07 June 2010

आपको बुरा लगे तो लगे मगर यह जरूर कहूंगा

image गाय-भैंस एक बार बहुत सारा चारा खा लेती हैं और बाद में आराम से बैठ कर जुगाली करती हैं। मेरी ये पोस्टें भी मेरी जुगाली ही है। पिछली ब्लागर मीट ने मेरे दिमाग में कुछ विचार भर दिये हैं। इस ब्लागर मीट में मुख्य मुद्दा "संगठन" था। लेकिन इससे भी अहम मुद्दा जो कई बार उठाया गया है, पर ध्यान कम दिया जाता है, वो है हिन्दी ब्लाग्स पर "पाठकों की कमी" का। श्री रतन सिंह शेखावत जी ने भी इसे उठाया था और कुछ सुझाव भी दिये थे। 

यहां मैं अपनी बात कहूंगां। मैं अपने नाम AMIT GUPTA को सर्च कर रहा था तो दुनिया मेरी नजर से  का  पेज खुला। उन्हें पढते-पढते मैं भी ब्लागर बन गया। आज भी ज्यादातर लोग कुछ भी सर्च करते हैं, तो रोमन में ही लिखकर सर्च करते हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि रोमन में सर्च किये शब्द से कोई हिन्दी का पेज खुले।  तो क्यों ना हम अपनी पोस्टों में एक-आध शब्द या लेबल में रोमन का जरूर प्रयोग करें। (सच बताईयेगा क्या आप भी कुछ सर्च करते वक्त रोमन लिपि का उपयोग नहीं करते हैं) अजी रूकिये गुस्सा होने से पहले पूरा तो पढ लें। मैं इसे अंग्रेजी का सहारा लेना नही कहता, बल्कि इसका फायदा उठा कर अपना काम निकालना कहता हूं। हां हम इतने पेज नेट पर हिन्दी में लिखते चले जायेंगें कि, कोई कुछ भी सर्च करे, उसे हिन्दी का पेज जरूर दिखायी दे या सर्च लिस्ट में आये। इससे हिन्दी पढने के बाद नये लोग भी हिन्दी में लिखना चाहेंगें। पाठक बढेंगें तो हिन्दी ब्लागस भी बढेंगें।

एकदम से कोई भी गंभीर विषय पढना और लिखना नहीं शुरू कर देता है। नये पाठकों को लंबी और गंभीर पोस्टें नहीं, बल्कि हल्की-फुल्की, छोटी और मसालेदार ज्यादा आकर्षित करती हैं। तीन वर्ष पहले मैं ना जाने क्या-2 वेबसाईट खोल कर बैठा रहता था। फिर केवल उन्हीं ब्लाग्स से आकर्षित हुआ जिनपर चुटकुलें या विवाद होता था। आज गंभीर विषयों और सामाजिक पोस्टों में भी दिलचस्पी बढ गयी है। यहां श्री अजय झा जी की बात सही लगती है कि नकारात्मक पोस्टों के भी सकारात्मक नतीजे हो सकते हैं।  पिछले कुछ विवादों ने भी हमें कई नये ब्लाग्स दिये हैं।

आपको बुरा लगे तो लगे मगर यह जरूर कहूंगा कि लंबे-लंबे वक्तव्य, भाषण और पोस्ट चाहे जितने मर्जी गूढ हों, उन्हें सुनना और पढना बहुत दुरूह होता है। श्रोता और पाठक ऊबने लगता है और उसका ध्यान बंट जाता है।  समय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।

23 comments:

  1. समय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।

    purn sehmati

    ReplyDelete
  2. बात तो आपकी ठीक है !

    ReplyDelete
  3. समय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।
    हम भी इस बात से सहमत हैं की यह तरीका किसी भी पोस्ट को आकर्षक बनता है , हाँ कहीं अगर बहुत जरूरी हो तो थोडा ज्यादा शब्द भी पढ़ लेते हैं लोग और यह सब निर्भर करता है विषय की गंभीरता पर |

    ReplyDelete
  4. बिलकुल सही कहा आपने. मेरे विचार से तो कोई हर्ज नहीं है रोमन का प्रयोग करने में.

    ReplyDelete
  5. रोचनात्‍मकता होनी चाहिये, बिना रोचनात्‍मकता के सब व्‍यर्थ है।

    ReplyDelete
  6. बिल्कुल सही मुद्दा उठाया आपने....सहमत!

    ReplyDelete
  7. निश्चित ही आलेख या जो भी बात कह रहे हैं, उसकी लम्बाई, उसकी रोचकता और बाँधे रहने की क्षमता के अनुरुप ही होना चाहिये वरना पाठक को आज के व्यस्त समय में रोक पाना असंभव है.


    विचारणीय!!

    ReplyDelete
  8. बहुत ही अच्छा सुझाव है!

    ReplyDelete
  9. ha sahi he kam bolo kam likho magar achha likho taki use hajaro salo tak log yad rakh sake

    shukriya aap ka

    बहुत खूबसूरत भाव

    ReplyDelete
  10. @ महाशक्ति - रोचनात्‍मकता होनी चाहिये, बिना रोचनात्‍मकता के सब व्‍यर्थ है।
    रोचकता शब्द सुना था. नव शब्द निर्माण के लिये बधाई. हिन्दी पर उपकार हुआ

    ReplyDelete
  11. aapne bahut sahi baat kahi hai..
    main aaj se hi is par amal bhi karungi..
    dhnywaad..

    ReplyDelete
  12. मैंने हाल में ही अपनी पोस्टों के नीचे एक पंक्ति में अंग्रेजी में उनका विवरण देना शुरू किया है. इसके परिणाम अच्छे हैं.

    ReplyDelete
  13. Lo bhaiyya hamari to tippani bhi Roman me hi lo!
    Aur haan, hamare paas mind karne ke liye bhi mind nahin hai.....
    Kaam hona chahiye bas, phir kya farq padta hai?

    ReplyDelete
  14. इसमें हर्ज़ भी क्या है ...हम हिंदी में लिखते हैं मगर इंग्लिश से परहेज क्यों करें ..? हमारी भाषा सशक्त है और अपने पर विश्वास होना चाहिए ! ब्लागिंग का उद्देश्य तो परस्पर विचार बांटने का और अच्छे लेखों का आनंद लेना है !
    आप मजबूती से अपनी बात कहते हैं...बहुत बहुत शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  15. मैं रोमन में लिख कर हिन्दी में सर्च नहीं करता हूं। हिन्दी में सर्च केवल देवनागरी में ही लिख कर करता हूं। रोमन में लिख कर, केवल अंग्रेजी सर्च करता हूं।

    लेकिन मैं यह अवश्य जानता हूं कि अधिकतर लोग रोमन में लिख कर सर्च करते हैं। बहुत सी टिप्पणियां तो रोमन में होती हैं। इसलिये कोई भी चिट्ठी प्रकाशित करते समय उसका शीर्षक अंग्रेजी में लिखता हूं ताकि वह उसी में सर्च की जा सके। बाद में संकेतिक शब्द अंग्रेजी (रोमन) में भी अवश्य लिखता हूं ताकि उन शब्दों में वह चिट्ठी शामिल हो सके। अपनी चिट्ठी में भी अंग्रेजी के शब्द रोमन में लिखता हूं। यह उचित है। इसमें कोई गलती नहीं।

    ReplyDelete
  16. अच्छा सुझाव... अपनाते है...

    ReplyDelete
  17. हम तो जी शुरू से ही ऐसे फील्ड में हैं कि कोई नया-पुराना खोजकर्त्ता बोर हो ही नहीं सकता। तो जी हमारे बारे में क्या ख्याल हैं? और हां, मुझे अंग्रेजी नहीं आती है, और ना ही सीखना चाहता हूं।

    ReplyDelete
  18. उन्मुक्त जी को मैने सदा बेहतर सर्च-इफेक्टिव पया है। उस तरह से लिखने में कुछ समय अधिक लग सकता है, पर वह फायदेमन्द है।

    ReplyDelete

मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।