अच्छा बनने से ज्यादा मुश्किल है, अच्छा बनने की कोशिश करना। बहुत कोशिश कर ली अच्छा बनने की। अब ये ड्रामा खत्म कर ही देना चाहिये। ॐ की इमेज लगाकर और अन्तर सोहिल नाम रखने से मेरा अन्तर खूबसूरत तो नहीं हो सकता ना।:-) आज सोच रहा हूँ, जबकि मेरे बारे में सबको पता चल ही चुका है तो क्यों ना अपने आप स्वीकार कर ही लूँ।
गूगल से साभार |
अति भोजन : तो मैं खूब करता हूं, अजी ब्लॉगर मीट्स में भी इसीलिये तो जाता हूँ मैं कि खूब खा सकूं।
आलस्य : ये तो आपने भी पिछले दो सालों में देख ही लिया होगा कि कितना लिखा है मैनें और टिप्पणीयां देने में भी कितना आलसी हूँ।
अभिमान : बहुत है जी, ब्लॉगर बनने के बाद तो अपन समझते हैं कि हम अब्लॉगरों से कहीं ज्यादा सुप्रियर हैं। दूसरे सब अहमक और अनाडी हैं और अपन सबसे बडे ज्ञानी।
लोभ : अब लोभ के बारे में क्या बताना। यह तो जन्म से ही भरा है, मुझमें। माँ बताती है कि मैनें छोटे भाई को भी उनका दूध बहुत कम पीने दिया था। टिप्पणियों के लालच में भी जाने क्या-क्या नहीं करता हूँ।
क्रोध : सुबह बीवी को डाँटने से शुरु होता हूँ और रात बच्चों को पीट कर सुलाता हूँ। यकीन ना हो तो मेरे बीवी बच्चों से पूछकर देखलो जी। इतनी ठंड में ट्रेनें तक लेट चलती हैं और बीवी हमें उसी समय पर जगाती हैं, गुस्सा नहीं आयेगा क्या?
वासना : ये नहीं होती तो हम क्या ब्लॉगर बनते। क्यों हम फेसबुक और ऑरकुट पर खाता खोलते। अजी आपको बता रहा हूँ, मैं अभी भी नई नई पोर्न साईट ढूंढता रहता हूँ। ट्रेन में भी उसी जगह बैठता हूं, जहां महिला यात्री हों ;-)
ईर्ष्या : यह तो अपने अन्दर कूट-कूट कर भरी है जी। क्या कहा "किससे?"
अजी ये पूछिये किससे नहीं है।
ऑफिस के सहकर्मियों से क्योंकि बॉस उनकी तारीफ करते हैं।
दोस्तों-मित्रों से क्योंकि स्कूल में उनकी गर्लफ्रेण्ड होती थी और अब सुन्दर पत्नियां हैं।
रिश्तेदारों से क्योंकि उनके आर्थिक हालात बहुत बढिया हैं।
पडोसियों से क्योंकि उनके पास बढिया गाडी है।
ऑफिस के सहकर्मियों से क्योंकि बॉस उनकी तारीफ करते हैं।
दोस्तों-मित्रों से क्योंकि स्कूल में उनकी गर्लफ्रेण्ड होती थी और अब सुन्दर पत्नियां हैं।
रिश्तेदारों से क्योंकि उनके आर्थिक हालात बहुत बढिया हैं।
पडोसियों से क्योंकि उनके पास बढिया गाडी है।
अब ब्लॉग जगत में देखिये मैं किस-किस से ईर्ष्या करता हूँ। इस सूचि में केवल वही नाम हैं जिनका मैं निरन्तर पाठक हूँ। मैं ईर्ष्या करता हूँ
इनके अलावा कुछ सामुदायिक चिट्ठों के लेखक भी हैं और जिन ब्लॉगर्स का नाम इस सूचि में नहीं आया है, वो भी खुद को मेरी ईर्ष्या का पात्र समझें। सभी का नाम यहां देना थोडा मुश्किल हो गया था।
iirsa achi lagi sohil ji
ReplyDeleteहम भी आपसे ईर्ष्या करते हैं। निरन्तर पढ़ने की कोशिश करते हैं।
ReplyDeleteबच गये !!!!!!!!!! शुक्र है ………………हा हा हा ।
ReplyDeleteआमीन!!, हम आपके सातवे पाप के निमित नहिं!!
ReplyDeleteशानदार ब्लॉगरीय अभिव्यक्ति!!
रे भाई ये क्या हुआ आपको? सच बोलने की बीमारी लग गई क्या? इतना सच बोलना भी खतरनाक होता है। वो क्या है न कि हमाम में तो सभी नंगे होते हैं पर बाहर कपड़ों में खुद को छिपाए फिरते हैं। आप तो सरे आम कपड़े उतारने पर तुले हैं।
ReplyDeleteबनाइए यहाँ ऐसा कौन है जिसने पाप न किया हो जो पापी न हो?
मस्त लगी आप की यह पोस्ट,
ReplyDelete@ वन्दना जी
ReplyDeleteज्यादे खुस मति होईये, अइसन ही टिप्पणी करेंगें तो आपका नाम भी लिस्ट में डाल देंगें :) सच कह रहे हैं हम
प्रणाम
@ सुज्ञ जी
ReplyDeleteचूंकि सबका नाम लिखना सम्भव नहीं हो सका। वर्ना आप भी निमित्त होते।
प्रणाम
साल खत्म होने वाला है, सब हिसाब-किताब बराबर करके मानोगे? ढब्बी, एकाऊंट्स वालों का साल तो मार्च में खत्म होता है। हम भी लिस्ट में आ गये, वाह।
ReplyDeleteबढ़िया अंदाज लिंक देने का, लोगों को अपना मुरीद बनाने का, अमां यार हम तो पहले से ही हैं चेले तुम्हारे:)
अरे भाई हमने भी ईरसा हो री सै थारे तै।
ReplyDeleteजुवान थे तो चक्कर ला लिया करते।
इब बुढापै कोनी हांड्या जाता।
गोडे जुवाब देगे।
राम राम
अरे.सबसे ऊपर हम ......अब तो जहन्नुम में भी हमें जगह नहीं मिलेगी :) :)
ReplyDeleteवैसे थोड़ी इर्ष्य हमें भी हो रही है हा हा
इतनी ईर्ष्या अच्छी नही होती है | खास कर बच्चो को पीटने वाली बात तो बिलकुल हजम नही होती है |
ReplyDeleteइतने पावन मानसिकता से आपने याद कर लिया, हम तो धन्य हो गये।
ReplyDeleteभाई, मुझसे ईर्ष्या करने से कोई फायदा नहीं है।
ReplyDeleteकरे जाओ, मेरी सेहत खराब होने वाली नहीं है।
राम राम जी,
ReplyDeleteबहुत दिन छिपे रहने का कोई लाभ नहीं हुआ हमें....आज भी ईर्ष्या जारी है...सूची में अपना नाम देख कर तो एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ!कमाल है;आप हमें अभी तक भूले नहीं हो!
"कुछ दाग अच्छे होते है" टाइप वाली बात हो गयी जी ये तो!
कुंवर जी,
भाई जी हमसे भी कभी कभी ईर्ष्या कर लीजिये................
ReplyDeleteबढ़िया अंदाज लिंक देने का,
ReplyDeleteआपका यह ईर्ष्याभाव बना रहे और आपको सार्थक ब्लॉगिंग की प्रेरणा देता रहे, हमारी यही कामना है।
ReplyDelete---------
अंधविश्वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।
एक शे'र याद आता है
ReplyDeleteरफीकों से रकीब अच्छे जो जल कर नाम लेते हैं
गुलों से खार बेहतर हैं जो दामन थाम लेते हैं...
किसी बहाने सही...यादों का सिलसिला चलता रहे ...
यही दुआ है ...
और हाँ
ReplyDeleteआपके ब्लॉग का कलेवर पसंद आया ... बधाई
राम जी, मैं भी इर्ष्या की (वस्तु) बन गया हूं........... खुदा खैर करे.........
ReplyDeleteअन्तर सोहिल जी, नमस्ते!!
ReplyDeleteहम तो डर कर यहां आये देखने के लिये कि हमने ऐसा क्या कर दिया जो हम ईर्ष्या के योग्य हो गये. :)
अब तो हम खुश होकर यही कहेंगे कि ये स्नेह की ईर्ष्या बनाये रखें. आपको नववर्ष की अनेकानेक शुभकामनायें..
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ReplyDelete.
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मैं भी आपसे ईर्ष्या करता हूँ जी...
प्रणाम!
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अच्छा तो हम पर निगाहे करम इस 'ईर्ष्या' के कारण हुआ है ! ;-)
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