बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी
चाहे हम हों कितने तगड़े , मुंह वो हमारा धूल में रगड़े,
पटक पटक के हमको मारे , फाड़ दिए हैं कपड़े सारे ,
माना की वो नीच बहुत है , माना वो है अत्याचारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
जब भी उसके मन में आये , जबरन वो घर में घुस जाए ,
बहू बेटियों की इज्ज़त लूटे, बच्चों को भी मार के जाए ,
कोई न मौका उसने छोड़ा , चांस मिला तब लाज उतारी ,
लेकिन - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
हम में से ही हैं कुछ पापी , जिनका लगता है वो बाप ,
आग लगाते हुए वे जल मरें , तो भी उसपर हमें ही पश्चाताप ?
दुश्मन का बुरा सोचा कैसे ??? हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी ???
अब तो - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
बम यहाँ पे फोड़ा , वहां पे फोड़ा , किसी जगह को नहीं है छोड़ा ,
मरे हजारों, अनाथ लाखों में , लेकिन गौरमेंट को लगता थोडा ,
मर मरा गए तो फर्क पड़ा क्या ? आखिर है ही क्या औकात तुम्हारी ???
इसलिए - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
लानत है ऐसे सालों पर , जूते खाते रहते हैं दोनों गालों पर ,
कुछ देर बाद , कुछ देर बाद , रहे टालते बासठ सालों भर ,
गौरमेंट करती रहती है नाटक , जग में कोई नहीं हिमायत ,
पर कौन सुने ऐसे हाथी की , जो कोकरोच की करे शिकायत ???
इलाज पता बच्चे बच्चे को , पर बहुत बड़ी मजबूरी है सरकारी ,
इसीलिये - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
वैसे हैं बहुत होशियार हम , कर भी रक्खी सेना तैयार है ,
सेना गयी मोर्चे पर तो - इन भ्रष्ट नेताओं का कौन चौकीदार है ???
बंदूकों की बना के सब्जी , बमों का डालना अचार है ,
मातम तो पब्लिक के घर है , पर गौरमेंट का डेली त्योंहार है
ऐसे में वो युद्ध छेड़ कर , क्यों उजाड़े खुद की दुकानदारी ???
इसीलिये - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
सपूत हिंद के बहुत जियाले , जो घूरे उसकी आँख निकालें ,
राम कृष्ण के हम वंशज हैं , जिससे चाहें पानी भरवालें ,
जब तक धर्म के साथ रहे हम , राज किया विश्व पर हमने ,
कुछ पापी की बातों में आ कर , भूले स्वधर्म तो सब से हारे ,
जाग गए अब, हुए सावधान हम , ना चलने देंगे इनकी मक्कारी ,
पर तब तक - बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी .
यह रचना श्री आनन्द शर्मा जी ने मुझे मेल से भेजी है। अनुमति के साथ उनके अमूल्य विचार भी आप सबसे अगली पोस्ट में बांटूंगा। उन्हें धन्यवाद करने, आभार प्रकट करने या सम्पर्क करने के लिये आप नीचे दिये लिंक से उन्हें ईमेल भेज सकते हैं।
रचयिता : धर्मेश शर्मा , भारत
मुंबई दिनांक २०.०९.२००९
संशोधन , संपादन : आनंद जी.शर्मा
बात चीत रहेगी जारी , बात चीत रहेगी जारी अच्छी बातें फैला दो दुनिया में। बहुत खूब।
ReplyDeleteबहुत शानदार.
ReplyDeleteरामराम.
किन्हीं के माध्यम से मुझे भी ये मेल मिला था .. बहुत सटीक रचना है !!
ReplyDeleteबहुत सुंदर, मेने भी कल के लिये इस सुंदर रचना को पोस्ट का रुप देना था, लेकिन अब रोक दी, बहुत सुंदर आप का धन्यवाद इसे प्र्काशित करने के लिये,ओर धर्मेश शर्मा जी ओर आनंद जी.शर्मा जी का भी धन्यवाद
ReplyDeleteअजी साहब, ये भी उनका अहसान ही मानना चाहिये कि वो हमसे बातचीत करने को तैयार हो जाते हैं, न हों तो क्या आपको लगता है कि हम कुछ कर सकेंगे? हर बार वही ड्रामा दोहराया जाता है कि दोषियों को बखशा नहीं जायेगा और कुछ दिन बाद वही बातचीत जारी रहने का जाप। अब के मार, अब के मार करते-करते चौहान और गौरी वाली कहानी दोहराई जा रही है। मुर्दा दिलों में जान फ़ूंकने का प्रयास करने के लिये आप बधाई के पात्र है।
ReplyDelete