11 January 2011

यौगेन्द्र मौदगिल जी फटीचर कन्फ्यूजिया गया था

यहां तक कि एक संस्था ने तो उसी दिन आनन-फानन में माता का जागरण आयोजित कर दिया और वो भी पंजाबी धर्मशाला नाम की ही दूसरी जगह पर :-) वाह! मैं जागरण वगैरा में चन्दा नहीं देता ना, शायद इसलिये। वैसे ज्यादातर सामाजिक कार्यक्रमों में उपस्थित जरुर होता हूँ। हाँ दान-दक्षिणा मैं  धर्मशाला, गऊशाला आदि में  सामर्थ्य अनुसार जरुर देता हूँ। प्रत्येक वर्ष वृंदावन से रासलीला दिखाने वाले भी आते हैं कार्तिक मास में, उन्हें भी सामर्थ्य अनुसार कुछ दे देता हूँ। कोशिश रहती है कि गुप्तदान दूँ और मेरा नाम ना पुकारा जाये।  

खैर जब मुख्य संस्थाओं द्वारा भी कोई बात नहीं बनती दिखी तो मुझे ख्याल आया कि अपने एक-एक मित्र को सम्पर्क करके उन्हें धीरे-धीरे राजी करना होगा। सांपला में मेरे 55-60 करीबी मित्र हैं, जिनके साथ मेरे हर पारिवारिक समारोह में निमंत्रण रहता है,  और उनके पारिवारिक समारोहों में मैं निमंत्रित होता हूँ। करीबन भाई के भी 25-30 मित्र ऐसे ही हैं। मैनें एक-एक मित्र को सम्पर्क किया और इस आयोजन के लिये उनके विचार जानने की कोशिश की। इन कोशिशों में 3-4 मित्र ऐसे मिल गये जो कि बहुत उत्साहित हो गये और मुझे आगे बढने के लिये प्रेरित किया। उन्होंने मुझे भरोसा दिया कि तुम पैसे की चिंता मत करो और अगर हम 5 सदस्य भी हैं तो यह प्रोग्राम जरुर होगा। खर्च का तकरीबन 75000 रुपये का अन्दाजा लगाया गया। धीरे-धीरे कुछ और लोग भी जुडे और हमारी दस सदस्यीय टीम बनकर तैयार हो गई। शुरु से ही एक विचार हम लोगों के दिमाग में था कि हम चन्दा किसी से नहीं लेंगे और मुख्यातिथि से भी कुछ नहीं लेंगे। कुछ मित्रों ने केवल आर्थिक सहयोग देने की बात की और कार्य सहयोग के लिये उपस्थित होने में असमर्थता जताई, उन्हें मैनें इस मंच का सदस्य नहीं बनाया  और कोई आर्थिक सहयोग नहीं लिया। दूसरे लोगों की देखादेखी कुछ मित्रों ने अपना नाम लिखवा दिया,  तो उन्हें बाद में हटाना पडा। क्योंकि मैं केवल उन्हीं मित्रों को इस मंच से जोडना चाहता था जो सबसे पहले मन से साथ हों फिर तन से। क्योंकि धन की व्यवस्था की अब समस्या नहीं रह गई थी। 2-3 मित्र आर्थिक सहयोग नहीं दे सके, लेकिन मन और तन से मेरा पूरा साथ दिया।

इस वीडियो में श्री यौगेन्द्र मौदगिल जी, अलबेला जी और सांपला सांस्कृतिक मंच के सदस्य मंच पर और वीडियो के आखिर में आपका फटीचर, जिसे अलबेला जी ने धन्यवाद करने के लिये आगे बुला लिया और फटीचर कैसे कन्फ्यूजिया गया है। आज तक मंच पर बोलना तो दूर कभी खडा भी नहीं हुआ था और यहां>>>>>

9 comments:

  1. विडियो अच्छा लगा,
    अकेला चला था जानिबे मजिंल,
    लोग मिलते गये काँरवा बनता गया,
    शुभकामनाये

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  2. चलिये आपकी मेहनत अंतत: रंग लाई इससे बढ़िया बात और क्या हो सकती है. आपको व आपके सभी मित्रों को बधाई.

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  3. मेहनत कभी निराश नहीं करती है, लोगों को टाँग उठाने दीजिये।

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  4. बहुत मस्त कर दिया आप की मेहनत ने जी, अगले साल इस से भी ज्यादा सफ़लता मिले,

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  5. antar bhai...tum 14 ko jao ya na jao par main 26 feb 2011 ko jaunga....indore ke pass khargon me kavisammelan hai....14 ko koi vishesh baat na ho to programme mere sath banana.....mazaa aaega..

    satish saksena ke blog se sabhaar

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  6. वीडियो देखकर आपकी मेहनत को सलाम करने का जी चाह रहा है।

    ---------
    सांपों को दुध पिलाना पुण्‍य का काम है?

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  7. vedio achhi lagi
    mehnat ki to nirasha milne sa sawal nhi hota
    ....
    kabhi aya bhi aaye
    www.deepti09sharma.blogspot.com

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