31 December 2010

पांच सवाल, नया साल, फत्तूआईन, बोनस में फत्तू

अन्तर सोहिल
वही दिन हैं और वही रात है। रोज नया साल आता है मेरे लिये तो और रोज खुद को शुभकामनायें देता हूँ। 
पाँच सवाल जो खुद से ही कर रहा हूँ :-

1> यहां आभासी संसार में रिश्ते जोड रहा हूँ। क्या मेरे भाई-बहन से, नातेदारों से, पुराने दोस्तों से पडोसियों से अपने रिश्तों को सहेज कर रख पाया हूँ?

2> यहां आभासी संसार में नम्रता दिखा रहा हूँ। क्या अपने माता-पिता और बडे-बुजुर्गों को भी सम्मान दे रहा हूँ या उनके थोडा सा मशविरा देने पर ही यह जवाब देता हूं कि - अपना ज्ञान अपने पास रखिये, मेरे भेजे में भी बुद्धि है।

3> ब्लॉगिंग और पोस्ट पढने में  जितना समय दे रहा हूँ। क्या पत्नी, बच्चों और माता-पिता को जितना समय देना चाहिये, उसमें कटौती तो नहीं हो गई है।

4> यहां पोस्ट में बातें बना-बना कर लिखता हूँ और दुनिया को सुधारने की बातें करता हूँ। क्या मेरे बच्चे मेरे उपेक्षित व्यवहार के कारण कुरकुरे और अंकल चिप्स खाते हुये, टीवी में शिनचैन आदि देखकर अपनी सेहत और पढाई का नुकसान तो नहीं कर रहे हैं?

5> ऑफिस में कार्य बाकि तो नहीं छोड रहा हूँ। पूरा दिन नेट भी तो ऑफिस का ही प्रयोग करता हूँ।

हर साल नया साल आता है, लेकिन क्या सचमुच? सभी बधाईयां देने में लगे हैं। आशा बंधाई जाती है कि इस बार आप ज्यादा सुखी, खुश और सफल रहें। लेकिन क्या सचमुच 1 जनवरी का दिन कुछ अलग होता है। मेरे देखे कुछ अलग नहीं होता, अलग होता है तो केवल भाव (मन के विचार)। वही दिन होता है और वैसी ही शाम होती है। बस 2-4 दिन मन के भाव बदल जाते हैं और सबकुछ नया-नया सा लगने लगता है। यही भाव तो दुख और खुशी देता है। लोग चिल्लाते रहते हैं कलयुग है भाई। लेकिन सतयुग कौन सा था। उस युग में भी अबलाओं का हरण होता था। भाई-भाई तब भी जर-जोरु-जमीन के लिये लडते थे। एक-दूसरे की सम्पदा हथियाने के लिये युद्ध होते थे। मासूम प्रजा तब भी दुखी थी। दुख-सुख तो जिन्दगी में ऐसे ही आते रहेंगे। हर कोई आस बंधाता है कि नववर्ष आपके लिये खुशियां लेकर आये। आप बताईये ऐसा हो सकता है जिन्दगी में केवल खुशियां ही खुशियां हों। क्या कभी किसी के साथ ऐसा हुआ है? मेरे देखे तो ऐसा होना नामुमकिन है। सभी धर्मों में हर कोई अपने इष्ट को ही देख ले क्या उनके जीवन में हमेशा खुशियां रही हैं?

बडे-बूढे लोग कहते हैं कि हमारे जमाने में घी 1 रुपये किलो था। चावल आठ आने का पसेरी था। जमाना सस्ता था। लेकिन ये नहीं बताते कि उस समय आम आदमी क्या कमा पाता था साल भर में। क्या दो रुपये की मजूरी भी कर पाता था महिने में। सभी आज महंगाई मार गई गाने में लगे हैं। एक बार आराम से बैठ कर सोचियेगा, ऐसा कौन सा जमाना था जिसमें महंगाई नहीं थी। राजा-महाराजाओं के जमाने से लेकर, अंग्रेजों के शासन तक और प्रेमचन्द की कहानियों से लेकर आज तक क्या आम आदमी महंगाई का रोना रोता नहीं आया है? ये तो ऐसे ही चलेगा जी। कुछ नहीं बदला है और कुछ नहीं बदलेगा। वही दिन हैं और वही रात है। आप वेल्ले बैठे हो तो नववर्ष पर लिखी मेरी 01 जनवरी 2009 की पोस्ट भी देख लो जी।

अपने तो दिमाग में आजकल कवि सम्मेलन चल रहा है जी और अंजू के मन में प्याज चल रहे हैं। 15 दिन हो गये हैं प्याज खाये हुये। प्यार से काम चला रहे हैं।  दादाजी थे तबतक तो घर में कभी प्याज भी नहीं आई और अब लहसुन भी। पिताजी को लहसुन के बारे में छुपाना पडता है। पता लग जाये तो सब्जी की कटोरी थाली से बाहर हो जाती है। काफी दिनों पहले कि लहसुन बची पडी थी। एक-एक कली सब्जी में डाल लेते हैं। 

कल बातों-बातों में अन्जू को कह दिया कि आजकल लहसुन 400 रुपये किलो है। उसने तुरन्त पूछा लाये क्या भाव थे मैनें कहा- 20रुपये की 250ग्राम लाया था। बोली एक लहसुन बची है, बेच दो। 

कवि सम्मेलन में आने के लिये श्याले साहब (इस शब्द से सम्बन्धित पोस्ट, श्री प्रवीण पाण्डेय जी की) को भी फोन करके निमन्त्रण दिया है। अन्जू कवि सम्मेलन के आयोजन से ज्यादा खुश इस बात से है कि नये साल के पहले दिन उनका भाई से मिलन होगा। सपना देखती है कि भाई फल-मिठाई की बजाये प्याज लेकर आया है। और मम्मी आस-पडोस में खुश होकर प्याज बांट रही हैं।
मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं अलबेला जी या यौगेन्द्र मौदगिल जी फूल माला के  बदले अपना सम्मान प्याज से करने के लिये ना कह दें :-)

मेरे विचार से फत्तू के बजाय फतूआईन (अन्जू) से आपका कोटा पूरा हो गया होगा। नहीं हुआ है तो ये फत्तू का पुराना किस्सा भी ले लो जी, बोनस में नया साल है ना :
एक दिन रलदू चौधरी घर महै बैठा फैशन टी वी (FTV) देखै था। अचानक उसका तेरह साल का बेटा फत्तू उसके कमरे महै आग्या। फत्तू नै देखते ही रलदू सकपका गया अर एकदम तै डिप्लोमैटिकली बात बना कै बोल्या - "गरीब छोरी सैं, कपडे लेन के पिस्से भी कोनी इन धोरै"
फत्तू बोल्या - बाब्बू जब इस तै भी गरीब आवैं तै मन्नै भी बुला लिये

25 comments:

  1. लो भाई कद मे छोटा था इस लिये कलास मै सब से पहले मेरा ही ना० आता था जबाब देने का आज भी मेरा ही ना० तो भाई आप के पहले सवाल का जबाबा हां ओर ना दोनो ही हे, बाकी सारे सवालो के जबाब यह हे कि मै पुरा कंट्रोल करता हूं हर जगह, सब को उन का हक मिलता हे, घर परिवार को भी पुरा समय मिलता हे नोकरी के समय निजी नेट बिलकुल नही,
    बाकी अब प्याज की फ़िक्र मत करो चाहे कितने भी महंगे हो जाये, जो भी ताऊ की पहेली मे विजेता बने गा उसे एक बडी बोरी प्याज इनाम मे मिलेगा:)

    ReplyDelete
  2. बहुत कुछ लिख दिया भाई आज आपने। हमें तो बस इतना ही समझ आ रहा है कि इन दिनों आप निराशावाद के दौर से गुजर रहे हैं। क्यों? ये तो आप ही बता सकते हैं।
    फिलहाल तो हम बस यही कह सकते हैं- HAPPY NEW YEAR :-)

    ReplyDelete
  3. जवाब हम देंगे -
    प्रश्न सं.5 - नहीं, कभी नहीं। ब्लॉगिंग\चैटिंग सिर्फ़ घर में रहते हुये।
    प्रश्न सं. १-४ = समझदार हो यार:)

    आज FFF पोस्ट है - फ़ुल्ल फ़त्तू फ़ैमिली पोस्ट।
    "एक लहसुन बची है, बेच दो" - ऐसी जीवनसाथी पाने पर हार्दिक बधाई।

    नये साल के लिये, कवि सम्मेलन के लिये ढेर सारी शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  4. पाँचो सवाल महत्वपूर्ण, पर वर्षान्त में सब दहन कर दीजिये।

    ReplyDelete
  5. फत्तू और प्याज तो ठीक है मगर फोटू बड़ा खतरनाक लगाया है यार ...नए साल पर डरा क्यों रहे हो :-)

    ReplyDelete
  6. सारे प्रश्न बहुत ही विचारणीय है.... सुंदर प्रस्तुति......नूतन वर्ष २०११ की आप को हार्दिक शुभकामनाये.

    ReplyDelete
  7. nav varsh ki haardik shubhkaamnaaye swikaar kare ji...
    kunwar ji,

    ReplyDelete
  8. जय हो प्याज की और सवालो की।
    नव वर्ष की हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  9. बार-बार याद किये जाने वाले सवाल.

    ReplyDelete
  10. सारे ही प्रश्न सत्य-परक!! थोडा रूक कर सोचना चाहिए।

    गम्भीर विचारणीय!!

    ReplyDelete
  11. प्याज यहा भी मौजूद है | मै भी सोचा रहा था की प्याज पर एक पोस्ट लिखी जाये | नई साल मे ही हो पाएगा | आपके सवालो के जवाब देना जरूरी नही है इस लिए नही दे रहा हू | नया साल आपके लिए मंगलमय हो |

    ReplyDelete

  12. राम राम भाई, नए साल की घणी-घणी बधाई
    प्याज के साथ-लसण भी हो्णा चाहिए।
    स्वागत में कमी ना रह जाए,नहीं तो उलाहणा खड़ा हो जाएगा।

    और श्याले साहब कोनी कहया करते
    सालिगराम जी कहो और मौज में रहो


    चुड़ैल से सामना-भुतहा रेस्ट हाउस और सन् 2010 की विदाई

    ReplyDelete
  13. विचारणीय प्रश्न हैं ...
    नववर्ष की शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  14. क्या भीषण गरीबी है दुनियां में। मात्र पित्जा पर जीवित! पहनने को कपड़े नहीं। भूख सहती है कि वजन कम रहे!

    ReplyDelete
  15. अमित भाई,
    आजकल आप बहुत ज्यादा अपने दिमाग पर जोर दे रहे हैं। यह आपकी पोस्टों और टिप्पणियों से स्पष्ट पता चल रहा है। कृपया इतना मत सोचिये।
    जो चीज आपको नकारात्मक लगे, उसे ना तो पढिये ना ही विचारिये। इस दुनिया में नकारात्मकता के साथ-साथ सकारात्मकता भी तो है।
    31 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में अचानक ना तो कभी कुछ बदला है, ना ही बदलेगा। फिर भी इस बहाने लोग-बाग आपसी द्वेष भुलाकर हैप्पी हैप्पी कर रहे हैं। यही क्या कम है?
    HAPPY NEW YEAR

    ReplyDelete
  16. नये वर्ष में इंटरनेट से इंट्रेस्टिंग प्रवेश
    पेट्रोल पानी मिट्टी का तेल बचायेगा
    जो आयेगा ग्‍यारह में आशीष भरपूर पायेगा
    यह इंटरनेट है प्‍यारे
    सदा ही यूं गुदगुदायेगा
    10 का 11
    11 का 111

    ReplyDelete
  17. नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें!

    पल पल करके दिन बीता दिन दिन करके साल।
    नया साल लाए खुशी सबको करे निहाल॥

    ReplyDelete
  18. बहुत अच्‍छी पोस्‍ट, बधाई। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  19. सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
    यह हमारी आकाशगंगा है,
    सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
    कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
    आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
    किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
    मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
    आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
    मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
    उनमें से एक है पृथ्वी,
    जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
    इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
    भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
    मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
    भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
    एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
    नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
    शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
    यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां...
    -डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

    नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो...

    जय हिंद...

    ReplyDelete
  20. सोहेल जी
    आपने जीवन से जुडी हुई बाते कही हैं ..इनका सीधा सम्बन्ध हमारे अंतर्मन से है ..काश हम आभासी दुनिया को छोड़ कर वास्तविक दुनिया में सच्चे इंसान बनकर जी पाते..आपका बहुत बहुत आभार ...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें परिवार सही स्वीकार करें ...शुक्रिया

    ReplyDelete
  21. सोहेल भाई, बडी गहरी बातें कह दी आपने। आपकी बातें पढकर मैं भी सोच में पड गया।

    ---------
    मिल गया खुशियों का ठिकाना।

    ReplyDelete

मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।