वाह वाह ..क्या बात है बहुत खूब - - - भाई अंतर सोहिल जी बहुत आनंद आया ! आज यहाँ आना बहुत सुखद रहा ! इसी बहाने पुरानी पोस्ट पर दिलचस्प वीडिओ भी सुनने-देखने को मिल गए ! - बहुत आभार शुभ कामनाएं
आज तो यार अमित झूठमूठ वाली वाहवाही संभालो, काहे से कि अपना नैट सही से काम नहीं कर रहा। देख कुछ नहीं पाये हैं, पर सब वाह-वाह कर रहे हैं तो ऐसा ही होगा। वाह-वाह:))
अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद ! आज रिश्तों की अज़्मत रोज़ कम से कमतर होती जा रही है। रिश्तों की अज़्मत और उसकी पाकीज़गी को बरक़रार रखने के लिए उनका ज़िक्र निहायत ज़रूरी है। मां का रिश्ता एक सबसे पाक रिश्ता है। शायद ही कोई लेखक ऐसा हुआ हो जिसने मां के बारे में कुछ न लिखा हो। शायद ही कोई आदमी ऐसा हुआ हो जिसने अपनी मां के लिए कुछ अच्छा न कहा हो। तब भी देश-विदेश में अक्सर मुहब्बत की जो यादगारें पाई जाती हैं वे आशिक़ों ने अपनी महबूबाओं और बीवियों के लिए तो बनाई हैं लेकिन ‘प्यारी मां के लिए‘ कहीं कोई ताजमहल नज़र नहीं आता। ऐसा क्यों हुआ ? इस तरह के हरेक सवाल पर आज विचार करना होगा। ‘प्यारी मां‘ के नाम से ब्लाग शुरू करने का मक़सद यही है। इस प्यारे से ब्लाग को एक टिनी-मिनी एग्रीगेटर की शक्ल भी दी गई है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मांओं और बहनों के ब्लाग्स को ब्लाग रीडर्स के लिए उपलब्ध कराया जा सके। जो मां-बहनें इस ब्लाग से एक लेखिका के तौर पर जुड़ने की ख्वाहिशमंद हों वे अपनी ईमेल आईडी भेजने की मेहरबानी फ़रमाएं। मेरी ईमेल आईडी है - eshvani@gmail.com
मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।
सार्थक और पूर्ण तथ्ययुक्त
ReplyDeleteमन्दिर से, मस्जिद से निकलो, गिरजे व गुरुद्वारों से
करो देश की आज हिफाजत भीतर के गद्दारों से
बढ़िया है...
ReplyDelete____________________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
सार्थक
ReplyDeleteवाह वाह ..क्या बात है
ReplyDeleteबहुत खूब
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भाई अंतर सोहिल जी बहुत आनंद आया !
आज यहाँ आना बहुत सुखद रहा !
इसी बहाने पुरानी पोस्ट पर दिलचस्प वीडिओ
भी सुनने-देखने को मिल गए !
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बहुत आभार
शुभ कामनाएं
"करो देश की आज हिफाजत भीतर के गद्दारों से"
ReplyDeleteवाकई बहुत सुन्दर बोल ....शुभकामनायें अमित !
बहुत सुंदर जी अगली बार मिलेगे हम भी आप के इन मित्रो से, धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत सुन्दर उद्गार।
ReplyDeleteNICE VERY NICE
ReplyDeleteआज तो यार अमित झूठमूठ वाली वाहवाही संभालो, काहे से कि अपना नैट सही से काम नहीं कर रहा। देख कुछ नहीं पाये हैं, पर सब वाह-वाह कर रहे हैं तो ऐसा ही होगा। वाह-वाह:))
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteआज रिश्तों की अज़्मत रोज़ कम से कमतर होती जा रही है। रिश्तों की अज़्मत और
उसकी पाकीज़गी को बरक़रार रखने के लिए उनका ज़िक्र निहायत ज़रूरी है। मां का रिश्ता
एक सबसे पाक रिश्ता है। शायद ही कोई लेखक ऐसा हुआ हो जिसने मां के बारे में कुछ
न लिखा हो। शायद ही कोई आदमी ऐसा हुआ हो जिसने अपनी मां के लिए कुछ अच्छा न कहा
हो। तब भी देश-विदेश में अक्सर मुहब्बत की जो यादगारें पाई जाती हैं वे आशिक़ों
ने अपनी महबूबाओं और बीवियों के लिए तो बनाई हैं लेकिन ‘प्यारी मां के लिए‘
कहीं कोई ताजमहल नज़र नहीं आता।
ऐसा क्यों हुआ ?
इस तरह के हरेक सवाल पर आज विचार करना होगा।
‘प्यारी
मां‘ के नाम से ब्लाग शुरू करने का मक़सद यही है।
इस प्यारे से ब्लाग को एक टिनी-मिनी एग्रीगेटर की शक्ल भी दी गई है ताकि
ज़्यादा से ज़्यादा मांओं और बहनों के ब्लाग्स को ब्लाग रीडर्स के लिए उपलब्ध
कराया जा सके। जो मां-बहनें इस ब्लाग से एक लेखिका के तौर पर जुड़ने की
ख्वाहिशमंद हों वे अपनी ईमेल आईडी भेजने की मेहरबानी फ़रमाएं। मेरी ईमेल आईडी है -
eshvani@gmail.com
बहुत अच्छी लगी आपकी यह पोस्ट।
ReplyDeletehmmmmmm nice blog dear friend
ReplyDeleteMusic Bol
Lyrics Mantra
अली हसन साहब से पहली बार परिचय हुआ, शुक्रिया।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?