कल शाम ऑफिस से घर वापिस जाते हुये ट्रेन से उतरा ही था कि मेरा फोन बजा। उधर से ताऊ बोल रहे थे। ताऊजी ने बताया कि दिल्ली आये हुये हैं और श्री राज भाटिया जी से बात करना चाहते हैं और उनका नम्बर 09999611802 बंद आ रहा है। मैनें बताया कि राज जी तो 28-12-2011 की रात 10:00 बजे की उडान से जर्मनी पहुंच चुके होंगे और अब 0999611802 पर राज भाटिया जी से बात नहीं की जा सकती है। फिर मैनें ताऊजी को सांपला ब्लॉगर्स मिलन के बारे में बताया। ताऊजी आजकल अन्तर्जाल से दूर हैं, इसलिये उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। मैनें भी ताऊजी को या किसी भी ब्लॉगर को ईमेल या फोन नहीं किया था। हालांकि एक-दो ब्लॉगर्स इस मीट के बारे में जानते हुये और सांपला आने का मन होते हुये भी शायद इसी वजह से नहीं आये होंगे, ऐसा मुझे लगता है। मुझे कहा भी गया था कि फलाने-फलाने को निमंत्रण दे देना। लेकिन मेरा विचार ये है कि सबको मेल द्वारा निमंत्रण देना संभव नही हो सकता था। मैं बहुत सारे ब्लॉग्स को फॉलो करता हूं और सभी ब्लॉगर्स मेरे लिये सम्मानीय है। इनमें से कुछ को व्यक्तिगत मेल या फोन करना मुझे दूसरों के साथ फर्क करने का अहसास दिलाता।
इस मीट की नींव पिछले साल तिलयार झील पर हुई ब्लॉगर्स मीट के समय ही पड गई थी। सांपला सांस्कॄतिक मंच पिछले वर्ष करवाये कवि सम्मेलन की सफलता से उत्साहित था और अपनी दूसरी भव्य प्रस्तुति के लिये शुभ-मूहर्त निकलवा रहा था। 14 से 28 दिसम्बर के मध्य राज जी भारत प्रवास पर आ रहे थे। राज जी यहां आने पर भारतीय ब्लॉगर्स से मिलने का बहाना ढूंढते हैं, लेकिन कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलना मुश्किल होता है। बस 24 तारीख फिक्स हो गई और दिन में ब्लॉगोत्सव करवाने का निर्णय लिया गया। पहले इस मीट का आयोजन मैं और राज जी करना चाहते थे, लेकिन सांपला सांस्कॄतिक मंच ने इस मीट का आयोजक बनने की इच्छा जाहिर की।
कुछ लोग ऐसी ब्लॉगर्स मीट पर प्रश्नवाचक दॄष्टि रखते हैं। उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि ब्लॉगिंग उत्थान संबधिंत गंभीर मसलों पर विचार के लिये तो ब्लॉगपोस्ट से बढिया क्या हो सकता है। और ये ब्लॉगर मीट तो केवल मिलने-मिलाने के लिये ही थी। आभासी रिश्ते जब आमने-सामने होते हैं तो कितने ही वास्तविक रिश्ते फीके लगने लगते हैं, इन रिश्तों गन्नों की मिठास तो इन्हें खाने वाला ही जान सकता है। दूसरी बात इस मीट से पहले जिस क्षेत्र में कोई ब्लॉग शब्द को नही जानता था, वहां से 4-5 नये ब्लॉगर्स पैदा होने के लिये तैयार खडे हैं तो क्या ये बात हिन्दी ब्लॉगिंग के लिये बुरी है। ऐसी ब्लॉगर्स मीट से एक उत्साह पैदा होता है, जो ब्लॉगिंग में ऊब रहे लोगों में ऊर्जा का संचार भी करता है।
मैं सभी मित्रों का हार्दिक धन्यवाद और आभार प्रकट करता हूं, जिन्होंने अपना अमूल्य समय खर्च करके और ठंड में लंबी यात्रा की परेशानियों को झेलते हुये सांपला ब्लॉगर्स मिलन में उपस्थिति दी। सुश्री संगीता पुरी जी और श्री ललित शर्मा जी ने प्रॉक्सी अटेंडेंस भी लगाने की कोशिश की थी। इनका फोन आना ये दर्शाता है कि इन ब्लॉगर्स का मन तो सांपला में ही है पर किन्हीं मजबूरियों की वजह से नहीं आ पाये हैं।
बहुत सारी बातें कहनी हैं लेकिन धीरे-धीरे कह पाऊंगा। अभी तो प्रणाम स्वीकार करें।
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