आज किसी दोस्त किसी बिछडे दोस्त को याद कर लिया जाये। ठंडी छांव की ही नही कभी-कभी कडी धूप भी जरूरी होती है। कभी-कभी उदास भी हो लिया जाये।
आज सुनिये एक दर्दीली आवाज में कव्वाली । उम्मीद है आपको यह कलाम पसन्द आयेगा।
इन हसीनों के चेहरे तो मासूम हैं
किसको कातिल कहूं, किसको इल्जाम दूं
किसने बिस्मिल किया किसने लूटा मुझे
क्या कहूं ऐ फना मैं कहां लुट गया
इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ती है तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।
अरे, ये तो बहुत सुंदर नगमा है। पर मैंने इसे पहली बार सुना है।
ReplyDelete------------------
सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?