23 June 2010

सास ननद मोहे पल-पल कोसें Roop Salona Dekh

"क्या रंगीं जमाल चेहरा आंखों को भा गया है
आंखों के रास्ते वो दिल में समा गया है"

"सखी पनघट पर जमुना के तट पर लेकर पहुंची मटकी
भूल गई एक बार सब जब छवि देखी नटखट की"
इस एल्बम का नाम है श्याम दी कमली

इस प्यारे भजन के गायक श्री विनोद अग्रवाल जी भजन और सूफी गायक के साथ-साथ संत भी हैं। इनके कंठ से निकले गीत मुझे तो झूमने पर मजबूर कर देते हैं। इस एल्बम से दो और भजन छोटी सी दुल्हनियां और ना जी भर के देखा सुन सकते हैं।

यह गीत करीबन 30 मिनट का है। इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें। अंतरे में धुन है, आपकी आंखें स्वत: बंद हों जायेंगीं और आपको अपार आनन्द की अनुभूति होगी।




इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

7 comments:

  1. धन्यवाद, बुकमार्क्ड कर लिया है, आराम से सुना जायेगा ।

    नया ब्लॉग प्रारम्भ किया है, न दैन्यं न पलायनम् , आप भी आयें ।
    http://praveenpandeypp.blogspot.com/2010/06/blog-post_23.html

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  2. अजी खाली समय मै सुनेगे तो सुन हो गया, क्योकि हमारे पास कभी खाली समय होता ही नही, इस लिये हम अभी इसे सुन रहे है साथ मै टिपण्णीयां भी निपटा देगे

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  3. आहा आहा ! मज़ा आ गया ।
    अब गाना चलता रहेगा और हम ब्लोगिंग करते रहेंगे ।
    अच्छा गायन है।

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  4. मैने भी बुकमार्क कर लिया है धन्यवाद ।

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  5. गजब की प्रस्तुति।
    ---------
    क्या आप बता सकते हैं कि इंसान और साँप में कौन ज़्यादा ज़हरीला होता है?
    अगर हाँ, तो फिर चले आइए रहस्य और रोमाँच से भरी एक नवीन दुनिया में आपका स्वागत है।

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मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।