"तेरे बाप का राज है क्या" इस पोस्ट में
उपरोक्त पंक्तियां पढकर कई मित्रों ने फार्मुला नं 45 और 36 और मंत्र के
बारे में जानने की इच्छा की थी। लेकिन श्री ललित शर्मा जी ने किसी को इन
मंत्रों की जानकारी नहीं दी। दोनों फार्मूले के नम्बर सबसे छोटी अविभाज्य
संख्या 3 से विभाजित होते हैं। तो तीन अक्षरों का वह मंत्र कौन सा है जिससे
बिगडे काम बन जाते हैं और बडे-बडे तीसमारखां आपके साथ बदमाशी या बेईमानी
करने का ख्याल दिल से निकाल देते हैं। यह मंत्र मैं आपको बताऊंगा, लेकिन
उससे पहले एक सूचना पढ लीजिये -
श्री राज भाटिया जी ने जर्मनी से आकर आप सबसे मिलने का कार्यक्रम बनाया है। कुछ मित्र कहते हैं कि कोशिश करेंगें। मेरा उनसे कहना है कि वादा मत कीजिये केवल कोशिश कीजियेगा, क्योंकि
वायदे टूट जाते हैं अक्सर, कोशिशें कामयाब होती हैं
तारीख - 24 दिसम्बर 2011
दिन - शनिवार
समय - सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे
समय - सुबह 11:00 बजे से शाम 4:00 बजे
स्थल - पंजाबी धर्मशाला, रेलवे रोड, सांपला
देखिये निम्न पोस्ट
श्री राज भाटिया जी के ब्लॉग पराया देश से उद्धरित पंक्तियां -
"मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल मगर,
लोग साथ आते गये, कारवाँ बनता गया"
हम और आप भी जुड हुये हैं इस कारवाँ से। लेकिन श्री राज भाटिया जी के
शब्दों में इस ब्लॉगर मिलन का उद्देश्य केवल आभासी संसार से निकल कर
आमने-सामने मिल बैठना है।
इस ब्लांग मिलन मे आप
सब आमंत्रित हैं।
इस ब्लॉग मिलन का असली मकसद सिर्फ़ यही है कि हम आपस
में मिले, जिन्हे हम टिपण्णियां देते हे, जिन के लेख पढते हे, क्यों ना उन
सब से मिले। इस ब्लांग मिलन मे कोई संगठन , यूनियन या कोई ओर ऐसी-वैसी बात नही
होगी बस खाना पीना, बातें, विचारो का आदान प्रदान ओर आपस मे मिलना जुलना
होगा ओर ब्लॉगिंग से सम्बधित बातें होंगी। सो एक बार आप सब से मिलना हो
जायेगा इसी बहाने, ओर ब्लॉगिंग की बातों के अलावा भी बहुत सी बातें होंगी,
चुटकले होंगे, कविता होगी, शेर, बकरी, गजल या गीत होगा।
अरे! आपको बडी जल्दी है मंत्र के बारे में जानने की। चलो बता देता हूँ। आपको बस इतना करना है कि कोई भी आपके साथ कुछ गलत करता है तो उसके कान में 3 बार ये 3 शब्द कहें - "मैं ब्लॉगर हूँ" "मैं ब्लॉगर हूँ"
"मैं ब्लॉगर हूँ"
अगर आप सचमुच ब्लॉगर हैं तो सामने वाला हथियार डाल देगा, वर्ना आप समझदार हैं ही-ही-ही-ही
जिसकी जुबान ही ना हो उसका वायदा क्या व कोशिश क्या?
ReplyDelete@ जाट देवता जी
ReplyDeleteबहुत कुछ अपने हाथ में नहीं होता है। कई बार परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि जुबान वाले भी वायदा पूरा करने में असमर्थ हो जाते हैं।
प्रणाम
इन नंबरी फ़ार्मूलों को एक ही मतलब लगता कि - "भइये समझा कर, मैं ठुल्ला हूं."
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनायें ब्लॉगर मिलन की।
ReplyDeleteस्वागतम स्वागतम स्वागतम
ReplyDeleteराज भाई का स्वागत है ....
ReplyDeleteशुभकामनायें अमित !
अरे हमे भी बतलाना यह फ़ार्मूला,
ReplyDeleteराज भाटिया जी का भारत में स्वागत है। 24 दिसम्बर को मैं चण्डीगढ़ हूँ इसकारण उनसे मिलने की ईच्छा होते हुए भी नहीं मिला जा सकाता है। क्षमा करेंगे।
ReplyDeleteShubhkamnaye...
ReplyDeleteजस्ट डायल डॉट कॉम धोखाधड़ी, लूट खसोट Just Dial.com Scam/ Fraud
सुंदर फार्मूले,...
ReplyDeleteशुभकामनाए....
चलते का नाम फ़ार्मूला:)
ReplyDelete