12 December 2009

पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और समाधान)3

पिछली कडियों पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और समाधान)1 और  2 में आपने यज्ञ (हवन) के महत्त्व के बारे में पढा। अब आगे पढिये यज्ञ के लघुत्तम रूप में प्रचलित धूप, अगरबत्ती आदि क्या यज्ञ के विकल्प हैं।

अग्नि में डालने से कोई पदार्थ नष्ट नही हो जाता है, बल्कि रूपान्तरित होता है। ठोस या द्रव रूप से गैस रूप में बदल जाता है। खाया हुआ 50 ग्राम घी एक ही मनुष्य के लिये लाभकारी होता है, किन्तु वही घी यज्ञीय प्रक्रिया से सूक्ष्म होकर और शक्तिशाली बनकर हजारों मनुष्यों, पशु-पक्षियों तथा वृक्षादि स्थावरों के लिये भी लाभकारी बन जाता है। जलायी हुई अगरबत्ती की सुगन्ध पूरे दिन भर मकान में बनी रहती है।

यज्ञ का प्रयोजन केवल सुगन्धि फैलाना ही नही है, बल्कि जलवायु के प्रदूषण को भी नष्ट करना होता है। उचित मात्रा में व सीमित स्थान पर यज्ञाग्नि में डाली गयी अनेक प्रकार की औषधियों व घी के जलने पर उत्पन्न धुआं दूर-दूर के जलवायु के प्रदूषण अथवा दोषों को दूर करता है।

धूप, अगरबत्ती या फूलों के रस में यह सामर्थ्य नही होता कि वह घर में विद्यमान समस्त गंदी वायु को बाहर निकाल दें तथा शुद्ध वायु का बाहर से प्रवेश करा सकें।
इसलिये यज्ञ का विकल्प ये धूप आदि नही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण (निवारण और समाधान)2
अपनी पिछली चिट्ठी में मैनें रेलगाडी में हुई सुभाष चन्द्र से मुलाकात और उनके द्वारा मुझे दी गयी भेंट एक लघु पुस्तक के बारे में बताया था। ऊपर लिखी गई पंक्तियां उसी "पर्यावरण प्रदूषण" नामक पुस्तक से ली गई हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के सम्पादक-लेखक हैं - ज्ञानेश्वरार्य: दर्शनाचार्य (M.A.)
पोO सागपुर, जिला साबरकांठा (गुजरात-383307)
मुख्य वितरक - आर्य रणसिंह यादव

2 comments:

  1. यज्ञ का प्रयोजन जो आपने बताया, सही है। अग्नि बहुत बड़ा वातावरण शोधक है।

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  2. श्रीमान जी आप के ब्लाग के बारे में दैनिक हिन्दुस्तान में पढ़ा। बधाई

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