चित्र गूगल से |
जिन खिडकियों से हम बाहर के लोगों को देखते हैं,
उन्हीं खिडकियों से लोग हमारे घर में झांक लेते हैं।
अब या तो हम अपनी खिडकियां बन्द रखें या अपना घर साफ-सुथरा रखें। आपका क्या ख्याल है?
ये ख्याल आया एक टिप्पणी के बाद। मेरे एक इन्टरनेटिया फ्रेण्ड ने किसी की पोस्ट पर बहुत ज्यादा अभद्र (मेरे विचार में) टिप्पणी की है। अभी तक मैं उस मित्र को बहुत भद्र, सभ्य और सुशिक्षित समझता था, लेकिन एक टिप्पणी ने मुझे मजबूर कर दिया, उसे अपनी मित्रता सूचि से हटाने के लिये।
आपने बहुत सही कहा.. हमें अपना घर साफ़ रखने की आवश्यकता पहले है.. मिनी लेख बड़ी बात ...
ReplyDeleteनाम भी बता दो ताकि थोडी सफाई हम भी करले
ReplyDeleteबंद कमरे में मेरी साँस घुटी जाती है,
ReplyDeleteखिड़कियाँ खोलूँ तो जहरीली हवा आती है।
दुख तो होता है, लेकिन दोस्त आदमी पहचानने में भी गलती आदमी से ही होती है। उसके सुधरने की गुंजाईश हो और सुधार सको तो सुधार लो उसे, नहीं तो खुद सुधर(?)जाओ।
ReplyDeleteलिंक रह्ता तो हम भी जान लेते।
वैसे घर तो साफ़ सुथरा रखना ही चाहिये, आंधी-तूफ़ान के समय खिड़की बंद कर दो। हर दिन तो एक से नहीं होते।
प्रणाम (हम भी शुरू कर रहे हैं बॉस प्रणाम करना:))
सही किया.
ReplyDeleteरामराम.
जब घर गंदा हो तो खिड़की बंद रखें :)
ReplyDeleteसही बात है, जिन खिड़कियों से हम बाहर झाँकते हैं उन्ही से लोग अन्दर भी झाँक सकते हैं।
ReplyDeleteकभी कभी हम गलत फहमी के शिकार भी हो जाते है | यह एक तकनीकी चालबाजी भी हो सकती है | जिस टिप्पणी को आप अपने दोस्त की समझ रहे है वो उसको बदनाम करने के लिए उसके दुश्मन की भी हो सकती है जैसा की जील जी के बलोग पर भी कुछ दिन पहले नामी गिरामी लोगो के नाम से इस प्रकार की टिप्पणीया की गई थी |
ReplyDeleteनरेश सिह राठौड़ जी की बात से सहमत हे जी, जल्द वाजी मे कभी कभी हम भी गलती करते हे, अगर आप ने लिंक दिया होता या थोडा इशारा किया होता तो अच्छा था,्लेकिन अगर सच मे उस ने ऎसा किया हे तो आप ने बिलकुल सही किया.
ReplyDelete.
ReplyDeleteअंतर सोहिल जी ,
पिछले छः माह में काफी कुछ झेल चुकी हूँ । मन उदास होता था लेकिन अच्छे लोगों का साथ हमेशा मिलता रहा , जिसने बहुत मदद की है संभलने में ।
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मुझे आजतक समझ नहीं आया कि लेखक समाज में इतना द्वेष क्यों हैं? पता नहीं हमेशा ही बिच्छू की भूमिका में क्यों रहते हैं?
ReplyDeleteबिलकुल सही किया। सार्थक पोस्ट। कम शब्दों मे बहुत अच्छी बात कही। आशीर्वाद।
ReplyDeleteमेरे वीचार मे एसी खीडकीयो को उखाड ईटे चिनवा देनी चाहीये ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी मै आप को अछी तरह जानता हुं और मेरे वीचार से आप मेरी सहला से सहम्त होगें
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