"सरकार का कोई भी प्रयास कुछ नहीं कर सकता क्युकी जो लोग "गरीब " हैं वो
अपने बच्चो को पैसा कमाने की मशीन मानते हैं और खुद कहते हैं की बच्चे
ज्यादा होने से कोई नुक्सान नहीं होता . उनके हिसाब से बच्चो पर कोई खर्चा
ही नहीं होता हैं . उनका तो एक ५ साल का बच्चा भी रद्दी जमा करके दिन में
३० रूपए कमा लेता हैं।"
हालांकि उनकी ये पंक्तियां किसी दूसरे संदर्भ में हैं, फिर भी इन बातों से मेरे मन में कुछ विचार आये हैं।
1> क्या ज्यादा बच्चे पैदा करने के बाद भी "गरीब" के जीवन स्तर में सुधार आ पाता है।
2> उच्च और मध्य श्रेणी की बजाय गरीब परिवारों में जन्म की दर अधिक है, इस कारण से गरीब वर्ग में बढोतरी बढती जा रही है।
3> किसी भी देश में संसाधनों की अपनी सीमा होती है, इस कमी के कारण गरीब अपने स्तर से बाहर नहीं आ पाता।
अब ये आंकडे देखिये :
1> भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा मलिन बस्तियां हैं।
2> दुनिया की आबादी का 17.5% भारत में है और क्षेत्रफल का केवल 2.4% है।
3> भारत की आबादी में 42% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे है।
4> भारत के शहरों में रह रहे 30करोड परिवारों में 6करोड मलिन बस्तियों में निवास करते हैं।
अब सवाल ये है कि क्या जन्म देने का अधिकार सबको मिलना चाहिये। जनसंख्या वृद्धि रोकने में सरकार के प्रयासों की कमी नहीं है, फिर भी इसे लोगों की इच्छा पर छोडा गया है। इसी कारण से भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या वृद्धि की दर करीबन 18% है। ऐसे उपाय जिन्हें सख्ती से इस देश में लागू किया जाये तो जनसंख्या वृद्धि पर नकेल लगाई जा सकती है।
1> आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं को मिले जो केवल 1बच्चा पैदा करे उसी को मिलना चाहिये।
2> सरकारी संसाधनों का लाभ जैसे अस्पताल आदि से मदद केवल पहले बच्चे के जन्म पर मिले। दूसरे बच्चे के जन्म का खर्च आदि परिवार स्वयं वहन करे।
3> पालन-पोषण का सामर्थ्य हो तो दम्पत्ति को दूसरा बच्चा पैदा करने की अनुमति मिले।
4> ॠण या अन्य मदद चाहने वालों के लिये नसबंदी जरुरी कर दी जाये।
5> गर्भनिरोधक हर वस्तु को सहज, सुलभ, मुफ्त, सब्सिडी या टैक्स फ्री किया जा सकता है।
भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चोरी, लूटमार, हत्या सबकी एक ही जड जनसंख्या वृद्धि है।
चलते-चलते एक सवाल और है कि आरक्षण पिछ्डों और दलितों के विकास के लिये बना था। अगर कोई आई पी एस रैंक
का अधिकारी या इन्कम या सेल्स टैक्स ऑफिसर या कोई बडा पद आरक्षण के जरिये
पा जाता है तो क्या उसके बच्चों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये???
हमारी सरकार को चीन की तरह ठोस कदम उठाने होंगे अन्यथा आबादी ऐसे ही बढती जायेगी
ReplyDeleteहमारे यहाँ आरक्षण का आधार ही गलत है, आरक्षण किसी जाति विशेष के लिए न होकर केवल आथिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए
नियम तो बन जाते हैं हमारे यहाँ पर उनका पालन नहीं होता .जिस दिन होने लगेगा अधिकाँश समस्याएं खत्म हो जाएँगी.
ReplyDeleteजियो सोहिल बाबू आज तो आपने बहुत जानदार बात कह दी है, सोने पे सुहागा तो तब हो जब ये पोस्ट किसी ढंग के अधिकारी को भी पढने को मिल जाये ताकि इस पर कुछ कार्यवाही शुरु हो सके, लेकिन जब तक इस देश में वोट की गंदी राजनीति होती रहेगी आप की लिखी बाते कोई मान ले मुश्किल लगता है, फ़िर भी उम्मीद पर दुनिया कायम है हम भी उम्मीद करते है कि ये जरुरी बाते मानी जाये। अखबारों में ना जाने कितने ब्लॉग आते रहते है मैं देखना चाहूँगा कि किसी अखबार वाले की नजर भी इतनी बेहतरीन सलाह की ओर जाती भी है या नहीं?
ReplyDelete1> क्या ज्यादा बच्चे पैदा करने के बाद भी "गरीब" के जीवन स्तर में सुधार आ पाता है।
ReplyDeleteगरीब को जल्दी ही री डिफाइन करना होगा , आप जिन्हे आज गरीब कहते हैं उन में से कुछ घर ऐसे हैं जहां महीने की आम दनी ४० हज़ार हैं और वो फिर भी झुगी में ही रहते हैं . बिजली चोरी की , खाना उनके यहाँ जहां कम करते हैं, रहना फ्री
2> उच्च और मध्य श्रेणी की बजाय गरीब परिवारों में जन्म की दर अधिक है, इस कारण से गरीब वर्ग में बढोतरी बढती जा रही है।
माध्यम वर्ग के बच्चे पर जोड़ कर देखिये कितना खर्च होता हैं और वो क्या कमाता हैं , गरीब के यहाँ क्या खर्च होता हैं और वो क्या कामता हैं ज्यादा इसलिये पैदा करना हैं क्युकी पैसा उतना ही कमा सकते हैं
yesterday there was a news that soniya and rahul are planning to give rs 6000 per month to pregnant woman for at least 4 months who belong to "garib class "
ReplyDeletenow you rethink sohail and thank you for starting your post with my words good to know they were strong enough to start a thinking process
आरक्षण पिछ्डों और दलितों के विकास के लिये बना था। अगर कोई आई पी एस रैंक का अधिकारी या इन्कम या सेल्स टैक्स ऑफिसर या कोई बडा पद आरक्षण के जरिये पा जाता है तो क्या उसके बच्चों को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिये???
ReplyDeletejis desh me sarkari naukar ke nidhan kae baad uskae patni aur bachcho ko naukri kaa pravdhan haen wahaan yae sab swaal hi galat haen
ham equality ki baat kartae hi nahin haen
मौलिक प्रश्न हैं, उत्तर भी गहरे होंगे।
ReplyDeleteआरक्षण होना ही नही चाहिये, अगर सरकार या हमारे नेता गरीबो की दलितो की, ओर अन्य पिछडे वर्ग की मदद करना चाहती हे, तो सब से पहले इन से वोट की राज नीति ना करे, ओर हर बच्चे को कम से कम दसवी तक की पढाई बिलकुल फ़्रि मे करवाये, अगर बच्चे होनहार हो तो उन्हे आगे की पढाई भी मुफ़त मे करवाये, या उन्हे सरकारी कर्ज दे पढने के लिये...
ReplyDeleteज्यादा बच्चे या कम यह सब तो अपनी अपनी सोच पर निर्भर हे, हम जितने बच्चो को अच्छा भविष्य दे सकते हे , ओर देश की आबादी पर भी असर ना पडे यह सब सोच कर बच्चे पेदा करे, करने को हर साल एक माडल तेयार कर लो... लेकिन जब सब चोर उच्चके बन जाये ओर समाज पर बोझ बन जाये तो उस का क्या लाभ, एक या दो बच्चे हमे अपनी आमदन देख कर करने चाहिये, अगर मेरे पास खाने को दाने नही ओर दस बच्चे कर लुं तो उन्हे कहां से दुंगा? यह तो पाप ही हुआ
आरक्षण एक अस्थाई प्रावधान था, जिसे सत्तालोलुपता और चंद जातियों के लाभ के लिये हर बार एक्सटेंड कर दिया जाता है। आरक्षण का आधार सिर्फ़ और सिर्फ़ आर्थिक स्तर होना चाहिये।
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