@ नरेश सिंह राठौड जी, नमस्कार आपके सामने ही तो हैं जी
@ प्रवीण पाण्डेय जी रत्न पा लिये जी, अब सदुपयोग कीजिये :)
@ उस्ताद जी प्रणाम स्वीकार करें बहुत कुछ है जी बिना औचित्य और सार्थकता के तो एक पोस्ट यह भी फिजूल डाल दी। आभार आपका टिप्पणी के लिये और जो इस ब्लॉग को मूल्यांकन की श्रेणी में तो ले आये आप :) हा-हा-हा हमने तो ऊपर ही लिख डाला था कि यहां केवल ढेंचू-ढेंचू होती है।
मुझे खुशी होगी कि आप भी उपरोक्त विषय पर अपने विचार रखें या मुझे मेरी कमियां, खामियां, गलतियां बतायें। अपने ब्लॉग या पोस्ट के प्रचार के लिये और टिप्पणी के बदले टिप्पणी की भावना रखकर, टिप्पणी करने के बजाय टिप्पणी ना करें तो आभार होगा।
१४ सामान आजकल कंहा मिलते है ज़रा बताएँगे क्या ?
ReplyDeleteबड़ा उपयोगी ज्ञान रत्न।
ReplyDeleteमूल्यांकन से बाहर
ReplyDeleteपोस्ट का औचित्य क्या है ?
सार्थकता क्या है ???
ReplyDeleteबढिया जानकारी
विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट
इन सब से ज़्यादा मूल्यवान वस्तु तो अब निकल रही है ... वह है तेल । और यह इस कथा की तरह झूठ नही है सच है ।
ReplyDelete@ नरेश सिंह राठौड जी, नमस्कार
ReplyDeleteआपके सामने ही तो हैं जी
@ प्रवीण पाण्डेय जी
रत्न पा लिये जी, अब सदुपयोग कीजिये :)
@ उस्ताद जी प्रणाम स्वीकार करें
बहुत कुछ है जी बिना औचित्य और सार्थकता के
तो एक पोस्ट यह भी फिजूल डाल दी।
आभार आपका टिप्पणी के लिये और जो इस ब्लॉग को मूल्यांकन की श्रेणी में तो ले आये आप :) हा-हा-हा
हमने तो ऊपर ही लिख डाला था कि यहां केवल ढेंचू-ढेंचू होती है।
@ ललित शर्मा जी, आभार
आपको भी हार्दिक शुभकामनायें
@ शरद कोकास जी
सही कहा जी, प्रणाम स्वीकारें