07 February 2011

श्री राधा हमारी गोरी-गोरी

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छोडो आज ये सब और ये प्यारा भजन सुनो
 
यह गीत करीबन 35 मिनट का है। इसलिये आप खाली समय में सुनेंगें तो ही इस मधुर संगीत का आनन्द ले पायेंगें। 
 
योगी जन जानता ना कहना जिसका प्रभाव
 जिसकी कला का पार शारदा ना पाती है
शंकर समाधि में ढूंढते हैं जिसको
श्रुतियां भी नेति-नेति कहे हार जाती हैं
 
 

इस पोस्ट के कारण गायक, रचनाकार, अधिकृता, प्रायोजक या किसी के भी अधिकारों का हनन होता है या किसी को आपत्ति है, तो क्षमायाचना सहित तुरन्त हटा दिया जायेगा।

14 comments:

  1. अभी तो इतना समय नहीं है. बाद में सुनते हैं. फुर्सत में.

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  2. बहुत सुन्दर भजन है

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  3. वाह भाई बहुत बढिया भजन है।

    राम राम

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  4. बहुत सुन्दर भजन है| धन्यवाद|

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  5. बहुत जोरदार जी, शुभकामनाएं.

    रामराम

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  6. क्यूंकर जुलम करै सै भाई फ़ौजी? यो सब छोड़ दिया तो आड़े बचैगा के?:))
    भजन फ़िर सुनेंगे, पहले ये सब पकड़ने दो।

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  7. पकडो जी आज की टिपण्णी मे चला भजन सुनने...

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  8. जरूर सुनेंगे....
    आपके शब्दों से बचपन की कहानियां याद आ गयी....
    मदन चल, नटखट मत बन. घर पर चल कर कटहल चख....इत्यादि.

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  9. संकेतात्‍मक पोस्‍ट। भजन सुन रहे हैं।

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  10. वाह वाह अंतर जी, यही तो दुनियावी बातों और भजन में अंतर है। बहुत आनंद आ गया जी।

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