17 May 2010

हे गुमनाम, अज्ञात, अनामी तुम्हारा भी आभार

हे नामरहित प्राणी तुम कब तक अज्ञात रह पाओगे। कभी ना कभी तो पहचान लिये ही जाओगे। मेरे बडे मुझे बताते हैं कि अनाम, गुमनाम वाली टिप्पणियां बंद कर दो। उनका कहा सिर-माथे। लेकिन मेरे विचार से और तुम्हें भी तो मालूम है कि इससे होगा क्या? तुमतो फर्जी आईडी बनाकर कुछ भी नाम रखकर टिप्पणी कर सकते हो। हां टिप्पणी माडरेशन द्वारा तुम्हारे कुविचारों को दूसरों तक पहुंचने से बचाया जा सकता है।  मगर इस प्रक्रिया से हमारे बंधु और अन्य मित्र जो उत्साह से टिप्पणी करते हैं और पोस्ट के विषय पर अपने विचार बताते हैं, उनकी टिप्पणी पब्लिश होने में देरी हो जाती है। हर टिप्पणीकर्ता यही चाहता है कि उसकी टिप्पणी तुरंत दिखे, जिससे बाद में आने वाले लोगों को भी विषय के बारे में ज्यादा चर्चा हो जाये। 

तुमने तो शायद लोगों के झगडे करवाने की कसम खा रखी है। मगर तुम ज्यादा समय तक गुमनाम नही रह पाओगे। मुझे पता है कि तुम बहुत चतुर हो, तुम 16 मई 2010 को दिल्ली में बैठकर पेज विजिट करते हो और स्टेट काऊंटर उसे वडोदरा या अहमदाबाद का आई पी बताता है। अगर तुम ये नहीं हो तो….….….….….

वो हो जो 16 मई 2010 सुबह-सुबह (8:14) पर मेरा ब्लाग खोलता है और पूरे 7 घंटे ब्लागपेज पर रहता है। 6 बार रिफ्रेश/रिलोड करता है।  अगर आप यह हो तो मुझे आपके बारे में सबकुछ पता है।

बहुत चालाक आदमी हो तुम, ब्लागपेज पर आते ही टिप्पणी करने के बजाय तुमने दो घंटे से ज्यादा  इंतजार किया और टिप्पणी करने के बाद भी ब्लागपेज को बंद नहीं किया।

पूरा ब्लागजगत करे ना करे, मैं तुम्हारा भी आभार व्यक्त करता हूं, तुम्हारे ही कारण तो सैकडों पोस्ट लिखी जा चुकी हैं और हजारों लिखी जायेंगीं। सबसे ज्यादा पढी जाने वाली पोस्टें सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी देन है। ये ब्लागजगत को समृद्ध करने में तुम्हारा सहयोग सराहनीय है।

7 comments:

  1. आज गुमनाम है
    कल नाम होगा

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  2. अमित साहब, ऐसा क्या हाथ लग गया है जिससे आप किसी की आइडी बता सकते हो? जरा मुझे भी बताना।

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  3. नीरज भाई
    बहुत आसान है, मिलने पर बताऊंगां।
    20-05 तारीख को मैं हरिद्वार जा रहा हूं। 23 को आदरणीय ललित शर्मा जी दिल्ली आ रहे हैं। मैं 23 को दोपहर तक आ जाऊंगां। फिर बैठते हैं आप समय निकालना हमारे लिये।

    जै रामजी की

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  4. बेनामी अनन्त बेनामी कथा अनन्ता...
    जय बेनामी देव्!

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  5. अमित भाई अब जल्दी से यह यंत्र हमे भी बता दो, क्योकि जो यंत्र हमारे पास है उस पर हमे पुरा यकीन नही, ओर हम उस के चक्कर मै किसी अपने को नाराज ही ना कर दे.... चलिये आप का यंत्र जिन्दा वाद होना चाहिये ओर जब यह अनामी /अनामिका पकडा/ पकडी गई तो उस दिन मै एक बीयर आप के नाम से पी लुंगा . धन्यवाद

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  6. "बेनामी अनन्त बेनामी कथा अनन्ता...
    जय बेनामी देव्!"

    pandit ji ne sahi kaha!

    kunwar ji,

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मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।