19 August 2011

क्या अन्ना दल के सदस्य भ्रष्ट हैं?

फेसबुक पर योगेश ने पूछा है कि 
क्या अन्ना, अन्ना के दल के सदस्यो, अन्ना के सर्मथको ने, कभी किसी को रिशवत दी या किसी से ली नही? क्या वो भ्रष्ट नही है?
 
ये तो वही बात हुई कि वही पहला पत्थर फेंके जिसने पाप ना किया हो। इस देश में जो रिश्वत नहीं देते उनके सरकारी कार्य हो पाने मुश्किल हैं। सरकारी विभाग में कर्मचारियों को भी आपसी कार्यों के लिये यह रिश्वतरुपी सेवाशुल्क देना पडता है। बहुत से सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत लेने के लिये मजबूर भी किया जाता है। 

अन्ना दल के सदस्य हों, कोई कर्मचारी, अफसर या कोई नेता या कोई और जिसपर भी आरोप हैं, उनकी जांच सीमित समय में पूरी हो, अपराध सिद्ध हो जाये तो जल्द से जल्द कठोरतम सजा हो, इसके लिये ही तो जनलोकपाल बिल की लडाई है। 

भारतीय मानवता पुरस्कार और रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित अमृतसर पंजाब में जन्मी किरण बेदी  DG के पद से स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेकर समाजसेवा को अपनाया।  इनको रोककर इनके दो साल जूनियर को पदोन्नति दिया जाना भी भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
 

रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित हरियाणा के हिसार में जन्में अरविंद केजरीवाल 2006 में इन्कम टैक्स विभाग में ज्वायंट कमीशनर के पद से इस्तिफा देकर समाजसेवी बन गये। उन्होंने आयकर विभाग में फैले भ्रष्टाचार ने ही इससे लडने को मजबूर किया। RTI यानि सूचना का अधिकार लाने में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

रिश्वत लेना और रिश्वत देना दोनों कानूनन अपराध है। फिर भी इस देश में  बिना रिश्वत दिये कोई काम नहीं होता। कोई शिकायत करता है तो आरोपों की जांच नहीं होती और जांच होती है तो सजा नहीं होती।  जिन्हें रिश्वत देने और रिश्वत लेने को मजबूर किया जाता है, आज वही लोग अन्ना के समर्थन में नहीं अपने लिये खडे हुये हैं। वास्तव में जनता को आगे खडे होने वाला, नेतृत्व करने वाला कोई चाहिये, जो सरकार पर दबाव बना कर ऐसा कानून बनवा सके जिससे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीमित समय में जांच हो और अपराधी को जल्द से जल्द सजा का प्रावधान हो।  

11 comments:

  1. बड़ा आश्चर्य का विषय है कि भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले के पीछे सरकार की तमाम एजेंसियाँ और पुलिसिया तन्त्र क्यों लगा दिया जाता है...इससे सरकार का डर और सरकारी तन्त्र का दुरुपयोग दोनों स्पष्ट हो जाते हैं... यह सरकार भी मानती है कि भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और उससे निपटना आसान नहीं है, तो क्यों नहीं सिविल सोसाइटी की बात मानती है, जनलोकपाल बनने के बाद उसके दायरे मे अन्ना और उनकी टीम भी आएगी और यह किसी को भी अधिकार होगा कि उनकी जाँच लोकपाल से करवा सकता है.... लेकिन पहले ही उनपर आक्षेप लगा कर जनलोकपाल पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देना कहीं न कहीं भ्रष्टाचारियों का डर एवं आशंका को ही दिखाता है

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  2. अगर हो तब क्या, वैसे नहीं होंगे तो ये सरकार बना कर छोडेगी?

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  3. वास्तव में जनता को आगे खडे होने वाला, नेतृत्व करने वाला कोई चाहिये, जो सरकार पर दबाव बना कर ऐसा कानून बनवा सके जिससे भ्रष्टाचार के आरोपों की सीमित समय में जांच हो और अपराधी को जल्द से जल्द सजा का प्रावधान हो।

    (आमीन)

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  4. अंतर भाई, चोरो को सब चोर ही नजर आते हे, मै अन्ना हजारे की टीम की दिल से इज्जत करता हुं, किरण वेदी जी के बारे तो बहुत पहले ही पढा था, ओर उसी दिन इन्हे सलाम भी किया था, मेरे पिता जी C P W D मे अच्छॆ पद पर सर्विस करते थे, जिन्दगी मे कभी उन्होने एक पैसे की रिशवत नही ली, इस लिये हर तीसरे महीने उन की बदली हो जाती थी, लेकिन उस के बडे से बडा आफ़िसर भी उन से डरता था, वोही संस्कार मुझ मे हे मैने हरियाणा बिजली बोर्ड मे पांच साल गुजारे सच के सहारे, अफ़सरो से रोज बहस होती थी गलत काम, ओर गलत पैसा कभी नही जेब मे डाला, ओर मुझे रास्ता दिखाने वाले मेरे पिता जी थे, सच कभी नही डरता... अन्ना हजारे ओर उस की टीम सच्ची हे, इस लिये निडरता से लड रही हे.... जय हिंद बहुत सुंदर लेख लिखा धन्यवाद

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  5. इस भ्रष्‍ट और अपराधी सरकार के सामने यदि अन्‍ना टीम मजबूती से खड़ी है तो उनके जज्‍बे को सलाम करना चाहिए।

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  6. स्वयं प्रयास करना होगा, इस कीचड़ से दूर रहने का।

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  7. अगर उद्धेश्य अच्छा हो तो साधन और तरीके ज्यादा अहमियत नहीं रखते |

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  8. एक तरह से देखा जाये तो किरण बेदी तो खुद भ्रष्टाचार की शिकार हो गई थी |

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  9. जिसने पंक्चर करना है वो करने की कोशिश ही करेंगे।

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  10. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ......

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