22 January 2011

"तुच्छ" लोगों की कमी नहीं है।

गूगल से साभार
बडा खुश होता था कि चलो ज्यादा पढ-लिख नहीं पाया तो क्या हुआ, अब पढे-लिखो विद्वजनों के समाज में उठ-बैठ तो सकता हूँ। ब्लॉगिंग जो करने लगा हूँ। बडे-बडे डॉक्टर, इंजिनियर ,प्रोफेसर, अध्यापक, समाजसेवी, पत्रकार , कवि, साहित्यकार सब ब्लॉगिंग करते हैं। ब्लॉगिंग में विचारों का आदान-प्रदान करने से जानकारी बढी, आत्मविश्वास बढा और साथ-साथ अहंकार भी आने लगा। पहले मैं खुद को "तुच्छ" समझता था, ब्लॉगिंग में आने के बाद लगा कि मैं भी "कुछ" हूँ। लेकिन अब अहंकार कहता है कि यहां भी "तुच्छ"  विचारधारा वाले लोगों की कमी नहीं है।  
मैनें तो एक बात यह भी सीखी है जी यहां (ब्लॉगिंग में) आकर कि बडी-बडी डिग्री पा लेने, खूब पढ-लिख लेने, खूब पैसा कमा लेने, बडा पद पा लेने, दुनिया-जहान घूम लेने के बाद भी बहुत से लोग अपने घटिया विचारों से छुटकारा नहीं पा सकते। बढिया और घटिया का पैमाना मेरे विचार में यही है कि जिस बात या कर्म से किसी के दिल को ठेस पहुंचे, वह घटिया है और जिस बात से किसी को आनन्द की अनुभूति हो वही बढिया है। कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि "सत्य" तो कहा जायेगा, चाहे उससे किसी को ठेस पहुंचे।  कृप्या मुझे बतायें कि क्या सचमुच सत्य कहने से किसी को चोट लगती है? 

23 comments:

  1. एक रचना

    अधरों पर शब्दों को लाकर मन के भेद न खोलो
    मैं आँखों से ही सुन सकता हूँ तुम आँखो से ही बोलो

    फ़िर करना निष्पक्ष विवेचन,मेरे गुण और दोषों का
    पहले मन के कलुष नयन के गंगा जल में धोलो

    संबंधों की असिधारा पर चलना बहुत कठिन है
    पग धरने से पहले अपने विश्वासों को तोलो

    स्नेह रहित जीवन का कोई अर्थ नहीं होता है
    मेरे मीत न हो सको तो और किसी के हो लो

    ये वाणी वाण हृदय को छलनी कर देते हैं
    सत्य बहुत तीखा होता है सोच समझ के बोलो।

    (सत्यं ब्रुयात प्रियं ब्रुयात,अप्रियं सत्यं न ब्रुयात)

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  2. अन्तर भाई बहुत सुंदर संदेश दे दिया आप ने, इस से ज्यादा मै नही लिखूंगा... क्योकि मैने बहुत सारी दुनिया देखी हे..... अलग अलग तरह के लोगो से मेरा पाला पढा हे

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  3. हमारा ख्याल है कि सत्य हमेशा सामने वाले की सहन शक्ति, स्वभाव, और कद-काठी देखकर ही बोलना चाहिए.
    लगता है यहाँ आपका दिल किसी ने दुखाया है
    अगर ऐसा है तो चिंता न कीजिये
    देर-सवेर आपको आदत पड़ ही जायेगी :)

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  4. एक अच्छी पोस्ट और यह सच है कि सत्य कहने से बहुतों को चोट पहुँचती है.? यह दुनिया अजीब है अंदर कुछ और बहार से कुछ और. साचा अंदर के झूठे इंसान को बहार ले आता है.. अब किसको यह बुरा नहीं लगेगा.?

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  5. 'मैं ही सही हूँ' ऐसा मानने वाले अहंकारी को तो सच से चोट लगेगी ही। किन्तु ऐसी सत्य की चोट देने वाला भी सच्चा होना चाहिए। अन्यथा सच तो केवल बहाना होता है उद्देश्य तो चोट पहुंचाना ही होता है। इस तरह के अनावश्यक मर्मभेद का कार्य तुच्छता ही नहीं दुष्टता है।

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  6. तुच्छता तो विचारों से होती है, शिक्षा से नहीं।

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  7. ज़ौक साहब का एक शेर है,
    "ऐ ज़ौक किसको चश्म-ए-हिकारत से देखिये,
    सब हम से हैं ज़ियादा, कोई हम से कम नहीं"
    इस शेर की भावना को कैसे भी समझ लीजिये।

    वैसे सच बहुधा कड़वा ही होता है।

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  8. सच में हमारे विचार ही तय करते हैं की हम तुच्छ हैं या नहीं..... खाली डिग्रियां ले लेने को शिक्षित होना भी तो नहीं कहा जा सकता

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  9. बिल्कुल सही कहा है आपने। आजकल मैं भी ब्लॉगर्स की तारीफ़ करने के कारण तुच्छ मान लिया गय हूँ। काश सभी लोग आप के जैसे उच्च होते।

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  10. सच तो हमेशा ही कड़वा होता है...

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  11. सच कभी किसी को चोट नहीं पहुचाता हैं और ना ही किसी का दिल दुखता हैं । सच को स्वीकारने कि ताकत सब में नहीं होती हैं . अगर हम कुछ कहते हैं तो उस पर अटल नहीं रहते हैं यानी हमारे विचार पूर्ण रूप से परिपक्व हो उस से पहले ही हम अपनी राय दे देते हैं और फिर जब कोई हमे आईना दिखता हैं तो हम बजाये अपनी गलती मानने के एक और व्यक्ति तलाशते हैं जिसके साथ मिल कर हम अपनी अपरिपक सोच को सही साबित कर के दूसरे के सच को झूठ साबित कर दे ।
    इस संसार मे अगर आप किसी को भी "तुच्छ " कहते हैं तो समझ लीजिये ईश्वर कि बनाई कृति को आप नकार रहे हैं । तुच्छ जैसा तो कोई नहीं हैं ना होगा बस विचार और कर्म सबके अपने हैं । ब्लोगिंग मे आप कब से हैं ? हो सकता हैं आज आप जिन से जुड़े हैं अगर आप उनका भूतकाल ब्लॉग्गिंग का जाने तो उनसे भी नाता तोड़ ले लेकिन अगर उनके भूतकाल के कर्म आप को सही लगे तो आप फिर भी उनसे जुड़े रहेगे ।

    आप को यहाँ जितने भी अछ्चे और सच्चे लगते हैं उन सब मे कहीं ना कहीं कोई ना कोई कमजोरी हैं और वो कमजोरी उन सब को ही उनसब से जिन मे ये कमजोरी नहीं हैं तुच्छ बनाती हैं ।

    प्रणाम

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  12. तुच्छता पर कम पढ़े एकाधिकार कैसे जता सकते हैं!?

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  13. यदि सत्य आप का है तो उसे कहने पर आप को चोट और कहने वाले को आन्नद आयेगा और यदि सत्य कहने वाले का है तो उसे चोट और आप को आन्नद आयेगा | सारी आन्नद देने वाली बात सही नहीं होती और सारी चोट पहुचने वाली बाते गलत नहीं होती |

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  14. बिलकुल सही।

    ---------
    क्‍या आपको मालूम है कि हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग कौन से हैं?

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  15. बहुत ही सही कहा है....मुझे भी ये मुगालता था कि लिखने-पढ़नेवालों की सोच अलग होती है पर ब्लॉग्गिंग में आकर कई भ्रम टूटे.

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  16. बजा फ़रमाया आपने, भाई साहब.

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  17. बहुत खुबसूरत बिल्कुल सही कहा है!

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  18. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !

    भाग कर शादी करनी हो तो सबसे अच्छा महूरत फरबरी माह मे

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  19. झूठे व्‍यक्ति को सत्‍य से चोट लगती है।

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मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।