मानव मस्तिष्क भी कमाल की चीज है, यह हर बात, हर विचार, हर काम के पक्ष में हजारों कारण और बहाने खोज लेता है और विपक्ष में भी। मेरे मस्तिष्क में अगर कोई विचार आ जाये तो पोस्ट लिख देता हूं। अगर किसी की कोई पोस्ट मेरी अल्प-बुद्धि (समझ) में आ जाये और मेरे पास कोई शब्द हो तो टिप्पणी भी कर देता हूं। मैं टिप्पणी क्यों नही करता हूं इसके दस कारण मेरे मस्तिष्क ने खोज डाले हैं :-
1> वर्ड वेरिफिकेशन के कारण (बार-बार हिन्दी-अंग्रेजी फान्ट बदलने में कोफ्त होती है)
2> लेख समझ से परे है (अल्प-शिक्षा और अल्प-बुद्धि के कारण काफी लेख समझ नही पाता हूं)
3> सहमति-असहमति, सही-गलत का चुनाव करने में असमर्थता
4> समय की कमी (कई बार रीडर में ढेरों पोस्ट इकट्ठी हो जाती हैं)
5> जब लेख पुराना होता है (कुछ लोग एक ही पोस्ट को बार-2 ठेलते रहते हैं)
6> जब वही लेख किसी दूसरे ब्लाग पर भी पढा होता है
7> जब लेख किसी को टारगेट बना कर लिखा जाता है
8> जब लेख से विवाद की स्थिति उत्पन्न करने की कोशिश की जाती है
9> जब चिट्ठियों को मोबाईल फोन पर पढता हूं (यह ईमानदार कारण है)
10> जब किसी लेख का लेखक ज्यादातर दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले लेख लिखता है तो उसके बढिया लेख पर भी टिप्पणी नही कर पाता हूं।
अंतर आपने अंतर्मन से लिखा है यह -असहमति कैसी
ReplyDeleteलगता है यही कारण मेरे पास भी हैं।
ReplyDeleteसच्ची बात कह दी.
ReplyDeleteसही लिखा....
ReplyDeleteमैं अपनी ओर से ध्यान रखूंगी .. आपके सामने इनमें से कोई परिस्थिति न आने पाए !!
ReplyDeleteटिप्पणी करना या न करना व्यक्तिगत मामला है। आपने बहुत ही सही कारण बताये हैं टिप्पणी न करने के लिये!
ReplyDeleteहमारे भी कुछ कुछ तो यही कारण है.......
ReplyDeleteलगता है कि सही कह रहें हैं आप।
ReplyDeleteबहुत कारण बता दिए न टिपियाने के।
ReplyDeleteसही करते हो साहेब....
ReplyDeleteaअरे सोहिल यही कारण तो मेरे भी हैं मगर एक कारन और भी है कि मैं अपने रोज़ आने वाले पाठकों को अगर वो किसी दिन न आयें तो भूल जाती हूँ ये उम्र का तकाज़ा है अब देखो न कई दिन तुम नज़र नही आये तब अपने माथे पर हाथ मारा कि मै तो भूल ही गयी। वैसे बुढों की परेशानी है ये। अब याद रखूँगी आभार आशीर्वाद
ReplyDeleteवाह यही कारण हमारे भी है.
ReplyDeleteधन्यवाद
अमित जी,
ReplyDeleteअब लगे हाथों ये भी बता दो कि किसी पोस्ट को आप पढते क्यों हैं.
क्यों कभी कभी किसी पोस्ट पर टिप्पणी छोड देते हैं.
मातातुल्य पूज्य निर्मला कपिला जी
ReplyDeleteआशा है कि आपका आशिर्वाद ऐसे ही बना रहेगा
प्रणाम
प्रिय नीरज
ReplyDeleteआपके ब्लाग पर आकर आपके सवाल का उत्तर दूंगा
राम-राम
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ReplyDeleteपोस्ट पढ़कर बिना टिपण्णी करे , चोर की तरह कभी नहीं जाती। इसलिए आपकी साढ़े पांच महीने पुरानी पोस्ट पर भी टिपण्णी कर रही हूँ।
सुन्दर पोस्ट, बधाई !
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