एक ताली होती है ताला या ताले (Lock) की स्त्री याने के चाभी या चाबी (Key) और दूसरी ताली जो दोनों हाथों को तेजी से टकरा कर बजाई जाती है। दोनों हाथों को जब टकराते हैं तो जो ध्वनि पैदा होती है, उसे ताली कहते हैं। ताली कई तरह से बजाई जा सकती है। एक प्रकार की ताली में एक हाथ की हथेली और दूसरे हाथ की ऊंगलियों से ध्वनि की जाती है। दूसरे प्रकार में दोनों हथेलियों को टकराते हैं। कहते हैं ताली एक हाथ से नही बजती है, लेकिन कुछ लोग एक हाथ से भी ताली बजा लेते हैं। कोई भी थोडे अभ्यास से एक हाथ से ताली बजा सकता है। हाथ की ऊंगलियों को झटके से उसी हाथ की हथेली पर मारने से जो ध्वनि होगी, वह एक हाथ से बजी ताली है। ताली ज्यादातर खुशी प्रकट करने और सराहना करने के काम आती है। ताली बजाकर रोगों का इलाज भी किया जा सकता है और ताली पीट कर बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है।
- किसी का स्वागत करने के लिये (Give him a big hand)
- किसी का कलाप्रदर्शन पसन्द आने पर (आभार प्रकट करने के लिये)
- किसी का भाषण या वक्तव्य पसन्द आने पर
- मस्ती में नाचते वक्त
- व्यायाम भी होता है ताली बजाना
- ताली बजाकर इशारे भी किये जाते हैं।
- मंच पर किसी के सम्मान में भी ताली बजाई जाती है।
- भक्त लोग ताली बजा-बजा कर भजन गाते हैं और पूजा आराधना करते हैं।
- तमाशबीन तमाशे दिखाते वक्त कहते थे- "बच्चों बजाओ ताली"
- शिशुओं (छोटे बच्चों) के साथ खेलते वक्त भी ताली बजाई जाती है।
- शिशु भी खेलते वक्त ताली बजाते हैं।
- लैंगिक विकलांग (वह हिजडे, जो शादी-ब्याह, पुत्र-जन्म आदि पर शगुन वगैरहा लेने आते हैं) एक खास तरह की ताली बजाते हैं, जो केवल दोनों हथेलियों को टकरा कर बजाई जाती है। इसमें ऊंगलियां आपस में नहीं मिलती और इसमें विशेष और तेज ध्वनि होती है।
- हरियाणवी लोकगीतों (रागणी) में ताली का संगीत दिया जाता है, जो एक लय में और बहुत मधुर लगता है।
- कव्वाली गाते वक्त ताली से ताल यानि लय देना जरूरी होता है। यानि बिना ताली के तो कव्वाली हो ही नही सकती।
- ज्यादातर औरतें झगडते वक्त ताली बजा-बजा कर आपस में ताने देती हैं।
- पुराने समय में राजे-महाराजे तीन ताली बजाते थे और कहते थे - "नाचने वाली को पेश किया जाये"
- हंसी-मजाक चलता है तो किसी बात पर कोई ना कोई एक हाथ आगे करके कह उठता है- "दे ताली" और दूसरा उसके हाथ पर हाथ मार देता है।
वाह बडी ही रोचक जानकारी दी आपने ....ताली तो खूब बजाते हैं ..मगर उसके बारे में इतना सब आज जाना ॥
ReplyDeleteएक हाथ से ताली का कारनामा देखा नहीं! देखना अजूबा होगा!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर व रोचक जानकारी!
ReplyDeleteयह भी जोड़ लें कि कव्वालियों के लिये ताली का ताल होना अनिवार्य है।
जी के अवधिया जी धन्यवाद
ReplyDeleteअभी जोड लेता हूं
प्रणाम
बहुत रोचक है ताली पुराण बधाई मतलव दे ताली
ReplyDeleteबहुत बढिया और रोचक जानकारी मिली. धन्यवाद.
ReplyDeleteरामराम.
रोचक जानकारी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी दी आप ने . धन्यवाद
ReplyDeleteबातो बातो में ज्ञान की बात बता दी अपने तो |
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