21 November 2009

पर्यावरण प्रदूषण (समस्या और कारण)1

गतांक से आगे
विषय भोगों को अधिकाधिक मात्रा में भोगने की लालसा ही, आज के संसार में उत्पन्न हुवे अनियंत्रित औद्योगिकीकरण के पीछे मुख्य कारण है। इसी के परिणाम स्वरूप आज सडकों, नहरों, बांधों, रेलों, कारों, बसों, संचार साधनों, कल-कारखानों, तकनीकी यंत्रों का जाल सा बिछ गया है । खाद्यान्नों, सब्जियों, फलों आदि का उत्पादन अधिकाधिक करने के लिये रासायनिक खादों तथा कीटनाशक औषधियों का अन्धाधुंध प्रयोग किया जा रहा है । इन सब के माध्यम से आज का अधिकांश जनसमुदाय भोग विलास की सामग्री में लिप्त होता चला जा रहा है।

भोग सामग्री बढी, भोग बढा, किन्तु इन कल-कारखानों, वाहनों तथा रासायनिक खादों आदि से उत्पन्न होने वाली महाविनाशकारी गैसों, धुएं और बीमारियों ने आज तबाही मचा दी है । अनियंत्रित औद्योगिकीकरण के परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर प्रदूषण रूपी महाभंयकर भस्मासुर उत्पन्न हो गया । इस राक्षस के चंगुल में हवा, पानी, मिट्टी, ध्वनि, प्रकाश, आकाश सभी कुछ आ चुका है । विश्व के सभी बुद्धिजीवियों, विशेषकर वैज्ञानिकों को भी इस विषय पर संशय हो गया है कि ऐसी पृथ्वी पर मानव जाति भविष्य में जीवित भी रह पायेगी या नहीं । अग्निहोत्र यूनिवर्सिटी अमेरिका द्वारा प्रकाशित "Wholistic Healing"
पुस्तक में तो स्पष्ट कह दिया गया है कि "प्रदूषण से उत्पन्न महाविनाश के खिलाफ सामूहिक तौर पर यदि कोई उपाय न किया गया तो इस युग में मानव जीवित नहीं रह पायेगा" ।

मनुष्य जाति जिस खाद्य सामग्री का प्रयोग करती है, उसका अधिकांश भाग अन्न, शाक, फल, फूल, वनस्पति, कन्द, मूल, औषधि आदि के रुप में होता है । ये सब खाद्य पदार्थ मिट्टी, पानी, हवा तथा सूर्य के प्रकाश से उत्पन्न होते हैं । शेष भाग पशु, पक्षी, मछली आदि के माध्यम से प्राप्त होता है, ये भी अन्तत: वनस्पति आदि खा कर ही जीते हैं । आज धरती, पानी, वायु आदि के प्रदूषित होने के कारण खाद्य पदार्थ पोषक तत्त्वों से रहित अशुद्ध और शक्तिहीन बन गये हैं ।

2 comments:

  1. बहुत ही विचारणिया लेख लिखा, लेकिन अमेरिका ओर अन्य गरीब देशो मै कोई भी इस के बारे अमल नही करता, बस बाते करते है, जब कि युरोप मै इन सब बातो के लिये बहुत सख्ती है, ओर यहां हवा भी बहुत साफ़ है, लेकिन फ़िर भी सारी दुनिया के साथ यहां भी मोसम का फ़र्क महसुस हुया है हम सब भी साथ ही भुगतेगे, दुसरो की करनी.
    धन्यवाद

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  2. निरंतर विकराल रूप धारण करती इस समस्या पर पाठकों का ध्यान खींचने के लिए आभार !

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