06 May 2010

एक मछली ने मेरी जान बचाई!

मुल्ला नसरूद्दीन कहीं जा रहा था। रास्ते में एक योगी के द्वार पर रुका, विश्राम करने के लिये। योगी अपने शिष्यों को समझा रहा था जीव-दया के बारे में। बता रहा था कि समस्त जीवन जुडा हुआ है, सब जीव ईश्वर की रचना है और दया ही धर्म है। 
जब योगी बोल चुका तो मुल्ला ने भी खडे होकर कहा कि आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। एक बार मेरी जान एक मछली ने बचाई थी। योगी तो एकदम हाथ जोडकर उसके चरणों में बैठ गया। उसने कहा कि धन्य! मैनें कई पशुओं की जान बचाई है, लेकिन  आज तक किसी पशु ने मेरी जान नहीं बचाई है। तुम्हारी बात से मेरा सिद्धांत पूरी तरह सिद्ध हो जाता है। तुम रूको यहां, विश्राम करो यहां।
तीन दिन मुल्ला नसरूद्दीन की बडी सेवा हुई। और तीन दिन योगी की बहुत सी बातें नसरूद्दीन ने सुनीं। चौथे दिन योगी ने कहा कि अब तुम पूरी घटना बताओ, वह रहस्य, जिसमें एक मछली ने तुम्हारी जान बचा दी थी! नसरूद्दीन ने कहा कि आपकी इतनी बातें सुनने के बाद मैं सोचता हूं कि अब बताने की कोई जरूरत नहीं है। योगी नीचे बैठ गया और कहा, गुरुदेव आप बचकर नहीं जा सकते। बताना ही पडेगा। नसरूद्दीन ने कहा, अच्छा यह हो कि वह चर्चा अब न छेडी जाए। वह विषय छेडना ठीक नहीं है। योगी तो बिल्कुल सिर रखकर जमीन पर लेट गया। उसने कहा कि मैं छोडूंगा नहीं गुरुदेव! वह रहस्य तो मैं जानना ही चाहूंगा। क्या आप मुझे इस योग्य नहीं समझते?
नसरूद्दीन ने कहा, नहीं मानते, तो मैं कहे देता हूं। मैं बहुत भूखा था और एक मछली को खाकर मेरी जान बची! एक मछली ने मेरी जान बचाई!
यह पंक्तियां गीता-दर्शन (भाग पांच)  से साभार ली गई है। अगर ओशो इन्ट्रनेशनल फाऊण्डेशन या किसी को आपत्ति है तो क्षमायाचना सहित हटा दी जायेंगी। 

8 comments:

  1. Not bad dear carry on.............

    ReplyDelete
  2. मछली स्वर्ग गई और मुल्ला वहां है जहां है! :)

    ReplyDelete
  3. यह योगी भी अजीब था जिसे तीन दिन बाद याद आई... वेसे मच्छी ने ही मुल्ला की जान बचाई सच तो है:)

    ReplyDelete
  4. अजी वो योगी महाराज कित सै? उन्हे तो सबक मिल ग्या होगा के मछली ने कुक्कर जान बचा दी।

    ReplyDelete

मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।