कवि सम्मेलन कार्यक्रम का शुभारम्भ तय समय पर ठीक शाम 7:00 बजे आरम्भ हो गया था। श्रोताओं के बैठने लिये 400-425 कुर्सियां लगाई गई थी। एक घंटे में करीबन 8:00-8:15 तक सभी सीटे फुल हो चुकी थी। उसके बाद जो श्रोता आये उन्हें इस आयोजन का लुत्फ खडे-खडे ही लेना पडा। हमने सोच रखा था कि कार्यक्रम का समापन रात्रि 11:00-11:30 बजे तक हो जायेगा। भई सर्दी बहुत ज्यादा थी और रात के खाने का समय भी हमने समाप्ति के बाद ही रखा था। लेकिन श्रोताओं की अविचल उपस्थिति ने कवियों को रात्रि 1:00 बजे तक अपनी रचनायें सुनाने के लिये मजबूर कर दिया। उधर खानसामों का भी बार-बार पैगाम आ रहा था कि तन्दूर ठंडा हो जायेगा और हमें भी आराम करना है, इसलिये रात्रि 1:00 बजे इस कार्यक्रम को विश्राम देना पडा। पूरी फिल्म तो बाद में दिखाई जायेगी, अभी आप छोटी सी झलक देखिये।
फ़िल्म तो बाद मे देखेगे सब से पहले आप को इस सफ़लता की बधाई जी
ReplyDeleteबधाइयाँ जी बधाइयाँ
ReplyDeleteअलबेला जी ने खूब जमाया रंग
योगेन्द्र जी भी रहे उनके संग।
ट्रेलर से अपना काम नहीं चलने वाला:)
ReplyDeleteइंतजार कर रहे हैं मित्र।
भले ही तंदूर ठंडा हो जाये, माहौल गर्म रहना चाहिये।
ReplyDeleteमजा आ गया सुन के
ReplyDeleteवाह वाह
पूरी फिल्म का इंतजार है।
वाकई अलबेला जी ने गजब की धूम मचाई
ReplyDeleteपूरी वीडिओ देखकर बस हँसते ही रहे
भरपूर आनंद आ गया
आभार
सफल कार्यक्रम की बधाई स्वीकार करें.........
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई इस आयोजन के लिये । अलबेला जी समय पर आ गये थे? नहाने मे कितना समय लिया? वीडिओ देख रहे हैं। धन्यवाद।
ReplyDeleteसफल कार्यक्रम की बधाई स्वीकार करें.....
ReplyDeleteअमित जी,
ReplyDeleteरिकॉर्डिंग ठीक नहीं हुई है। जैसी उम्मीद थी, वैसी साउंड नहीं आ रही है। कवि के मुकाबले दर्शकों के ठहाके ज्यादा गूंज रहे हैं। कवि क्या बोल रहा है, स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।
यह अगली बार के लिये सबक है। बाकी सब बेहतरीन था।
सफल कार्यक्रम के लिए हार्दिक बधाई।
ReplyDelete---------
पति को वश में करने का उपाय।