कृप्या इस लेख को किसी अवधारणा को दिमाग में रखकर ना पढें। मुझ गधे के दिमाग में कुछ विचार आये तो यहां लिख दिये हैं। गधे के दिमाग में विचार आते हैं और वो ढेंचू-ढेंचू करने ही लगता है। किसी भी ब्लागर या नान ब्लागर से इस वार्तालाप का कोई भी सम्बन्ध नही है।
आप क्या लिखते हैं?
ब्लाग
ब्लाग पर क्या लिखते हैं?
कुछ भी
कुछ भी मतलब?
मतलब कुछ भी जैसे कोई भी विचार, कोई भी घटना, कोई भी बात
इसके अलावा
इसके अलावा मतलब
मतलब साहित्य, कविता जैसा कुछ
नहीं जी कुछ भी नहीं
कुछ सार्थक लिखना चाहिये, जब ब्लाग मुफ्त है तो इसका यह मतलब नही कि कुछ भी कूडा-करकट छाप दो।
भईया जी क्या ब्लाग केवल साहित्य के लिये है? जिसके पास जो होगा वह वही तो दे सकता है, मेरे पास तो बकवास ही है और मेरे जैसे कुछ पाठक भी हैं जो बकवास ही पढने आते हैं।
टिप्पणियां आती हैं?
टिप्पणियां कोई रोटी तो है नही कि जिनके बिना पेट नही भरेगा। जिसके पास टिप्पणियां होंगी वो दे देगा।
पाठक मिलते हैं
मैं खुद ही पाठक हूं, मैं लेखक या साहित्यकार नही हूं, बाकि जिसे पढना है वो तो पढेगा ही।
छोटी-छोटी समस्यायें हैं, जो दबा दी जाती हैं, उनको उजागर करो। आगे नास्टैलोजी ब्लागिंग का वक्त आ रहा है। ब्ला-ब्ला…………(काफी देर तक उन्होंनें कुछ नहीं बहुत कुछ कहा आधा मेरे सिर के ऊपर से और आधा टांगों के नीचे से निकल गया, उत्तेजना से उनके हाथ शायद पैर भी कांप रहे थे)
भईया जी क्या ब्लाग केवल पत्रकारिता के लिये है। आप पत्रकार हैं, मीडियाकर्मी हैं, बुद्धिजीवी हैं, आप बना सकते हैं तिल का ताड, यह आपका व्यवसाय है। आपके पास समस्यायें हैं, रोना-पीटना है, कुंठा है, गुस्सा है, खीझ है, भडास है आप लिखिये इस बारे में। मेरे पास मुस्कान है तो मुस्कान दे सकता हूं, सुकून है तो सुकून दे सकता हूं।
अगली चिट्ठी में सार्थक पोस्ट की बात करते एक सज्जन
कोई मुझे नौस्टैलोजी या नौस्टैलोजिक का अर्थ बता सके तो आभारी रहूंगा। प्रशांत जी की चिट्ठियों में भी यह शब्द कई बार पढा है।
अगली चिट्ठी में सार्थक पोस्ट की बात करते एक सज्जन
कोई मुझे नौस्टैलोजी या नौस्टैलोजिक का अर्थ बता सके तो आभारी रहूंगा। प्रशांत जी की चिट्ठियों में भी यह शब्द कई बार पढा है।
सोहिल जी बस आप अपनी मुस्कान बिखेरिये कोई क्या करता है करने दीजिये जिस के पास जो है वही तो देगा न? बस आप इसी तरह लिखते रहिये। शुभकामनायें
ReplyDeleteभाई रिस्क तो हम ने ले ली है तो थोडा कह भी लेते है ..बात तो सही है की ब्लोगिंग मुफ्त है तो क्या कुछ भी छापोगे :)
ReplyDeleteकिन्तु भड़ास ,रोना-पीटना, कुंठा, गुस्सा, खीझ , फिर लोग कहा निकाल पाएँगे और वेसे भी साहित्य की सराहना करने वाले या उसे दिल से पढ़ने वाले लोग है कितने?? सो हिंदी ब्लोगिंग के इन खम्बो पर ज्यादा पैनी निगाह न डाले !!
वरना सार्थकता तो ढूंढे ना मिलेगी भटकते ही रह जाएंगे !! यही तो चल रहा है आज कल ऊल जूलूल , आक्षेप , भरा कुछ भी व्यंग करो और टिप्पणी पाओ !
सादर
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
जय हो महाराज की. हमारे पास तो ये टिप्पणी है..इसे आपको दिये देते हैं.:)
ReplyDeleteरामराम.
मैं एक ब्लॉग चलाता हूँ ,
ReplyDeleteआप इसके मायने नहीं जानते !
आप मुझे केवल बुद्धिजीवी मान बैठे हैं,
पर मेरे पास
किसी पर भी कीचड उछालने का अब एक नया औजार है !!!!
यहाँ कोई रोक- टोक नहीं
कुछ भी लिख दूँ किसी के भी बारे मैं, बात करूँ या ना करूँ उससे |
मैं ही रिपोर्टर, मैं ही सम्पादक
खबरें काटना, छांटना या उनमें मसाले भरना
सब कुछ मेरे हाथ मैं है
और आपकी प्रतिक्रया छापना, न छापना भी मेरे हाथ मैं है
क्यूंकि मैं ही मोडरेटर भी हूँ |
मेरे ऊपर कोई दवाब भी नहीं है, किसी मालिक या सम्पादक टाइप के किसी भी व्यक्ति का |
आप ख्वामखाह मुझे रचनाधर्मी / मौलिक/ साहित्यिक/ कलाप्रेमी वगेरह कुछ मान बैठे थे
पर मैं आपके जाले साफ़ करना चाहता हूँ |
मैं विशुद्ध रूप से एक दुकानदार हूँ, और अपनी दूकान चलाता हूँ |
कोई पैसा कमाता है, मैं रीडरशिप कमाता हूँ
वैसे आप उससे ही मेरे कद का अंदाजा लगाते हैं
इसलिए मैं उसमें कुच्छेक देशों का गणित वाला एक स्तम्भ रख देता हूँ |
बात यहीं ख़तम नहीं होती है
यह तो केवल एक बानगी है
आप भी आयें अपनी दूकान चलायें
आप विश्वास करें, दुनिया मैं कई फालतू हैं
रोजाना १० लोग अपने ब्लॉग पर जरुर आयेंगे
२ आपका गुणगान करेंगे, बचे ८ मैं से ४ आपको बुरा कहेंगे
उनकी सुनता कौन है
मोडरेटर हम हैं, और हम उसे प्रकशित नहीं करते
एक सुविधा और है यहाँ
आप अपने ब्लॉग पर किसी और नाम से भी अपनी दूकान चला सकते हैं
इसे भड़ास कहते हैं
तो
साथियों आयें अपना एक ब्लॉग बनाएं
हालाँकि होली पर कीचड उछाली जाती है
लेकिन यहाँ साल भर एक दूजे पर कीचड उछालें, गरियाएं
पर अपना एक ब्लॉग बनाएं
वैसे आजकल मैं भी तो अपना एक ब्लॉग चलाता हूँ |
www.atmadarpan.blogspot.com
अपनी अपनी कोशिश कर रहें है सब.....इस की चिंन्ता क्या करे कोई...कि क्या लिखा जा रहा है.....आप तो बस लिखते रहो....जब भी समय मिले....
ReplyDeleteआपकी चिंता जायज है .. पर समाज में हर स्वतंत्रता का तो दुरूपयोग हो रहा है ??
ReplyDeleteअंतर जी , ब्लोग्गिंग में निरंकुशता उसका मूल चरित्र है , मगर इसे उद्दंडता के रूप में लोग अपना रहे हैं ये गडबड है , खैर सब ठीक होगा और अपने आप होगा , हां नोस्टेल्जिया का मतलब होता है अपने सुखद पुराने दिनों की याद में भावुक होना , मेरे ख्याल से
ReplyDeleteअजय कुमार झा
आदरणीय अजय जी
ReplyDeleteआपका हार्दिक धन्यवाद नोस्टेल्जिया का अर्थ बताने के लिये और टिप्पणी के लिये भी
प्रणाम स्वीकार करें
अमित जी अगर सभी साहित्यकार बन जायेगे तो उन्हे पढेगा कोन? तो भाई हम तो आप आदमी है,आप भी निश्चिंत हो कर लिखे, ओर जो चाहे लिखे लेकिन उद्दंडता ओर मर्यादा का ध्यान रख कर, कोई ऎसी बात ना लिखे जिस से किसी का दिल दुखे, ओर आप के लेख को हर कोई पढ सके मां बहन भी, तो आप मेरे लिये एक सहित्यकार से भी बढे है,
ReplyDeleteदोस्त, हिंदी ब्लॉगिंग एक दूसरी ही दुनिया कि चीज लगती है मुझे.. लोग पता नहीं क्यों अपना हक समझने लगते हैं.. कुछ लोगों को ऐतराज होता है कि अच्छी साहित्यिक चीज कोई नहीं लिखता(तो खुद क्यों नहीं लिखते?).. कुछ लोग ये उम्मीद पाले बैठे हैं कि यह मिडिया का एक और जरिया बनेगा(सिर्फ मिडिया ही क्यों?).. कुछ लोग समझते हैं कि मठाधीषी हो रही है(यह एक ऐसी जगह है जिसे कोई रोक नहीं सकता).. कुछ लोग भ्रम पाले बैठे हैं कि वे हिंदी कि सेवा कर रहे हैं.. कुछ लोग क्रांति लाने कि बात करते हैं(जिस देश में जाने कितने लोग हैं जिनके पास खाने को कुछ नहीं है, वे भला इंटरनेट पर क्यों आयेंगे?)
ReplyDeleteखैर छोडो दोस्त.. जो होगा, वह तो समय ही बताएगा..
अजय भैया ने आपको "नौस्टैल्जिया" का मतलब बता ही दिया है.. :)
आदरणीय प्रशांत जी नमस्कार
ReplyDeleteआपकी बात बहुत अच्छी और सही लगी। आपका और अजय जी का बहुत-बहुत धन्यवाद जी
प्रणाम स्वीकार करें