तो महिला बोगी से जबरदस्त चिढ है। मैट्रो वालों को क्या पता कि ये विछोह के पाँच-दस मिनट कितने तकलीफदेह होते हैं। दिल ही नहीं है, इन मैट्रो वालों के सीने में। फिर आगे वाली बोगी तक जाने के लिये भी एक-दो ट्रेन छोड देनी पडती है। इस भागमभाग की जिन्दगी में इतना समय किसके पास है।
कुल जमा चार बोगी हैं मैट्रों ट्रेन में। एक सबसे आगे वाली महिलाओं के लिये आरक्षित कर दी। उसमें जगह ज्यादातर खाली रहती है और बाकि तीन खचाखच।
छोडो जी हमें क्या, हमें तो वैसे भी प्रवीण यान (ये शब्द श्री रामत्यागी जी से) में सफर या सफ़र करना होता है। मो सम स्टाईल में फत्तू को और वीडियो को डालने की कोशिश की है जी, बताईयेगा जरुर कि कौआ, हंस की चाल में कैसा दिखता है।
रेल में फत्तू का पैर एक लडकी के पैर पर रखा गया।
लडकी - काट दिया, काट दिया
फत्तू - के काट दिया, क्यूं गला पाड री सै
लडकी - मेरा पैर काट दिया तुमने
फत्तू - क्यूं ताती (गर्म) हो री सै, इतनी भीड म्है पैर ना तै के प्लॉट कटैंगें
आप तो ॠचा शर्मा की खूबसूरत आवाज में ये खूबसूरत गजल सुनो जी