"क्या रंगीं जमाल चेहरा आंखों को भा गया है आंखों के रास्ते वो दिल में समा गया है" "सखी पनघट पर जमुना के तट पर लेकर पहुंची मटकी भूल गई एक बार सब जब छवि देखी नटखट की" |
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इस एल्बम का नाम है श्याम दी कमली
इस प्यारे भजन के गायक श्री विनोद अग्रवाल जी भजन और सूफी गायक के साथ-साथ संत भी हैं। इनके कंठ से निकले गीत मुझे तो झूमने पर मजबूर कर देते हैं। इस एल्बम से दो और भजन छोटी सी दुल्हनियां और ना जी भर के देखा सुन सकते हैं।
यह गीत करीबन 30 मिनट का है। इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें। अंतरे में धुन है, आपकी आंखें स्वत: बंद हों जायेंगीं और आपको अपार आनन्द की अनुभूति होगी।
इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।
अभी सुनता हूं।
ReplyDeleteधन्यवाद, बुकमार्क्ड कर लिया है, आराम से सुना जायेगा ।
ReplyDeleteनया ब्लॉग प्रारम्भ किया है, न दैन्यं न पलायनम् , आप भी आयें ।
http://praveenpandeypp.blogspot.com/2010/06/blog-post_23.html
अजी खाली समय मै सुनेगे तो सुन हो गया, क्योकि हमारे पास कभी खाली समय होता ही नही, इस लिये हम अभी इसे सुन रहे है साथ मै टिपण्णीयां भी निपटा देगे
ReplyDeleteआहा आहा ! मज़ा आ गया ।
ReplyDeleteअब गाना चलता रहेगा और हम ब्लोगिंग करते रहेंगे ।
अच्छा गायन है।
हार्दिक आभार।
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आखिर क्यूँ हैं डा0 मिश्र मेरे ब्लॉग गुरू?
बड़े-बड़े टापते रहे, नन्ही लेखिका ने बाजी मारी।
मैने भी बुकमार्क कर लिया है धन्यवाद ।
ReplyDeleteगजब की प्रस्तुति।
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क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।