05 September 2010

चप्पलें पहन के खा लिया करो

चिकन खाते हो मछली क्यों नहीं खाते?
उसमें कांटे होते हैं।
चप्पलें पहन के खा लिया करो।
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संता - यार गर्लफ्रेण्ड को गिफ्ट करना है, क्या दूँ?
बंता - हीरे की अंगूठी या कानों के टॉप्स दे दे।
संता - यार कोई ऐसी चीज बता जो सस्ती भी हो और उसने कभी ना पहनी हो।
बंता - तो जेन्टस अंडरवियर दे दे।
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मास्टर जी - कोई रोमांटिक शेर सुनाओ, मेरा मतलब आशिकी वाला
फत्तू - मोटा मरता मोटी पे, भूखा मरता रोटी पे
मास्टर जी की दो बेटी, पर मैं मरता हूँ छोटी पे
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शराबी - आज तबतक पियूंगा, जब तक वो सामने वाले तीन पेड छह नजर नहीं आने लगेंगें।
वेटर - सर, अब बस कीजिये, वहां पहले से एक ही पेड है।
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ग्राहक - कोई ऐसी स्कीम लाओ कि 1000 रुपये की शॉपिंग पर सेक्स फ्री।
सेल्समैन - लो आपको पता ही नहीं, ये स्कीम तो पिछले महिने थी और भाभी जी ने 5000 रुपये की शॉपिंग करके पाँच बार लाभ उठाया।
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संता - फोन पर किससे बात कर रहे हो?
बंता - बहन से
संता - पर इतनी धीमी आवाज में क्यूं?
बंता - तुम्हारी बहन है

6 comments:

  1. वाह जी वाह बहुत सुंदर ,धन्यवाद

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  2. मस्त हैं सारे।

    मियांजी ने फ़त्तू को शेर नजर किया,
    "जमीन बेच दूं, आसमान बेच दूं,
    चौधरी तेरे प्यार में, जहान बेच दूं।"

    फ़त्तू ते कड़े चुप रया जावे था, उसने भी मारया शेर:-
    "भैंस बेच दूं, गां बेच दूं,
    मियां तेरे प्यार में, लीलू की मां बेच दूं।"
    तेरे ते घाट ना सूं, तू प्यार करेगा तो मैं और घणा करूंगा, कल्ले के करेगा।

    राम राम।

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  3. बॉस कई बार तुम्हारा यू आर एल अपने ब्लॉग रॉल में डाला है, रुकता नहीं है। हा हा हा। आज फ़िर ट्राई कर रहा हूं और आज छुट्टी पर हूँ तो आज बीच बीच में संभालता भी रहूंगा, आज कैद कर ही लेना है।

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  4. यार अच्छा लिखते है आप.. फिर ये क्यूँ बोलते है है गधा दिमाग का हूँ.. अपने आप को कम मत आंकिये.. लिखते रहिये और लोगों को हंसते रहिये.
    साधुवाद-
    हिंदुत्व और राष्ट्रवाद

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