पहला सीन
लडका - एक्सयूज मी, क्या आप मुझे एक छोटा सा बाईट देंगी।
लडकी - क्या मैं आपको जानती हूँ।
लडका ना में गर्दन हिलाता है।
लडकी - तो?
लडका - मेरी माँ कहती है, "कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खा लेना चाहिये; काम अच्छा होता है।
लडकी थोडा सोचती है और बिना लडके की तरफ देखे अपनी चॉकलेट में से एक टुकडा तोड कर उसे देती है।
लडकी - वैसे क्या शुभ काम करने जा रहे हो?
लडका - मैं सोच रहा था कि आपको घर छोड दूं।
लडका और लडकी दोनों मुस्कुराते हैं।
दूसरा सीन
लडकी - पहले तो यह दस रुपये रख और बाल कटा कर आ। बस स्टॉप पर खडा है और मुझे घर छोडने की बात कर रहा है। दाढी-मूँछ तो ढंग से आयी नहीं और चला है मुझे पटाने। एक टुकडा क्या दे दिया, सिर पे ही चढ गया। ऐसा कर तू मुझे अपने ही घर ले चल। तेरी माँ को बताती हूँ, कितने शुभ काम करता है तू। तेरी माँ अच्छे से मीठा खिलायेगी तुझे।
लडका घबरा जाता है - बहन जी माफ कर दीजिये, गलती हो गई।
लडकी - बहन जी किसको बोला, मैं बहनजी दिखती हूँ तुझे।
लडका - प्लीज माफ कर दीजिये, ये देखिये ये मेरे पास एक बडी वाली चॉकलेट है, यह ले लीजिये।लडकी - ओके, आईन्दा ऐसा नहीं करना, अब निकलो यहां से।
(दूसरा वीडियो जल्द ही दिखाया जायेगा, इन्तजार करें)
क्या आप आज भी किसी शुभ अवसर पर लड्डू से ही मुँह मीठा करते कराते हैं ?
यह बहुत ही बकवास विज्ञापन है. इसे देखते समय मेरे मन में भी दूसरा सीन उभर रहा था. छिछोरा चिरकुट लड़का, आजकल ऐसी ही लड़कों की चलती है.
ReplyDeleteलड्डू से मुँह मीठा भी मनुहार से कराया जाता है, इस तरह भीख मांग कर मुँह मीठा नहिं करते!!
ReplyDeleteहा हा हा,
ReplyDeleteआप भी कहां कहां से ढूंढ कर लाते हो अमित जी।
ha ha ha.......bahut badhiya amitji.
ReplyDeleteबेवकूफ बनाने का प्रयास है, गुदगुदाते हुये विज्ञापनों से।
ReplyDeleteहा हा!! यहाँ तो डॉक्टर ही मना कर दिये हैं...खा लिए तो शुभारंभ के पहले खुद का ही दी एण्ड लग जायेगा..बैण्ड बज जायेगा. :)
ReplyDeleteअसल में ये चाकलेट्स को मिठाई के रूप में फ़ेमस कर देने का षडयंत्र भर है और कुछ नही. ये लोग जानते हैं कि मिठाई की जितनी खपत भारत में है उतनी सारे संसार में नही है. आगे पीछे देखना ब्याह शादी में भी चाकलेट ही परोसी जायेगी. सावधान.....
ReplyDeleteरामराम
इस नाम की चकलेट से सभी वाय काट कर दे यही अच्छा है.
ReplyDeleteताऊ की बात एकदम सही है। पहले विज्ञापन आया था - ठंडा मतलब कोका कोला। अब दीवाली हो या रक्षा बंधन, खुलते हैं चॉकलेट के डिब्बे - कुछ मीठा हो जाये।
ReplyDeleteनई पीढ़ी के दिमाग में ये बाते गहरी धंसा देना चाहते हैं कि जब ठंडे का नाम लिया जाये या मीठे का, हमारे प्रोडक्ट ही जेहन में चमकें।
अच्छी चुटकी ली है।
@taau
ReplyDeletesynthetic/hormone doodh milega to log khud mithai khana band kar denge. sirf khulenge चॉकलेट के डिब्बे - कुछ मीठा हो जाये।
साला .....ऊ लड़का जईसा देखने में है ना...उससे तो पैदाइशी लतखोर लगता है.... बहुत बढ़िया हुआ दूसरे सीन में लात खा गया...
ReplyDeleteवाह जी वाह !
ReplyDeleteधोखा खाने के लिए कहीं जाने की ज़रूरत नहीं अब ।
घर बैठे बंदोबस्त है !
:)
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आने वाले दूसरे भाग का स्क्रिप्ट राइटर ज़रूर दादा कोंडके का शागिर्द रहा होगा :)
ReplyDeleteतगडा मीठा।
ReplyDelete................
…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।
aisi baten theek nahi.....maine bhi ek ki maan se meetha kha liya tha aaj tak bhugat raha hoon....
ReplyDeleteमजा आ ग्या |
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