01 September 2010

मैं नाराये मस्ताना

पहले तीर चलाते हैं, फिर उसके चारों ओर गोला खींच देते हैं। उसके बाद सबको दिखाते हैं कि मेरा निशाना कितना सटीक है। देखो-देखो मैं कितना बढिया निशानेबाज हूँ। लोग भी तारीफ पे तारीफ करते चले जाते हैं।

खैर छोडिये इन बातों को, आप तो इस सूफी संगीत का मजा लीजिये। समयावधि 9 मिनट है,  थोडी वॉल्यूम बढा कर आराम से सुनियेगा और झूमने का मन करे और पैर थिरक उठें तो रुकियेगा नहीं। बस आंखें मूंद कर शरीर को करने दीजियेगा जो वो करना चाहता है। कोई आपको देख रहा है, अजी देखने दीजिये।

"सबसे बडा रोग, क्या कहेंगें लोग"



इस पॉडकास्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

7 comments:

  1. मस्त है जी, सच मै मस्त कर दिया आप ने.
    जन्माष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनायें।

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  2. बहुत सुंदर, जन्माष्टमी की रामराम.

    रामराम

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  3. ऐसी निशानचियों से भगवान बचाये।

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  4. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई ।

    अच्छा संगीत है ........

    कृपया एक बार पढ़कर टिपण्णी अवश्य दे
    (आकाश से उत्पन्न किया जा सकता है गेहू ?!!)
    http://oshotheone.blogspot.com/

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  5. सही :)
    आपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
    बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
    जय श्री कृष्णा

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  6. मस्त है जी एकदम।
    झूम लिये हैं सुनकर।
    आभार।

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