गाय-भैंस एक बार बहुत सारा चारा खा लेती हैं और बाद में आराम से बैठ कर जुगाली करती हैं। मेरी ये पोस्टें भी मेरी जुगाली ही है। पिछली ब्लागर मीट ने मेरे दिमाग में कुछ विचार भर दिये हैं। इस ब्लागर मीट में मुख्य मुद्दा "संगठन" था। लेकिन इससे भी अहम मुद्दा जो कई बार उठाया गया है, पर ध्यान कम दिया जाता है, वो है हिन्दी ब्लाग्स पर "पाठकों की कमी" का। श्री रतन सिंह शेखावत जी ने भी इसे उठाया था और कुछ सुझाव भी दिये थे।
यहां मैं अपनी बात कहूंगां। मैं अपने नाम AMIT GUPTA को सर्च कर रहा था तो दुनिया मेरी नजर से का पेज खुला। उन्हें पढते-पढते मैं भी ब्लागर बन गया। आज भी ज्यादातर लोग कुछ भी सर्च करते हैं, तो रोमन में ही लिखकर सर्च करते हैं। बहुत कम ऐसा होता है कि रोमन में सर्च किये शब्द से कोई हिन्दी का पेज खुले। तो क्यों ना हम अपनी पोस्टों में एक-आध शब्द या लेबल में रोमन का जरूर प्रयोग करें। (सच बताईयेगा क्या आप भी कुछ सर्च करते वक्त रोमन लिपि का उपयोग नहीं करते हैं) अजी रूकिये गुस्सा होने से पहले पूरा तो पढ लें। मैं इसे अंग्रेजी का सहारा लेना नही कहता, बल्कि इसका फायदा उठा कर अपना काम निकालना कहता हूं। हां हम इतने पेज नेट पर हिन्दी में लिखते चले जायेंगें कि, कोई कुछ भी सर्च करे, उसे हिन्दी का पेज जरूर दिखायी दे या सर्च लिस्ट में आये। इससे हिन्दी पढने के बाद नये लोग भी हिन्दी में लिखना चाहेंगें। पाठक बढेंगें तो हिन्दी ब्लागस भी बढेंगें।
एकदम से कोई भी गंभीर विषय पढना और लिखना नहीं शुरू कर देता है। नये पाठकों को लंबी और गंभीर पोस्टें नहीं, बल्कि हल्की-फुल्की, छोटी और मसालेदार ज्यादा आकर्षित करती हैं। तीन वर्ष पहले मैं ना जाने क्या-2 वेबसाईट खोल कर बैठा रहता था। फिर केवल उन्हीं ब्लाग्स से आकर्षित हुआ जिनपर चुटकुलें या विवाद होता था। आज गंभीर विषयों और सामाजिक पोस्टों में भी दिलचस्पी बढ गयी है। यहां श्री अजय झा जी की बात सही लगती है कि नकारात्मक पोस्टों के भी सकारात्मक नतीजे हो सकते हैं। पिछले कुछ विवादों ने भी हमें कई नये ब्लाग्स दिये हैं।
आपको बुरा लगे तो लगे मगर यह जरूर कहूंगा कि लंबे-लंबे वक्तव्य, भाषण और पोस्ट चाहे जितने मर्जी गूढ हों, उन्हें सुनना और पढना बहुत दुरूह होता है। श्रोता और पाठक ऊबने लगता है और उसका ध्यान बंट जाता है। समय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।
समय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।
ReplyDeletepurn sehmati
बात तो आपकी ठीक है !
ReplyDeleteसमय सीमा का ध्यान रखकर हमें अपनी बात जल्द से जल्द और कम शब्दों में कहकर समाप्त करनी चाहिये, ताकि दूसरे लोग भी अपने विचार बता सकें, रख सकें।
ReplyDeleteहम भी इस बात से सहमत हैं की यह तरीका किसी भी पोस्ट को आकर्षक बनता है , हाँ कहीं अगर बहुत जरूरी हो तो थोडा ज्यादा शब्द भी पढ़ लेते हैं लोग और यह सब निर्भर करता है विषय की गंभीरता पर |
बिलकुल सही कहा आपने. मेरे विचार से तो कोई हर्ज नहीं है रोमन का प्रयोग करने में.
ReplyDeleteरोचनात्मकता होनी चाहिये, बिना रोचनात्मकता के सब व्यर्थ है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही मुद्दा उठाया आपने....सहमत!
ReplyDeleteनिश्चित ही आलेख या जो भी बात कह रहे हैं, उसकी लम्बाई, उसकी रोचकता और बाँधे रहने की क्षमता के अनुरुप ही होना चाहिये वरना पाठक को आज के व्यस्त समय में रोक पाना असंभव है.
ReplyDeleteविचारणीय!!
बहुत ही अच्छा सुझाव है!
ReplyDeleteha sahi he kam bolo kam likho magar achha likho taki use hajaro salo tak log yad rakh sake
ReplyDeleteshukriya aap ka
बहुत खूबसूरत भाव
@ महाशक्ति - रोचनात्मकता होनी चाहिये, बिना रोचनात्मकता के सब व्यर्थ है।
ReplyDeleteरोचकता शब्द सुना था. नव शब्द निर्माण के लिये बधाई. हिन्दी पर उपकार हुआ
aapne bahut sahi baat kahi hai..
ReplyDeletemain aaj se hi is par amal bhi karungi..
dhnywaad..
मैंने हाल में ही अपनी पोस्टों के नीचे एक पंक्ति में अंग्रेजी में उनका विवरण देना शुरू किया है. इसके परिणाम अच्छे हैं.
ReplyDeleteसहमत जी
ReplyDelete100% सहमत |
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteLo bhaiyya hamari to tippani bhi Roman me hi lo!
ReplyDeleteAur haan, hamare paas mind karne ke liye bhi mind nahin hai.....
Kaam hona chahiye bas, phir kya farq padta hai?
इसमें हर्ज़ भी क्या है ...हम हिंदी में लिखते हैं मगर इंग्लिश से परहेज क्यों करें ..? हमारी भाषा सशक्त है और अपने पर विश्वास होना चाहिए ! ब्लागिंग का उद्देश्य तो परस्पर विचार बांटने का और अच्छे लेखों का आनंद लेना है !
ReplyDeleteआप मजबूती से अपनी बात कहते हैं...बहुत बहुत शुभकामनायें !
मैं रोमन में लिख कर हिन्दी में सर्च नहीं करता हूं। हिन्दी में सर्च केवल देवनागरी में ही लिख कर करता हूं। रोमन में लिख कर, केवल अंग्रेजी सर्च करता हूं।
ReplyDeleteलेकिन मैं यह अवश्य जानता हूं कि अधिकतर लोग रोमन में लिख कर सर्च करते हैं। बहुत सी टिप्पणियां तो रोमन में होती हैं। इसलिये कोई भी चिट्ठी प्रकाशित करते समय उसका शीर्षक अंग्रेजी में लिखता हूं ताकि वह उसी में सर्च की जा सके। बाद में संकेतिक शब्द अंग्रेजी (रोमन) में भी अवश्य लिखता हूं ताकि उन शब्दों में वह चिट्ठी शामिल हो सके। अपनी चिट्ठी में भी अंग्रेजी के शब्द रोमन में लिखता हूं। यह उचित है। इसमें कोई गलती नहीं।
अच्छा सुझाव... अपनाते है...
ReplyDeleteहम तो जी शुरू से ही ऐसे फील्ड में हैं कि कोई नया-पुराना खोजकर्त्ता बोर हो ही नहीं सकता। तो जी हमारे बारे में क्या ख्याल हैं? और हां, मुझे अंग्रेजी नहीं आती है, और ना ही सीखना चाहता हूं।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने
ReplyDeleteसही बात के बुरा क्यों लगेगा जी?
ReplyDelete--------
ब्लॉगवाणी माहौल खराब कर रहा है?
उन्मुक्त जी को मैने सदा बेहतर सर्च-इफेक्टिव पया है। उस तरह से लिखने में कुछ समय अधिक लग सकता है, पर वह फायदेमन्द है।
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