17 December 2009

अल्लाह अल्लाह कहो इंशाअल्लाह

रोज आफिस से छह बजे निकलता हूं। शाम 6:30 बजे की सिरसा एक्सप्रेस से घर जाते-जाते 8:00 बज ही जाते हैं। फिर हाथ-मुंह धोना (गर्मियों में नहाना) और 8:30 बज गये। रात का खाना खाया और उर्वशी, लव्य, याचिका तीनों बच्चों के साथ खेलना या फिल्मी गाने और भजन सुनता हूं और तीनों के साथ नाचता भी हूं। रात को घर से बाहर निकले बिना खाना भी पच जाता है और अन्तर्तम भी आनन्द से भर जाता है।
आज आप भी सुनिये मेरे पसन्दीदा भक्ति संगीत कलैक्शन में से एक भजन  (आप इसे नात या कव्वाली भी कह सकते हैं)

इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ती है तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर भजन है धन्यवाद

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  2. अच्छा है भाई आपका यह नित्य कर्म. बडा आनंद दायक और खुशनुमा लगा. आपका पोडकास्ट रात को सुनेंगे. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  3. परछाई जी नमस्कार

    आपका बहुत बहुत धन्यवाद मेरी गलती बताने के लिये
    मैं अभी इसे ठीक कर देता हूं। आभार

    प्रणाम स्वीकार करें

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  4. सुनने में अच्छा लगा। शब्दार्थ समझ नहीं आया अधिकांशत:।

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  5. लय और ध्वनि ने मोह लिया ..
    अर्थ तो निकलना ही भूल गया ..

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मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।