17 November 2009

वो विक्षिप्त नही है

ट्रेन में चढते ही विकास ने थोडा सरक कर बैठने के लिये जगह दे दी। सीट के कोने पर मैं बैठ तो क्या गया बस किसी तरह अटक गया। तभी विकास ने कहा "अपने साथ वाले का ख्याल रखना, यह अपंग है"।

मैनें उस तरफ देखा तो एक नवयुवक (सुभाष) चेहरे-मोहरे से आकर्षक, ब्राण्डेड जींस और टीशर्ट में बैठा हुआ था। गले में मोटे-मोटे मोतियों की माला, एक सोने की चैन, शिवजी की तस्वीर वाला लाकेट और रुद्राक्ष की माला पहने हुये था। एक हाथ पर सुन्दर कलाई घडी और दूसरे हाथ पर बहुत बडा सारा लाल धागा बंधा था। मस्तक पर तिलक और पैरों में अच्छे स्पोर्ट्स शूज थे। हाथ में पकडे मोबाईल पर प्यारे-प्यारे भजन सुन रहा था।
(भजन पूरे सफर जो लगभग डेढ घंटे का था, बजते रहे थे)

मैनें सुभाष से कहा - मेरे यहां बैठने से आपको कोई परेशानी तो नहीं हो रही है।
उसने कहा - नहीं
फिर मैनें अपने बैग से एक किताब निकाली।
(मैं सफर के दौरान समय काटने के लिये पढना पसंद करता हूं)

तभी सुभाष ने भी अपने बैग से किताबें निकाली।
भारत का स्वाधीनता संग्राम, सुभाषचन्द्र बोस की जीवनी और एक किताब स्वेट मार्डेन की आत्मविश्वास के विषय पर और एक वैदिक धर्म के बारे में ।
इनके अलावा बहुत सी अच्छी-अच्छी किताबें थी उसके पास

मैनें उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सुभाषचन्द्र बोस बताया। एक सहयात्री ने व्यंग्य से मुंह बिचकाया। लेकिन मुझे विश्वास हो गया कि इसका नाम सुभाष ही है। एक सहयात्री ने सुभाष से पूछा कि "आपको कब से ऐसा है"।
उसने कहा - "पता नही"।
मुझे अब तक सुभाष में इतना असामान्य सा कुछ नही दिखा जिसके कारण उसे अपंग कहा जाये। सिवाय एक बात के कि उसका उच्चारण थोडा अस्पष्ट था और लिखते वक्त अंगुलियां कंप रही थी।
मैनें कहा - "क्या हुआ है आपको, एकदम ठीक तो हो"।
सुभाष - पता नही कोई कहता है मैं विक्षिप्त हूं और कोई कहता है कि बिल्कुल ठीक हूं।
उसके बाद मेरी और सुभाष की ढेरों बातें हुई। घर-परिवार, काम-धंधे और उनकी रुचि के बारे में।
मुझे सुभाष सीधा-सादा और धार्मिक प्रवृति का आदमी लगा। लेकिन उसकी बातों में काफी समझदारी थी।
चलते वक्त उसने मुझे एक छोटी सी पत्रिका (पर्यावरण प्रदूषण) भी भेंट की है। इस किताब में से कुछ बातें आपको अगली चिट्ठियों में लिखूंगा।

किसी को जाने बिना लोग क्यों उस के बारे में अपनी राय बना लेते हैं?

4 comments:

  1. अच्छा संस्मरण अगली कडी की प्रतीक्षा रहेगी

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  2. रोचक!अगले लेख की प्रतीक्षा है।
    घुघूती बासूती

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  3. लोगों का क्या है वो तो किसी भी बात को लेकर धारणा बना लेते हैं.

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  4. यही तो गलत बात है लोगो की, आप की यात्रा ओर सुभाष दोनो रोचक लगे, अग्ली कडी का इंतजार

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